घर-क्लिनिक संभाला, प्रेग्नेंसी में तबियत बिगड़ने पर भी दिया एग्जाम, अब प्रज्ञा जैन बनी IPS अफ़सर
यदि कोई महिला एक बार कुछ करने की ठान ले तो हर नामुमकिन चीज़ को मुमकिन बना देती है। हम सब जानते हैं कि यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल करना आसान नहीं होता। उस पर भी अगर आपके साथ और जिम्मेदारियां जुड़ी हों तो यह सफर और मुश्किल हो जाता है। यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के लिए लोग कई साल मेहनत करते हैं और उसके बाद सफल हो पाते हैं। कुछ कोचिंग तो कुछ सेल्फ स्टडी से सफलता हासिल करते हैं। पर कुछ ऐसे भी योद्धा होते हैं जो हजार मुसीबतों का सामना करके भी IAS का सपना पूरा करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही योद्धा के बारे में बताने जा रहे हैं।
प्रेग्नेंसी में भी की UPSE की तैयारी
हम बात कर रहे हैं डॉ. प्रज्ञा जैन के बारे में जिन्होंने कड़ी मेहनत की इस दौरान उनके सामने कई बड़ी चुनौतियाँ आईं परंतु उन्होंने हार नहीं मानीं। प्रज्ञा के साथ वे सारी कंडीशंस थी जो सफलता हासिल करने के रास्ते की बाधा मानी जाती हैं। जैसे प्रज्ञा शादीशुदी थी, डॉक्टर होने के नाते क्लीनिक भी संभालती थी और तीसरे अटेम्प्ट के दौरान वे प्रेग्नेंट भी थी और उन्हें बीएड रेस्ट की सलाह दी गई थी। इतनी सारी जिम्मेदारियों के बीच प्रज्ञा ने न केवल परीक्षा दी बल्कि 194वीं रैंक के साथ सफलता भी हासिल की।
शुरुआत से ही पढ़ाई-लिखाई में था मन
एक इंटरव्यू में डॉ. प्रज्ञा जैन ने अपने बारे में काफी कुछ बताया। उनकी शुरूआती पढ़ाई-लिखाई छोटे से कस्बे बड़ौत में ही हुई। ये एक तहसील है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में आता है। उनके पिता आयुर्वेदिक डॉक्टर और मां दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं। दोनों पढ़े-लिखे हैं। बस इसी बात का फायदा उन्हें भी मिला।
गरीब बेसहारा लोगों की मदद की
शुरू से ही माता-पिता ने अच्छी शिक्षा पर बहुत जोर दिया था। इसका नतीजा ये रहा कि उन्होंने 10वीं और 12वीं कक्षा में जिला स्तर पर फर्स्ट रैंक हासिल की। प्रज्ञा बताती हैं, बचपन से ही मेरा तकलीफ में फंसे लोगों का दुख-दर्द देखकर मन उद्वेलित हो जाता था, इसी कारण डॉक्टर बनने का निर्णय लिया। पहले बड़ौत में और शादी के बाद दिल्ली में अपना क्लीनिक खोला तथा लोगों की मदद की। खुद से जितना हो सके, उतना गरीब बेसहारा लोगों की मदद की।
इस वजह से लिया IPS बनने का फैसला
दिल्ली में क्लीनिक चला रहे डॉ. प्रज्ञा जैन को ऐसा लगा कि शायद उनके काम का यह प्लेटफार्म छोटा है और जिंदगी में उन्हें कुछ बड़ा करना पड़ेगा, तब से यही सोचकर उन्होने UPSC की तैयारी करने और परीक्षा देने का निर्णय लिया।अपनी तरफ से हर संभव कोशिश करने के बावजूद प्रज्ञा का सेलेक्शन पहले दो प्रयासों में नहीं हुआ।
तीसरे अटेम्प्ट में हो गईं पास
खास बात यह है कि उम्र के लिहाज से प्रज्ञा का तीसरा अटेम्प्ट उनका आखिरी अटेम्प्ट भी था। अगर इस साल वे चयनित न होती तो फिर परीक्षा देने का मौका उन्हें नहीं मिलता। शायद इसीलिए घर, क्लीनिक और सबसे बड़ी जिम्मेदारी प्रेग्नेंसी के बीच भी उन्होंने जान लगा दी और अंततः सफल भी हुईं।
प्रज्ञा की सलाह
प्रज्ञा कहती हैं कि कोचिंग लें या न लें लेकिन टेस्ट सीरीज जरूर ज्वॉइन करें। जब तक आप पेपर की प्रैक्टिस नहीं करेंगे तब तक मुख्य परीक्षा वाले दिन आपका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहेगा। इसके साथ ही इंटरव्यू के लिए ज्यादा नहीं लेकिन कुछ मॉक टेस्ट जरूर दें। इससे आप माहौल से परिचित हो जाते हैं।