चाणक्य नीति: कभी भूलवश इन 6 लोगों को लग जाए पैर तो तुरंत मांगे क्षमा, अन्यथा बनेंगे पाप के भागी
आचार्य चाणक्य अपने समय के एक महान विद्वान थे, जिन्होंने चाणक्य नीति नामक पुस्तक की रचना की थी। उन्होंने अपनी नीतिशास्त्र में ऐसी बहुत सी बातें बताई हैं जिनका अगर व्यक्ति पालन करता है तो वह अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है। आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई बातें मानव कल्याण के लिए बहुत उपयोगी साबित होती हैं। इन पर अमल करने वाला व्यक्ति अपने जीवन की हर परिस्थितियों का सामना कर सकता है।
आचार्य चाणक्य को अर्थशास्त्र का मर्मज्ञ होने की वजह से विष्णुगुप्त और कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने नंद वंश का नाश कर चंद्रगुप्त को गद्दी पर बैठा कर इतिहास की दिशा को एक नया मोड़ दिया था। आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई नीति शास्त्र की बातें आज भी बेहद लोकप्रिय हैं। इसमें जीवन को सरल और सुगम बनाने वाली नीतियों का वर्णन किया गया है।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में इस बात का उल्लेख किया है कि ऐसे 6 लोगों को भूल कर भी पैर नहीं लगाना चाहिए। उन्होंने ऐसे छह लोगों के बारे में बताया है कि अगर इनको भूलवश भी पैर लग जाए तो आप उनसे तुरंत क्षमा मांग लें अन्यथा आप पाप के भागी बन सकते हैं।
गाय
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में इस बात का वर्णन किया है कि व्यक्ति को गाय को पैर नहीं लगाना चाहिए। अगर कभी गलती से पैर लग भी जाता है तो आप तुरंत माफी मांग लें। सनातन धर्म में गाय को पूजनीय माना गया है। हिंदू धर्म को मानने वाले लोग गाय को माता का दर्जा देते हैं। गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास बताया जाता है। इसके अलावा गाय का दूध व्यक्ति को स्वास्थ्य प्रदान करता है और कई बीमारियों से बचाता है।
बड़े-बुजुर्ग
चाणक्य नीति अनुसार, भूलकर भी माता-पिता और बड़े बुजुर्गों का अपमान नहीं करना चाहिए, हमेशा आप उनका सम्मान करें। ऐसी मान्यता है कि जिस घर में बड़े बुजुर्गों का सम्मान नहीं होता वहां पर सुख-शांति नहीं होती है। अगर गलती से भी बड़े-बुजुर्गों को पैर लग जाए तो आप तुरंत उनके चरण स्पर्श करके क्षमा मांग लें।
कुंवारी कन्या
व्यक्ति को भूलकर भी कुंवारी कन्या को पैर नहीं लगाना चाहिए। चाणक्य नीति के अनुसार, इससे मनुष्य पाप का भागी बनता है। आपको बता दें कि कन्या को देवी का रूप माना गया है अगर कभी भूलवश आपसे कुंवारी कन्या को पैर लग जाता है तो आप उससे तुरंत क्षमा मांग लें।
गुरु
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में इस बात का जिक्र किया है कि कभी भी गुरु को पैर नहीं लगाना चाहिए। अगर गलती से कभी पैर लग जाए तो आप तुरंत क्षमा मांग लें क्योंकि गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना जाता है। अपने गुरु का हमेशा सम्मान करें। हर व्यक्ति का गुरु उसके जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। गुरु ही व्यक्ति के जीवन को सही मार्ग दिखाता है।
अग्नि
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में इस बात का वर्णन किया है कि अग्नि को भूलकर भी पैर नहीं लगाना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति अग्नि को पैर लगाता है तो वह खुद को नुकसान में डालता है। सनातन धर्म में भी अग्नि को देवता के रूप में माना जाता है। हिंदू धर्म में अगर कोई शादी-विवाह जैसे अन्य कोई शुभ कार्य होते हैं तो उसमें अग्नि को साक्षी मानते हुए सभी प्रकार के कार्य किए जाते हैं। अगर आपसे कभी गलती से अग्नि को पैर लग जाता है तो आप तुरंत क्षमा मांग लें।
शिशु
आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि अगर छोटे बच्चे या फिर शिशु को गलती से भी पैर लग जाता है तो आप तुरंत उससे क्षमा मांग लीजिए अन्यथा इसकी वजह से आप पाप के भागी बन सकते हैं। शिशु अबोध होता है और उसे भगवान का ही रूप माना जाता है।