धार्मिक

चाणक्य नीति अनुसार मां के अलावा जीवन में 4 स्त्रियां होती हैं मां के समान, हमेशा कीजिए सम्मान

आचार्य चाणक्य अपने जमाने के एक महान विद्वान थे। उन्होंने अपनी नीतिशास्त्र में ऐसी बहुत सी बातें बताई हैं, जिनपर अगर व्यक्ति अमल करता है तो वह अपने जीवन को बेहद सरल बना सकता है। आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई बातें आजकल के समय में भी बिल्कुल कारगर साबित होती हैं। आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि किसी भी स्त्री का अपमान करना या फिर किसी स्त्री पर बुरी नजर रखना पाप के समान होता है। चाणक्य ने स्त्री को लेकर बहुत सी बातें बताई हैं।

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं एक महिला ही होती है जो व्यक्ति को इस दुनिया में लेकर आती है। स्त्री अपनी कोख में 9 महीने तक बच्चे को पालती है। व्यक्ति के जीवन में जन्म देने वाली मां का स्थान सबसे ऊपर होता है। मां अपने बच्चों की खुशी के लिए सब कुछ करने को तैयार रहती है। कभी भी मां अपने बच्चों को दुखी नहीं देख सकती। अपने बच्चों के चेहरे पर खुशी लाने के लिए माता हर प्रयास करती है।

माँ अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए कुछ भी न्यौछावर करने को तैयार रहती है परंतु अपनी मां के अलावा एक व्यक्ति के जीवन में चार ऐसी स्त्रियां होती हैं जो उसकी मां के समान होती है इसलिए व्यक्ति को कभी भी इनका अपमान नहीं करना चाहिए। आखिर जननी के अलावा व्यक्ति के जीवन में कौन सी चार स्त्रियां मां के समान होती हैं? चलिए जानते हैं क्या कहती है चाणक्य नीति…

श्लोक-

राजपत्नी गुरोः पत्नी मित्र पत्नी तथैव च
पत्नी माता स्वमाता च पञ्चैता मातरः स्मृता

राजा की पत्नी होती है मां के समान

आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि राजा ही अपनी प्रजा का पालनकर्ता होता है। राजा अपनी प्रजा के लिए हमेशा भलाई के कार्य करता रहता है, जिसकी वजह से राजा को पिता के समान दर्जा दिया जाता है। ऐसी स्थिति में राजा की पत्नी भी मां के समान मानी जाती है इसलिए भूल कर भी उनका अपमान नहीं करना चाहिए, उनका हमेशा सम्मान करें।

गुरु की पत्नी होती है मां के समान

वैसे देखा जाए तो एक बच्चे के जीवन में उसकी सबसे पहली गुरु उसकी मां ही मानी जाती है। एक मां अपने बच्चे को चलना सिखाती है। एक समय बाद गुरु ही वह व्यक्ति होता है जो व्यक्ति के जीवन को सही राह दिखाने का कार्य करता है। गुरु यह बताता है कि जीवन जीने का सही तरीका क्या है? गुरु का स्थान सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। व्यक्ति के लिए उसका गुरु एक पिता के समान है। जी हां, गुरु को पिता के समान दर्जा दिया जाता है। ऐसी स्थिति में गुरु की पत्नी मां होती है इसलिए उनका हमेशा व्यक्ति को आदर सम्मान करना चाहिए। आप भूल कर भी उनका अपमान मत कीजिए।

मित्र की पत्नी होती है मां के समान

आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि दोस्त या फिर बड़े भाई की पत्नी यानी भाभी का दर्जा मां के समान होता है। इसलिए उन्हें हमेशा मां के समान आदर-सम्मान करना चाहिए। कभी भी उनके ऊपर बुरी नजर ना डालें।

पत्नी की मां भी होती है मां के समान

आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि जिस प्रकार से आपकी मां का स्थान होता है उसी प्रकार से पत्नी की मां का भी स्थान होता है इसलिए पत्नी मां का सम्मान करना चाहिए।

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