धार्मिक

करवा चौथ 2020: जानिये छननी से पति का चेहरा देख कर ही व्रत क्यों तोड़ती है सुहागिन महिलाएं

हर हिंदू महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत जरूर रखती है। इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं दिनभर व्रत रखती है और फिर रात में छननी के अंदर दीपक रख चांद के दीदार करती हैं। इसके बाद वे अपने पति का चेहरा भी छननी से देखती हैं। फिर पति अपनी पत्नी को पानी पीलाकर और मीठा खिलाकर उसका व्रत खोलता है।

ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा है कि आखिर महिलाएं करवा चौथ पर पति का चेहरा छननी से ही क्यों देखती है? दरअसल इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है जो इस प्रकार है। एक वीरवती नाम की महिला थी। इस महिला के 7 भाई थे और सभी अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे। एक साल वीरवती अपने मायके में थी और वहीं करवा चौथ पड़ गया। ऐसे में उसने पूरे विधि विधान से पति के नाम का व्रत रखा।

निर्जला व्रत रखने के करण वीरवती की तबीयत भी बिगड़ जाती है। ऐसे में भाई परेशान हो जाते हैं। वे बहन को जल्दी भोजन खिलाने के लिए एक योजना बनाते हैं। वे एक पेड़ की शाखा पर छननी के पीछे जलता हुआ दीपक रख देते हैं। इसके बाद बहन को बोलते हैं कि चाँद निकाल आया है तुम अपना व्रत खोल लो। भाई की बातों में आकर वीरवती झूठे चंद्रमा को अर्घ्य दे देकर भोजन करने बैठ जाती है।

वीरवती जब भोजन का पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा खाते ही उसके मुंह में बाल आ जाता है। फिर तीसरा टुकड़ा मुंह में रखते ही उसे अपने पति के मरने की खबर मिलती है। बाद में उसे झूठे चाँद की सच्चाई पता चलती है। वह फिर पूरे साल चतुर्थी पर निर्जला व्रत रखती है। इसके बाद जब करवा चौथ आता है तो पूर्ण विधि विधान से पूजा पाठ कर और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलती है। वह अपने पति के पुनः जीवित होने की कामना भी करती है।

इस दौरान वह पहले चंद्रमा को छननी से देखती है और फिर अपने पति का चेहरा देखती है। यह देख करवा चौथ माता उसकी मनोकामना पूर्ण करती है और उसका पति पुनः जीवित हो जाता है। अब इस कहानी के आधार पर यह मान्यता है कि महिलाएं छननी से चाँद और पति का चेहरा इसलिए देखती है ताकि कोई उनके साथ वीरवती जैसा छल न कर सके।

Related Articles

Back to top button