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एक राक्षस से विवाह के बाद भी भगवान् विष्णु के साथ किया जाता है तुलसी विवाह, बेहद रोचक है कहानी

हर साल तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है और इस साल ये तारीख 26 नवंबर को आ रही है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी जी और भगवान विष्णु के स्वरुप शालिग्राम का विवाह कराया जाता है। भारत के कई हिस्सों में तुलसी विवाह धूमधाम से मनाया जाता है और इस विवाह के साथ ही रुके हुए शुभ कार्य एक बार फिर से प्रारंभ हो जाते हैं।

तुलसी विवाह से एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। पौराणिक कथा के अनुसार जलंधर नामक एक राक्षस हुआ करता था। ये राक्षस काफी क्रूर था और इसने उत्पाद मचा रखा था। जलंधर बेहद ही वीर था और उसे कोई नहीं हरा सकता था। दरअसल जलंधर की पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म उसकी वीरता का रहस्य था। जलंधर ने देवता को काफी परेशान कर रखा था। जलंधर से दुखी आकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और उनसे कहा कि वो जलंधर से उनकी रक्षा करें।

भगवान विष्णु जानते थे कि वृंदा का पतिव्रता धर्म ही जलंधर की वीरता का रहस्या है। ऐसे में भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने का फैसला किया। भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर छल से वृंदा को स्पर्श किया। वृंदा का पति जलंधर, देवताओं से युद्ध कर रहा था। लेकिन वृंदा का सतीत्व नष्ट होते ही वो मारा गया। वृंदा का सतीत्व भंग हुते ही जलंधर का सिर उसके आंगन में गिर गया। वृंदा ये देखकर क्रोधित हो गई। उसने देखा की जलंधर की जगह उसे विष्णु ने छुआ था। उसने भगवान विष्णु को शाप दिया और कहा कि जिस प्रकार तुमने छल से मुझे पति वियोग दिया है। उसी प्रकार तुम्हारी पत्नी का भी छलपूर्वक हरण होगा और स्त्री वियोग सहने के लिए तुम भी मृत्यु लोक में जन्म लोगे। ये कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई। जिस जगह वृंदा सती हुई वहां तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। वहीं वृंदा के इस शाप के कारण ही प्रभु श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लिया और उन्हें सीता वियोग सहना पड़ा।

एक अन्य कथा के अनुसार वृंदा ने विष्णु जी को ये शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है और इसलिए तुम पत्थर बन जाऊगे। ये शाप मिलते ही विष्णु जी पत्थर बन गए और इस पत्थर को शालिग्राम नाम दिया गया। विष्णु ने वृंदा से कहा कि ‘हे वृंदा! मैं तुम्हारे सतीत्व का आदर करता हूं। लेकिन तुम तुलसी बनकर सदा मेरे साथ रहोगी। जो मनुष्य कार्तिक एकादशी के दिन तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। तभी से शालिग्राम और तुलसी विवाह की प्रथा शुरू हो गई।

मान्यता है कि जो लोग कार्तिक एकादशी के दिन शालिग्राम और तुलसी का विवाह करवाते हैं। उनकी हर कामना को भगवान पूरा कर देते हैं। साथ में ही जीन लोगों का विवाह नहीं हो रहा है, अगर वो तुलसी व शालिग्राम का विवाह करवाते हैं, तो उनका विवाह भी जल्द हो जाता है।

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