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दिल्ली की सुनीता दीदी ने किया गजब का कारनामा, 74 परिवारों को मिलवाया खोए हुए बच्चों से

कम उम्र मेें खो जाने वाले बच्चों की खबरे तो आप आए दिन अखबारों में पढ़ते ही है। लेकिन यहां कोई ऐसा भी है जो कि इन खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाने में उनकी मदद करता है। इस महिला के जज्बे को आज हर कोई सलाम कर रहा है। दिल्ली की यह महिला सिपाही सुनीता दीदी के नाम से जानी जाती है।

सुनीता ने कारवाई 74 बच्चों की घर वापसी

सुनीता ने आठ महीने में करीब 74 परिवारों को अपने खोए हुए बच्चों से मिलवाया है। दिल्ली के पश्चिमी जिले में सुनीता एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में तैनात है। सुनीता आठ महीने में ही 74 परिवारों के बच्चों को ढूंढने के बाद अब तक की सबसे ज्यादा बच्चों को ढूंढने वाली सिपाही बन चुकी है।

सुनीता दिल्ली पुलिस की ऐसी पहली महीला है जिसने इतने खोए हुए बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया हो। सुनीता के इस कारनामे के बाद जिले के पुलिस अधिकारियों ने सुनीता के प्रमोशन के लिए मुख्यालय को पत्र भी लिखा है। अब तक सुनीता ने जितने भी बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया है उनकी उम्र सिर्फ आठ से 16 साल के बीच है।

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में तैनात है सुनीता

सुनीता राजस्थान के झुंझुनू इलाके की रहने वाली है। सुनीता अपने काम को लेकर काफी सजग है, उन्हें जब भी किसी बच्चे के खो जाने की खबर मिलती है तो वह उसे ढूंढने में अपनी पूरी जी जान लगा देती है। सुनीता की ड्यूटी में उन्हें गुम हो चुके बच्चों को ढूंढने की जिम्मेदारी रहती है।

ऐसे में सुनीता ने अपने आठ महीने की इस पोस्टिंग में 74 बच्चों को ढूंढ कर उनके परिवारों को सौंपा हैं। सुनीता अपने काम को लेकर बताती है कि वह लापता हुए बच्चों की फोटो का स्क्रीनशॉट लेकर अपने मोबाइल व लैपटॉप में सेव कर लेती हैं।

इसके बाद दिल्ली में स्थित आश्रम गृह में उनकी तलाश करती हैं। शुरुआत में सुनीता ने तीन ही दिन में चार बच्चों को खोज निकाला था। सुनीता के इस काम के लिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।

2021 में सुनीता ने स्वरुप नगर से एक मूक बधिर किशोरी को उसके घर भिजवाया था। यह बच्ची बिहार में अपने घर से लापता हो गई थी जिसके बाद पुलिस में घरवालों ने एफआईआर भी दर्ज करवाई थी।

2014 से शुरू हुआ दिल्ली सिपाही का सफर

सुनीता ने 2014 में दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही शपथ ली थी। इसके साथ ही सुनीता पीसीआर, सी4आई, कमांड रूम सीपीसीआर, पीएचक्यू व पश्चिमी जिले के सीनियर सिटीजन में भी अपनी ड्यूटी कर चुकी है। इसके बाद ही सुनीता की तैनाती पश्चिमी जिले के एएचटीयू में हुई है। और अब सुनीता के 74 बच्चों को ढूंढ निकालने के बाद उनकी तरक्की की बात भी पक्की हो चुकी हैै।

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