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पंचतत्व में विलीन हुईं पीएम मोदी की मां हीराबेन, 100 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन का निधन हो गया है। वह काफी लंबे समय से बीमारी से जूझ रही थी जिसके बाद उन्हें अहमदाबाद हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां उनका निरंतर इलाज चल रहा था। लेकिन 30 दिसंबर कि सुबह 3:30 उन्होंने दम तोड़ दिया। बता दे नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन की उम्र 100 साल थी। जैसे ही प्रधानमंत्री को यह खबर मिली तो वह तुरंत अहमदाबाद के लिए रवाना हुए।

narendra modi

मां के निधन पर पीएम मोदी ने यूं जताया दुःख

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 28 दिसंबर को तबीयत खराब होने के बाद हीराबेन को अहमदाबाद के यू एन मेहता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां पर वह डॉक्टर की निगरानी में थी लेकिन आज सुबह 3:30 बजे उनका निधन हो गया। इसके बाद गांधीनगर के एक श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया। बता दें इस दौरान हीराबेन के सबसे बड़े बेटे सोमभाई ने उन्हें मुखाग्नि दी। इसके बाद पीएम मोदी और उनके अन्य भाइयों ने भी मां का देह संस्कार किया।

मां के निधन पर पीएम मोदी ने ट्वीट किया है, उन्होंने लिखा कि, “शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम… मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है।”

इस तरह मनाया था मां का 100वां जन्मदिन

बता दें 18 जून को ही हीराबेन का 100वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया गया था। ऐसे में खुद पीएम मोदी अपने आवास पहुंचे थे। इस दौरान नरेंद्र मोदी ने अपनी मां का आशीर्वाद लिया था जिसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी।

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बता दे पीएम मोदी अक्सर समय निकाल कर अपनी मां से मिलने के लिए जाया करते थे। इससे पहले उनकी मुलाकात 4 दिसंबर को हुई थी। पीएम मोदी का कहना था कि उनकी मां ने हमेशा उनके सपनों का सम्मान किया और उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें काम करने दिया। यही वजह है कि आज वह प्रधानमंत्री के पद पर है।

मां ने हर फैसले में दिया साथ…

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पीएम मोदी ने ब्लॉग में कहा था कि, “दूसरों की इच्छा का सम्मान करने की भावना, दूसरों पर अपनी इच्छा ना थोपने की भावना, मैंने मां के अंदर बचपन से ही देखी है। खासतौर पर मुझे लेकर वो बहुत ध्यान रखती थीं कि वो मेरे और मेरे निर्णयों को बीच कभी दीवार ना बनें। उनसे मुझे हमेशा प्रोत्साहन ही मिला। बचपन से वो मेरे मन में एक अलग ही प्रकार की प्रवृत्ति पनपते हुए देख रहीं थीं। मैं अपने सभी भाई-बहनों से अलग सा रहता था।”

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आगे मोदी ने कहा था कि, “मेरी दिनचर्या की वजह से, मेरे तरह-तरह के प्रयोगों की वजह से कई बार मां को मेरे लिए अलग से इंतजाम भी करने पड़ते थे। लेकिन उनके चेहरे पर कभी शिकन नहीं आई, मां ने कभी इसे बोझ नहीं माना। जैसे मैं महीनों-महीनों के लिए खाने में नमक छोड़ देता था। कई बार ऐसा होता था कि मैं हफ्तों-हफ्तों अन्न त्याग देता था, सिर्फ दूध ही पीया करता था। कभी तय कर लेता था कि अब 6 महीने तक मीठा नहीं खाऊंगा। वो यही कहती थीं- ठीक है भाई, जैसा तुम्हारा मन करे। मां को आभास हो रहा था कि मैं कुछ अलग ही दिशा में जा रहा हूं।”

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