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कभी शादी-ब्याह में गाकर गुजारा करते थे जगजीत सिंह, मिला मौका तो बन गए ‘गजल सम्राट’

कल यानी 10 अक्टूबर को ‘गजल सम्राट’ जगजीत सिंह की पुण्यतिथि थी. उन्हें इस दुनिया को छोड़े हुए 9 साल बीत चुके हैं. साल 2011 में जगजीत सिंह का ब्रेन हैमरेज के चलते निधन हुआ था. भले ही जगजीत सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके गाये गाने आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. आज भी लोग उनके सदाबहार गजलों को सुनना पसंद करते हैं. आज की इस स्टोरी में हम आपको उनकी लाइफ से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं.

08 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जगजीत सिंह का जन्म हुआ था. बचपन में लोग उन्हें जगजीवन के नाम से जाना करते थे. कहा जाता है कि उन्हें अपना नाम पसंद नहीं था, जिस वजह से उन्होंने खुद अपना नाम बदलकर जगजीवन से जगजीत रख लिया था. सरकारी स्कूल से जगजीत सिंह ने अपनी पढ़ाई पूरी की थी. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने खालसा कॉलेज में एडमिशन लिया था.

बहुत लोगों को जानकारी नहीं होगी कि जगजीत सिंह ने लंबे समय तक ऑल इंडिया रेडियो जालंधर में काम किया था. यहां वह बतौर सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर काम किया करते थे. जगजीत सिंह ने संगीत में अपनी शिक्षा उस्‍ताद जमाल खान से ली थी. उनसे उन्होंने खयाल, ठुमरी और ध्रुपद में पारंगत हासिल किया था. जगजीत सिंह केवल हिंदी नहीं बल्कि पंजाबी, उर्दू, बंगाली, गुजराती, सिंधी और नेपाली भाषाओं में भी गजलें गाते थे.

बाकी कलाकारों की तरह एक सफल मुकाम तक पहुंचने के लिए जगजीत सिंह ने भी अपने जीवन में कड़ा संघर्ष किया था. अपने शुरूआती दिनों में जगजीत सिंह ब्याह-शादियों में गाकर अपना गुजारा किया करते थे. हालांकि मुंबई तो वे काम की लालसा से पहुंचे थे, लेकिन काम नहीं मिलने पर उन्होंने शादियों में परफॉरमेंस देनी शुरू कर दी थी.

बात करें जगजीत सिंह की पर्सनल लाइफ की तो उन्होंने चित्रा दत्ता को अपनी हमसफर के रूप में चुना था. साल 1969 में इन्होंने शादी रचाई थी. चित्रा की जगजीत सिंह से ये दूसरी शादी थी. पहली शादी से उन्हें एक बेटा था, जिसकी कार एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई थी. कहा जाता है कि बेटे की मौत के बाद चित्रा ने गाना छोड़ दिया था.

साल 1976 में रिलीज़ हुई जगजीत सिंह और चित्रा की एल्बम ‘The Unforgettable’ काफी हिट हुई थी. इसके बाद कपल का साल 1980 में एक और एल्बम ‘वो कागज की कश्ती’ आया, जो कि उस साल का बेस्ट सेलिंग एल्बम रहा था. उसी टाइम से जगजीत सिंह को ‘गजल किंग’ का तमगा मिल गया था. पद्मा भूषण अवार्ड से भी वे साल 2003 में सम्मानित हुए थे.

कभी लालटेन की लौ में अपनी पढ़ाई करने वाले जगजीत सिंह ने अपने नाम और संगीत की लौ पूरी दुनिया में जलाई. हमारे बीच नहीं होते हुए आज भी वह अपने गीतों के जरिये जिंदा हैं. उनकी आवाज़ सुनकर आज भी दिल को सुकून मिलता है.

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