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वो चायवाला जिसने पढ़ाई के लिए रोजाना किया 70 किमी का सफर, 3 बार UPSC निकाला और बन गया IAS अफसर

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले, ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है.. ये लाईनें तो कितनी बार पढ़ी और सुनी जा चुकी हैं। पर इसके सही मायने कुछ ही लोग अपनी काबिलियत और मेहनत के जरिए बतला पाते हैं। ऐसे ही एक शख्स से आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं, जिसने चाय बेचने से लेकर आईएएस अधिकारी बनने तक का सफर तय किया है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं IAS Himanshu gupta की जो वर्तमान समय में कानपुर के सहायक कलेक्‍टर के पद पर तैनात हैं।

आर्थिक तंगी में गुजरा है हिमांशु गुप्ता का बचपन

हिमांशु गुप्ता (IAS himanshu gupta) आज देश के लाखों युवाओ के लिए मिसाल बन चुके हैं। खासतौर पर जो पढ़ाई के लिए उनका संघर्ष रहा है वो अपने आप में बेहद प्रेरक है। दरअसल, हिमांशु का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा है.. उनके पिता शुरूआत में एक दिहाड़ी मजदूर का काम करते थे। ऐसे में पिता की मजदूरी की कमाई से इनका घर बेहद मुश्किल से चल पाता था।इसके बाद हिमांशु के पिता ने चाय का ठेला लगाना शुरू किया, जहां खुद हिमांशु भी उनकी मदद करते थे।

अपने एक इंटरव्यू में हिमांशु ने इस बात का जिक्र किया है कि उनकी स्‍कूल वैन पिता के चाय के ठेले के पास गुजरती थी। तभी उनके क्लास के बच्चे उन्हें वहां पर काम करते हुए देखा करते थे और स्कूल में आने पर वही बच्चे हिमांशु को चिढ़ाया करते थे।

वहीं साल 2006 में हिमांशु का परिवार बरेली के शिवपुरी चला गया, जहां उनके नाना-नानी रहते थे। यहीं हिमांशु को एक स्थानीय सरकारी स्कूल में दाखिला मिल गया। जबकि उनके पिता ने वहीं पर अपना जनरल स्टोर खोल लिया। हिमांशु बताते हैं कि उनके पिता आज भी उसी दुकान को चलाते हैं। हालांकि सिरौली जाने के बाद भी हिमांशु की मुश्किलें कम नहीं हुईं, क्योंकि वहां से इंग्लिश मीडियम स्कूल की दूरी 35 किमी थी। ऐसे में वो रोजाना 70 किलोमीटर की दूरी तय कर स्कूल जाते थे। पर इन सब स्थितियों को झेलते हुए हिमांशु ने पढ़ाई जारी रखी।

12वीं के बाद दिल्ली में पढ़ाई के दौरान मिला यूपीएससी का लक्ष्य

बरेली से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद हिमांशु ने ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली के हिंदू कॉलेज में एडमिशन लिया। वहां पढ़ाई के साथ अपने रहने के खर्चे निकालने के लिए हिमांशु ने ट्यूशन पढ़ाने से लेकर पेड ब्लॉग्स लिखने का काम किया। साथ ही स्कॉलरशिप की मदद से हिमांशु ने ग्रेजुएशन के बाद डीयू से पर्यावरण विज्ञान में मास्टर डिग्री के लिए दाखिला लिया। जिसमें उन्हें गोल्ड मेडल मिला और इसके साथ ही हिमांशु को विदेश जाकर पीएचडी करने का मौका मिला, पर तब तक उन्होंने यूपीएससी की परिक्षा देने की ठान ली थी।

तीन बार निकाली यूपीएससी परीक्षा और आखिरकार बन गए IAS

ऐसे में साल 2016 के बाद से हिमांशु गुप्ता यूपीएससी की तैयारियों में लग गए और कड़ी मेहनत की बदौलत साल 2018 में पहली बार में ही यूपीएससी परिक्षा में पास भी हो गए। पर उस बार उनका उनका चयन IRTS यानी भारतीय रेलवे यातायात सेवा के लिए हुआ था, ऐसे में इसके बाद तैयारी जारी रखी और साल 2019 में दोबारा से परीक्षा दी।

बता दें कि दूसरे प्रयास में हिमांशु का चयन IPS के लिए हुआ। लेकिन हिमांशु अभी नहीं माने और 2020 में अपने तीसरे प्रयास में उन्होनें भारतीय प्रशासनिक सेवा IAS निकाल लिया। आज हिमांश IAS himanshu gupta के रूप में पूरे देश में विख्यात हैं।

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