मजबूर पिता बेटी के शव को अपने कंधे पर लादकर ले गया श्मशान घाट, किसी ने भी नहीं लगाया हाथ

जब से कोरोना वायरस का संकट शुरू हुआ है तब से ही लोग किसी न किसी प्रकार से काफी परेशान नजर आ रहे हैं। बीते साल जब कोरोना महामारी ने देश में दस्तक दी थी तो लॉक डाउन के दौरान लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा। धीरे-धीरे ऐसा लग रहा था कि सभी लोगों का जीवन पटरी पर आ जाएगा परंतु अचानक से ही कोरोना की दूसरी लहर का आतंक काफी तेजी से बढ़ गया। कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक साबित हो रही है कि रोजाना ही सैकड़ों लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि कई लोग कोरोना की वजह से अपनी जान भी गंवा चुके हैं।
करोना काल में ऐसे कई भयानक तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिनको देखकर इंसान सोचने पर मजबूर हो जाता है। अक्सर मौजूदा हालात को देखकर लोगों के मन में यही सवाल उठता है कि आखिर ऐसी क्या गलती इंसान से हुई है जो भगवान यह सब दिखाने में लगा हुआ है। करोना के इस बुरे दौर में देश भर से दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आ रही है। कहीं पर अस्पतालों में बेड, दवा और ऑक्सीजन ना मिलने की वजह से कोरोना मरीज अपना दम तोड़ रहे हैं तो कहीं मृतकों के शव गंगा में तैरते हुए नजर आ रहे हैं। इसी बीच पंजाब के जालंधर से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है।
मिली जानकारी के अनुसार यहां पर एक पिता अपनी 11 साल की बेटी के शव को कंधे पर लादकर श्मशान घाट ले गया। खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि 11 साल की बच्ची में कोरोना जैसे लक्षण थे, इसी वजह से कोई भी उसकी अर्थी को कंधा देने के लिए सामने नहीं आया। आखिर में मजबूर पिता करता भी क्या, वह अपनी बेटी की लाश को अपने कंधे पर लादकर श्मशान घाट तक ले गया और वहां पर उसने अपनी बच्ची का अंतिम संस्कार किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मृतक बच्ची के पिता का नाम दिलीप कुमार है और यह मूल रूप से उड़ीसा के रहने वाले हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि पिछले 2 महीने से उनकी 11 साल की बेटी जिसका नाम सोनू है, उसको बुखार आ रहा था। पिता ने जालंधर के सरकारी अस्पताल में अपनी बच्ची का इलाज कराया बाद में उसे अमृतसर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया। अमृतसर पहुंचने के बाद 9 मई को उनकी बेटी इस दुनिया को छोड़ कर चली गई। बेटी की मौत के बाद पिता पूरी तरह से टूट गया।
पिता अपनी बेटी के निधन के बाद उसकी अर्थी को कंधा देने के लिए लोगों से मदद की गुहार लगाते रहे परंतु किसी ने भी इस मजबूर पिता की पुकार नहीं सुनी। सभी लोगों ने मना कर दिया। ऐसा कोई भी शख्स सामने नहीं आया जो दिलीप कुमार की बेटी की अर्थी को कंधा दे। अंत में पिता अपनी बेटी की लाश को खुद कंधे पर उठाकर श्मशान घाट तक ले गया और वहां पर अपनी बेटी का अंतिम संस्कार किया। कोरोना काल में इसी तरह की भावुक कर देने वाली तस्वीरें और खबर सामने आ ही जाती हैं, जिनको जानकर मन बहुत ज्यादा दुखी हो जाता है।