धार्मिक

दिन में दो बार गायब हो जाता है शिव जी का ये मंदिर, दर्शन के लिए रोज बड़ी संख्या में आते हैं लोग

भगवान शिव जी को सावन का महीना अति प्रिय है। इस महीने में शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। सावन के पवित्र और पावन महीने में लोग मंदिरों में जाकर भगवान शिव जी की विशेष पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करते हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन माह में शिव मंदिरों के दर्शन करना, प्रमुख तीर्थों में जाना बहुत फलदायी होता है। इसी वजह से सावन महीने में देश के प्रमुख शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है।

वैसे देखा जाए तो भारत में भगवान शिव जी के ऐसे बहुत से मंदिर हैं, जो दुनियाभर में काफी मशहूर हैं। इन मंदिरों में दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। भगवान शिव जी के प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में से एक मंदिर गुजरात के वडोदरा में स्थित है। यह शिव मंदिर रोजाना दिन में दो बार गायब हो जाता है। जी हां, यह मंदिर भक्तों को दर्शन देने के बाद गायब हो जाता है और फिर नजर आने लगता है। इस रोमांचक घटना को देखने के लिए रोजाना ही दूर-दूर से बड़ी संख्या में लोग यहां पर पहुंचते हैं।

दिन में 2 बार पानी में डूब जाता है ये शिव मंदिर

दरअसल, आज हम आपको भगवान शिव जी के जिस मंदिर के बारे में बता रहे हैं, इसका नाम स्तंभेश्वर महादेव मंदिर है, जो गुजरात के वडोदरा से लगभग 40 किलोमीटर दूर जंबूसर तहसील में स्थित है। रोजाना स्तंभेश्वर महादेव मंदिर सुबह और शाम कुछ देर के लिए गायब हो जाता है। यह मंदिर समुंद्र में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण भगवान शिव जी के पुत्र कार्तिकेय ने अपने तपोबल से किया था।

यह मंदिर समुद्र में स्थित है और रोजाना ही दो बार गायब हो जाता है। कई लोगों को मंदिर का गायब होना एक चमत्कार लगता है। इतना ही नहीं बल्कि लोग अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना से लेकर इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते रहते हैं। रोजाना इस मंदिर के गायब होने के पीछे प्राकृतिक कारण है। दरअसल, दिनभर में समुद्र का जलस्तर इतना बढ़ जाता है कि मंदिर पूरी तरह से डूब जाता है फिर कुछ ही पलों में समुद्र का जलस्तर घट जाता है और फिर मंदिर पुनः दिखाई देने लगता है। ऐसा हमेशा सुबह और शाम के समय होता है।

भगवान शिव जी का अभिषेक करता है समुद्र

भगवान शिव जी के इस मंदिर का समुद्र में डूबना और फिर से नजर आने की घटना को श्रद्धालु समुद्र द्वारा शिवजी का अभिषेक करना बताते हैं। जब समुद्र का जलस्तर बढ़ना शुरू हो जाता है तो उस समय के दौरान श्रद्धालुओं के मंदिर में प्रवेश पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी जाती है।

स्कंद पुराण व शिव पुराण के रुद्र संहिता में स्तंभेश्वर तीर्थ को लेकर यह बताया गया है कि राक्षस ताड़कासुर ने कठोर तपस्या करके शिव जी से वरदान प्राप्त किया था कि उसका वध केवल शिवजी के पुत्र ही कर सकते हैं।

इसके बाद ताड़कासुर के उत्पात से लोगों को छुटकारा दिलाने के लिए सिर्फ 6 दिन के कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध कर दिया था। जिस स्थान पर राक्षस का वध किया था, वहीं पर यह शिव मंदिर बना हुआ है। ऐसा बताया जाता है कि करीब 150 वर्ष पूर्व इस मंदिर की खोज हुई है। बता दें यहां पर श्रद्धालु भगवान शिव जी के मंदिर का नजारा लेने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

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