धार्मिक

लाभ और लोभ मुक्त जीवन जीने की चाह है तो मानें यह सीख, बदल जायेगा आपका जीवन

संत कबीर के बेटे कमाल ने भी अपने पिता का रास्ता अपनाते हुए अपना जीवन ईश्वर की सेवा में समर्पित कर दिया था। वह हर समय भक्तों की सेवा में लगे रहते और ईश्वर की आराधना करते। एक दिन काशी नरेश को किसी ने यह बताया कि संत कबीर का बेटा भी उन्ही के मार्ग पर चलते हुए लाभ, लोभ, मोह, काम से दूर रहते हैं। वह लोगों की समस्याओं का हल करके ही खुश रहते हैं।

काशी नरेश ने अंगूठी छोड़ दी छप्पर में:

यह जानकर काशी नरेश उनसे मिलने उनके पास पहुँचे। उन्होंने उनसे बातें की और लौटते वक़्त उन्हें बहुमूल्य अंगूठी देते हुए बोले आपने मुझे ज्ञान रुपी अनमोल मोती दिया है मेरी तरफ से एक छोटी भेंट दक्षिणा के रूप में रख लीजिये। कमाल ने उस अंगूठी की तरफ देखा भी नहीं और कहा अगर आप दक्षिणा देना ही चाहते हैं तो इसे यहीं कही छोड़ दीजिये। यह सुनकर काशी नरेश ने वह अंगूठी पास के छप्पर में रख दी।

कमाल की बातें सुनकर काशी नरेश को हुई हैरानी:

उन्होंने सोचा अंगूठी इतनी कीमती थी। कोई कैसे इसे बिना एक बार देखे मान सकता है। यह सोचकर वह अगले दिन कमाल के पास पुनः पहुँचे। उन्हें देखकर कमाल ने उनका स्वागत किया और बोले आइये महाराज आज क्या लायें हैं भेंट में? कमाल की यह बात सुनकर नरेश को काफी हैरानी हुई। काशी नरेश ने कहा कल जो भेंट दी थी उसे वापस लेने आया हूँ, कहाँ है वह?

कमाल की विरक्ति देखकर उनके पैरों पर गिर गए काशी नरेश:

काशी नरेश की बातें सुनकर कमाल मुस्कुराए और बोले मुझे क्या पता आपने जहाँ रखा होगा वहीँ होगी। मुझे उस कीमती अंगूठी की कोई जरुरत नहीं थी। कमाल की बातें सुनकर काशी नरेश छप्पर के पास गए और उन्हें अंगूठी वहीँ मिल गयी। यह देखकर काशी नरेश कमाल के पैरों में गिर गए और बोले महाराज ऐसी विरक्ति मेरे अन्दर भी ला दीजिये। कमाल ने उन्हें लाभ-लोभ मुक्त होकर राज-काज चलाने की सलाह दी। इसके बाद से काशी नरेश का जीवन बदल गया।

Related Articles

Back to top button