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सौतेले मां-बाप ने ठुकराया तो गैरों ने अपनाया तो गैरों ने अपनाया, धूमधाम से करवाई शादी

अक्सर हम सभी लोग हिंदी फिल्मों में बहुत सी कहानियां देखते हैं। कई फिल्मों में ऐसी कहानी होती है कि जब कोई अपना ठुकरा देता है तो गैर उसे अपनाते हैं और उसका सहारा बनते हैं। इस तरह की कहानियां कई तरह की फिल्मों में देखी जा सकती हैं परंतु अगर हम असल जिंदगी की बात करें तो हो सकता है कि आप लोगों में से किसी ने भी रियल लाइफ में ऐसी कहानियां देखी होंगी।

वैसे कभी कभार कई कहानियां ऐसी सामने आ जाती हैं, जो किसी हिंदी फिल्म की कहानी की तरह ही लगती हैं। इसी बीच हाजीपुर से एक लड़की की भी कुछ ऐसी ही कहानी सामने आई है, जहां अपनों ने जब उसे ठोकर खाने के लिए छोड़ दिया तो गैरों ने ना सिर्फ उसे अपनाया बल्कि धूमधाम से उसकी शादी भी करवा दी।

दरअसल, आज हम आपको जिस असल जिंदगी की कहानी के बारे में बता रहे हैं यह हाजीपुर के दिग्घी गांव से सामने आई है जो यह बयां करती है कि दुनिया में इंसानियत आज भी जिंदा है। यह बात 5 जनवरी की है, जब एक लड़की भटकते भटकते दिग्घी गांव पहुंची।

यह लड़की अपना पेट भरने के लिए लोगों के घर-घर जाकर रोटी मांग रही थी लेकिन तभी एक महिला की नजर इस घर-घर भटक रही लड़की पर पड़ी, जिसमें गुड़िया नाम की इस लड़की को ना सिर्फ पेट भरने के लिए खाना खिलाया बल्कि इस महिला ने अपने घर में रहने के लिए उसको जगह भी दी।

मिली जानकारी के मुताबिक, जब महिला ने गुड़िया नाम की इस लड़की को अपने घर में रहने के लिए जगह दी तो दो-चार दिन के बाद यह बात पूरे इलाके में फैल गई, जिसके बाद कुछ असामाजिक तत्वों को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं आया और वह असामाजिक तत्वों लड़की को बेचने की प्लानिंग में जुट गए। जब जिस महिला ने गुड़िया नाम की इस लड़की को अपने घर में रखा हुआ था उसे इसकी भनक लगी तो उसने इस बात की जानकारी दिग्घी पूर्वी पंचायत की मुखिया आशा देवी के पुत्र को दी।

ग्रामीण स्तर पर मुखिया ने लोगों से बातचीत की जिसके बाद सोनपुर के रहने वाले अलख कुमार से उस लड़की का शादी करने का फैसला ले लिया गया और पूरे समाज ने मिलकर कोलकाता में चालक का काम करने वाले अलख और उसके परिवार को शादी के लिए तैयार कर धूमधाम से गुड़िया की शादी करवाई।

आपको बता दें कि गुड़िया नाम की लड़की खुद को नवादा जिले के मजगामा गांव की रहने वाली बताती है। लड़की का ऐसा बताना है कि उसके घर में उसके सौतेले मां-बाप रहते हैं जिसमें मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया था और वह काम की तलाश में इधर उधर भटक रही थी। भटकते भटकते वह ट्रेन से हाजीपुर आ गई।

लड़की ने बताया कि हाजीपुर में भी उसे काम कहीं भी नहीं मिला था। वह काफी दिनों से भूखी थी और खाने के लिए वह इधर-उधर दर-दर की ठोकरें खा रही थी। इसी बीच वह शहर के पास स्थित दिग्घी गांव पहुंची, जहां पर एक महिला ने उसे खाना खिलाने के साथ-साथ अपने घर में रहने का स्थान भी दिया।

आप सभी लोगों ने यह तो सुना ही होगा कि जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है। यह कहानी इस बात को सच साबित करती है। दिग्घी गांव के लोग भी इस लड़की के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं। गांव के लोगों ने इस लड़की को भूखे भेड़ियों का शिकार होने से बचाया है। इतना ही नहीं बल्कि उसकी शादी करवा कर उसका घर भी बसा दिया।

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