धार्मिक

यहां की जाती है भगवान शिव के खंडित त्रिशूल की पूजा, मंदिर को सुध महादेव के नाम से जाना जाता है

जम्मू के पास शुद्ध महादेव मंदिर है। शुद्ध महादेव मंदिर में शिव जी के त्रिशूल की पूजा की जाती है। हैरानी की बात ये है कि ये त्रिशूल खंडित है। लेकिन फिर भी इसकी पूजा की जाती है। दरअसल हिंदू धर्म में खंडित मूर्तियों का पूजन करना वर्जित माना जाता है। लेकिन इस मंदिर में खंडित त्रिशूल का पूजन होता है।

इस मंदिर में रखे गए त्रिशूल को सदियों पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में आकर पूजा करने से हर कामना शिव जी पूरी कर देते हें। शुद्ध महादेव मंदिर में रखा गया ये त्रिशूल काफी विशाल है और इसके तीन टुकड़े जमीन में गड़े हुए हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में आकर देवी पार्वती पूजा किया करती थी और इस मंदिर के कुछ दूरी पर ही माता पार्वती की जन्म भूमि मानतलाई भी है।

इस मंदिर को 2800 वर्ष पूर्व बनाया गया था। हालांकि बाद में इस मंदिर का पुनर्निर्माण एक स्थानीय निवासी रामदास महाजन और उसके पुत्र ने करवाया था। इस मंदिर में त्रिशूल के अलावा एक प्राचीन शिवलिंग, नंदी और शिव परिवार की मूर्ति भी है।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

शुद्ध महादेव से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती मानतलाई से इस मंदिर में पूजन करने आती थी। एक दिन जब पार्वती मां यहां पूजा कर रही थी। तभी सुधांत राक्षस यहां आ गया और पार्वती से बात करने के लिए उनके समीप जाकर खड़ा हो गया। जैसे ही पार्वती मां ने पूजन समाप्त करने के बाद अपनी आंखे खोली, तो राक्षस को देखकर वो घबरा गई। घबराहट में वो जोर जोर से चिल्लाने लगी। पार्वती मां की चिलाने की आवाज कैलाश पर समाधि में लीन भगवान शिव तक पहुंची। महादेव ने बिना कोई देरी किए राक्षस को मारने के लिए अपना त्रिशूल कैलाश से फेका दिया। त्रिशूल आकर सुधांत के सीने में लगा।

बाद में शिव जी को ज्ञात हुआ की सुधांत राक्षस उनका भक्त है। शिव जी ने सुधांत राक्षस को फिर से जीवित करना चाहा लेकिन दानव सुधांत ने जीवित होने से मना कर दिया किया और कहा कि उनके हाथों मरने से उसे मोक्ष प्राप्त होगी। ये सुनकर शिव जी ने सुधांत राक्षस से कहा कि आज से तुम्हारे नाम पर ये जगह सुध महादेव के नाम से जानी जाएगी। साथ ही उन्होंने उस त्रिशूल के तीन टुकड़े करकर वहां गाड़ दिए। जिससे सुधांत राक्षस का वध किया गया था। ये त्रिशूल आज भी यहां पर मौजूद है। ये तीनों टुकड़े मंदिर परिसर में खुले में गड़े हुए है।

त्रिशूल के ऊपर किसी अनजान लिपि में कुछ लिखा हुआ है। जिसे की आज तक पढ़ा नहीं जा सका है। भक्त इस मंदिर में त्रिशूल का पूजन करते हैं और त्रिशूल का जलाभिषेक भी करते है। मंदिर के बाहर ही पाप नाशनी बाउली भी है। ऐसी मान्यता है की इसमें नहाने से सारे पाप नष्ट हो जाते है। मंदिर परिसर में एक ऐसा स्थान भी है जिसके बारे में कहा जाता है की यहाँ सुधान्त दानव की अस्थियां रखी हुई है।

शुद्ध महादेव  जम्मू से 120 किलो मीटर दूर पटनीटॉप के पास स्थित है। इस मंदिर को सुध महादेव के नाम से भी जाना जाता है। हर साल हजारों की संख्या में भक्त इस मंदिर में आकर पूजन करते हैं।

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