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इस दिन पड़ रही है ज्येष्ठ मास की दुर्गा अष्टमी, जानिए तिथि, पूजा विधि और इसका महत्व

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की 9 दिनों तक अलग-अलग पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्यौहार का बहुत महत्व माना गया है। ऐसा माना जाता है कि अगर नवरात्रि के पवित्र दिनों में सच्चे मन से विधि-विधान पूर्वक माता रानी की पूजा-अर्चना और उपासना की जाए तो इससे भक्तों की सारी मुराद पूरी होती है और माता रानी की कृपा से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आपको बता दें कि नवरात्रि में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को महाष्टमी कहा जाता है परंतु इसके अलावा भी प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भी मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत किया जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ मास में मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत 18 जून 2021 दिन शुक्रवार को किया जाएगा। हिंदू धर्म में मासिक दुर्गा अष्टमी का बहुत महत्व माना गया है। आपको बता दें कि महाअष्टमी के अलावा मासिक दुर्गा अष्टमी का दिन मां आदिशक्ति को प्रसन्न करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्त मां आदिशक्ति की आराधना करते हैं और व्रत रखते हैं।

ऐसी मान्यता है कि अगर इस दिन माता दुर्गा की पूजा और विधि-विधान पूर्वक व्रत किया जाए तो इससे उनकी कृपा दृष्टि भक्तों पर बनी रहती है और जीवन की सारी परेशानियां माता रानी दूर करती हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से मासिक दुर्गा अष्टमी शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

दुर्गा अष्टमी शुभ मुहूर्त

18 जून 2021 दिन शुक्रवार को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाएगा

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि आरंभ- 17 जून 2021 दिन बृहस्पतिवार रात 09:59 बजे से

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि समाप्त- 18 जून 2021 दिन शुक्रवार रात 08:39 बजे पर

जानिए मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत पूजा विधि

1. भक्तों को अष्टमी तिथि को सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के पश्चात साफ-सुथरे वस्त्रों का धारण करना होगा।

2. अब आप जिस स्थान पर पूजा कर रहे हैं वहां की ठीक प्रकार से साफ-सफाई कर लीजिए। उसके बाद गंगाजल छिड़क कर स्थान को शुद्ध कर लीजिए।

3. इसके बाद आप उस स्थान पर एक लकड़ी की चौकी बिछाएं और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कीजिए।

4. इसके बाद आप दुर्गा माता को लाल चुनरी अर्पित कीजिए और उनके समक्ष धूप, दीप जलाएं।

5. इसके बाद आप मां दुर्गा की अक्षत, सिंदूर और लाल पुष्प आदि से विधि-विधान पूर्वक पूजा कीजिए।

6. अब आप प्रसाद माता रानी को चढ़ाएं। माता रानी को फल और मिष्ठान अर्पित कीजिए।

7. अगर आप मां दुर्गा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उसके लिए दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं। जब आप पाठ पूरा कर लें तो उसके बाद मां दुर्गा की आरती उतारें और हाथ जोड़कर माता रानी से जाने-अनजाने में हुई गलती की क्षमा मांगे।

यहां जानिए दुर्गा अष्टमी व्रत का महत्व

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मासिक दुर्गा अष्टमी पर व्रत और पूजा करने वाले भक्तों के ऊपर मां दुर्गा की कृपा दृष्टि बनी रहती है। अगर कोई भक्त अपने सच्चे मन और भक्ति भाव से हर मासिक दुर्गा अष्टमी को व्रत करता है तो मां आदिशक्ति जगदंबे उस भक्त के जीवन के सारे कष्ट दूर कर देती हैं। जो भक्त दुर्गा अष्टमी का व्रत करता है उसकी रक्षा सभी संकटों से मां दुर्गा करती हैं। इतना ही नहीं बल्कि यह व्रत करने से जीवन में धन-समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, अष्टमी तिथि को ही मां आदिशक्ति ने महिषासुर का संहार किया था। ऐसी मान्यता है कि यह युद्ध 9 दिनों तक चला था। इसी वजह से नवरात्रि में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को महाअष्टमी के रूप में मनाया जाता है और हर माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत करते हैं।

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