विशेष

बच्चों की पढ़ाई के लिए जमा पैसों से अमरजीत ने बना ली ऑक्सीजन एंबुलेंस, अब कर रहे हैं सेवा

कोरोना महामारी के दौर में सभी लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है। हर तरफ लोगों के चेहरे पर निराशा साफ-साफ झलक रही है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर इतनी खतरनाक साबित हो रही है कि रोजाना ही कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इतना ही नहीं बल्कि अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की भारी कमी है, जिसके चलते लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।

लेकिन ऐसा नहीं है कि इस मुश्किल घड़ी में जरूरतमंदों की सहायता के लिए कोई भी सामने नहीं आया है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो लोगों के दुख दर्द को देखकर उनकी मदद के लिए सामने आए हैं। इसीलिए कहा जाता है कि हीरोज हमारे आसपास ही होते हैं। बस हम उनको पहचान नहीं पाते हैं।

आज हम आपको गुरुग्राम के एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो बेहद नेक काम कर रहा है। दरअसल, आज हम आपको अमरजीत के बारे बताने वाले हैं, जिन्होंने कोरोना महामारी के बीच जरूरतमंदों की मदद के लिए मुफ्त में ऑक्सीजन एंबुलेंस सेवा देने के लिए अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए जमा किए गए पैसे तक खर्च कर दिए हैं।

आपको बता दें कि कोरोना काल से पहले अमरजीत स्कूल कैब ड्राइवर हुआ करते थे परंतु अब वह लोगों को 24 घंटे ऑक्सीजन एंबुलेंस सेवा मुहैया करवाते हैं। उनकी कार में ऑक्सीजन सिलेंडर लगे हुए हैं। इसी के जरिए वह आज लोगों की जान बचाने का कार्य कर रहे हैं। अमरजीत जरूरतमंदों को मुफ्त में ऑक्सीजन एंबुलेंस सेवा प्रदान कर रहे हैं। अमरजीत ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि “मैं कोई संत नहीं हूं। मैं कुछ भी नहीं हूं। मैं बस एक छोटा सा काम कर रहा हूं।”

उन्होंने कहा कि अभी मेरे पास समय नहीं है। मैं एक मरीज को लेकर एम्स जा रहा हूं। मुझे माफ करना। जब मुझे फुर्सत मिलेगी, मैं आपसे जरूर बात करूंगा। पर मुझे यह नहीं पता कि मैं खाली कब होऊंगा क्योंकि मैं आधी रात तक काम पर रहता हूं।? अमरजीत का ऐसा कहना है कि मेरी 8 वर्षीय बच्ची है मैंने अपने बच्चों को बता रखा है कि उन्हें भी मुझसे कोरोना हो सकता है। बच्ची मुझसे कहती है कि पापा अगर हमें कुछ हो गया तो हम भगवान जी को यह बोल सकेंगे कि हमने कुछ अच्छा काम किया है। उनका परिवार ही उनकी प्रेरणा है उनकी पत्नी और उनकी दो बेटियां और एक बेटा उन्हें इस नेक कार्य के लिए प्रेरित करते हैं।

जब अमरजीत से यह सवाल पूछा गया कि मरीजों की सहायता के लिए वह पैसों का इंतजाम किस प्रकार से करते हैं तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि “उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए सात-आठ लाख रुपए जोड़ कर रखे हुए थे, जिसका उपयोग वह इन दोनों मरीजों की सहायता में कर रहे हैं। अमरजीत का ऐसा कहना है कि “पैसे तो वाहेगुरु फिर दे देगा। मगर इंसान वापस नहीं लौटेगा।”

आपको बता दें कि जब अमरजीत स्कूल कैब चलाया करते थे तो उनके कैब में एक बच्ची स्कूल जाती थी। उसके माता-पिता ने अमरजीत की कहानी लोगों के समक्ष रखी है। उन्होंने व्हाट्सएप पर एक मैसेज लोगों को शेयर किया था। उन्होंने लिखा था कि “आज में एक शख्स की कहानी शेयर करना चाहता हूं। जब सब ठीक था वह मेरी बेटी को स्कूल ले जाता था। मैं उसे एक बहुत ही जिम्मेदार कैब ड्राइवर के रूप में जानता था। वह एक संपन्न परिवार से नहीं है। उसे कभी-कभी मेरी बेटी की फीस का भुगतान करने के लिए मुझे फोन करना पड़ता था। उसे अपनी कार की मरम्मत और उसमें पेट्रोल बनाने के लिए हमेशा संघर्ष करता था। मगर अब नेक काम कर रहा है।”

उन्होंने लिखा कि “कल ही उसने मेदांता गुड़गांव से एक मरीज को पिक किया और उन्हें गाजियाबाद छोड़ा। उन्होंने इसके लिए पैसे भी नहीं लिए। मैंने उसे कार में एक डोनेशन बॉक्स रखने के लिए कहा। उसने हाथ जोड़कर कहा यह अच्छा नहीं लगता।” अमरजीत जैसे लोगों की कहानी जब भी सामने आती है तो इंसानियत पर भरोसा और मजबूत हो जाता है। अमरजीत की कहानी जो व्यक्ति पढ़ रहा है वह उनकी खूब तारीफ कर रहा है।

Related Articles

Back to top button