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लेफ्टिनेंट बन किया पिता का सिर गर्व से ऊंचा, सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर पिता करते थे काम

सोनूकांत उपाध्याय ने अपने माता-पिता का नाम गर्व से रोशन किया है और बेटे की कामयाबी को देखकर सोनूकांत उपाध्याय के परिवार वाले बेहद ही खुश हैं। सोनूकांत उपाध्याय एक गरीब परिवार से आते थे और आज अपनी मेहनत के दम पर लेफ्टिनेंट बन गए हैं। सोनूकांत उपाध्याय के पिता सिक्योरिटी गार्ड का काम करते थे और उन्होंने कभी भी ये कल्पना नहीं की थी कि उनका बेटा सेना में लेफ्टिनेंट बनकर देश को अपनी सेवा देगा।

इंडियन मिलिट्री अकादमी से 12 दिसंबर को पासआउट परेड निकली और इस दौरान सोनूकांत उपाध्याय को लेफ्टिनेंट बनाया गया। इस मौके पर सोनूकांत उपाध्याय के पिता शोभाकांत उपाध्याय, मां और परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे। अपने बेटे को सफल होता देख परिवार के लोगों की आंखों में आंसू आ गए। एक समय था कि सोनूकांत उपाध्याय अपने परिवार के साथ एक कमरे में रहते थे। वहीं अब ये सेना के अधिकारी बन गए हैं।

शोभाकांत लंबे समय तक अपने परिवार के साथ चंडीगढ़ के दड़वा में एक किराए के कमरे में रहते थे। इस कमरे में ये अपनी पत्नी व तीन बच्चों के साथ रहते थे। वहीं शोभाकांत के छोटे बेटे की मेहनत आज रंग लाई और इन्हें ऑफिसर रैंक का पद मिला गया है। शोभाकांत के अलावा इनके गांव के लोग भी बेहद ही खुश हैं और इनके गांव दड़वा में हर कोई जश्न मना रहा है।

मूलरूप से सोनूकांत का परिवार बिहार के सीवान जिले का रहने वाला है। लेकिन नौकरी के कारण इनका पूरा परिवार दड़वा में किराए के छोटे से मकान में रहता था। सोनूकांत अपने परिवार के साथ दड़वा में 17 साल तक एक कमरे में रहे। इस कमरे के लिए ये हर महीने 100 रुपए का किराया देते थ। हालांकि अब सोनू के परिवार वालों ने 150 गज में अपना घर बना लिया है।

शोभाकांत का बड़ा बेटा चीनूकांत एक बिल्डर के पास काम करते हैं। बीच वाला बेटा मोनूकांत उपाध्याय का स्टील और सीमेंट सरिया के बिजनेस में है। जबकि छोटा बेटा सेना में अधिकारी बन गया है। अपने तीनों बेटों की सफलता से शोभाकांत काफी खुश हैं।

वहीं सोनूकांत ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताया कि उनकी पोस्टिंग जम्मू के राजौरी में हुई है। वो यहां पर इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग (ईएमई) में बतौर सैन्य अफसर ज्वाइन करेंगे। इन्होंने कहा कि मैंने अपने परिवार के लोगों को संघर्ष करते हुए देखा है। लेकिन अब मेरी बारी है।

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