मरने वाले व्यक्ति का सिर उत्तर दिशा में ही क्यों रखा जाता है? जाने इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण
मान्यताओं की माने तो सोते समय सिर को दक्षिण में जबकि पैरों को उत्तर दिशा में रखना चाहिए। इसकी वजह ये है कि सामान्य चुंबक को यदि शरीर से बांध दिया जाए तो वह हमारे शरीर के ऊत्तकों पर विपरीत प्रभाव डालता है। जब सामान्य चुंबक बॉडी पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है तो सोचिए उत्तरी पोल पर उपस्थित प्राकृतिक चुम्बक हमारे मन, मस्तिष्क व संपूर्ण शरीर पर कितना विपरीत प्रभाव डालते होंगे।
हालांकि आप ने नोटिस किया होगा कि जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो उसका सिर उत्तर दिशा की तरफ रखा जाता है। यह मृत्यु से जुड़ी कई परंपरों में से एक है। अब इस परंपरा का पालन तो कई लोग करते हैं लेकिन इसके पीछे की वजह बहुत कम ही जानते हैं। ऐसे में क्या आप ने कभी सोच है कि मृतक का सिर हमेशा उत्तर दिशा में ही क्यों रखा जाता है? आईए जानते हैं।
दरअसल हमारा शरीर भले नष्ट हो जाता है लेकिन आत्मा नश्वर होती है। वह कपड़ों की तरह शरीर बदलती है। जब हम मृतक का सिर उत्तर दिशा की ओर रखते हैं तो प्राणों का उत्सर्ग दशम द्वार से होता है। चुम्बकीय विद्युत प्रवाह भी हमेशा दक्षिण से उत्तर की ओर होता है। अब ऐसा कहा जाता है कि मरने के बाद कुछ पलों के लिए मृतक के प्राण मस्तिष्क में रहते हैं।
ऐसे में जब मृतक का सिर उत्तर दिशा में होता है तो ध्रुवाकर्षण के चलते उसके प्राण जल्दी निकल जाते हैं। यह उस स्थिति में लाभदायक होता है जब व्यक्ति की मृत्यु होने वाली है लेकिन उसे प्राण त्यागने में बेहद कष्ट हो रहा है। इसलिए शस्त्रों में मरने के ठीक पहले व्यक्ति के सिर को उत्तर दिशा में रखने की सलाह दी जाती है। इससे प्राण जल्दी और कम कष्ट के साथ निकलते हैं।
वहीं जब व्यक्ति की मौत हो जाए तो उसका सिर दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए। इसकी वजह ये है कि दक्षिण की दिशा मृत्यु के देवता यमराज की मानी जाती है। इसलिए दाह संस्कार के समय मृतक का सिर दक्षिण दिशा में रख हम उसे मौत के देवता यमराज को समर्पित करते हैं।
अब आप जान गए हैं कि मृतक का सिर हमेशा उत्तर की दिशा में ही क्यों रखना चाहिए। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे दूसरों के साथ शेयर करना न भूले। साथ ही इस तरह की दिलचस्प जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहे। हम आप तक इसी ही रोचक जानकारियाँ लेकर आते रहेंगे।