रामभक्ति में इस कदर डूबी 6 साल की बच्ची कि दंडवत अयोध्या तक पहुंचने की ठानी, तय किया 300 KM सफर
ऐसा कहा जाता है ना कि जितनी शक्ति उतनी भक्ति… भक्ति में शक्ति होती है और शक्ति से ही सबका कल्याण होता है। वहीं भगवान को सिर्फ भक्ति के माध्यम से ही पाया जा सकता है। यह सबसे सरल मार्ग है। इसी बीच छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का एक साधारण परिवार अपनी नन्हीं बच्ची के साथ करीब 752 किलोमीटर दूर अयोध्या की यात्रा पर निकला है। 6 साल की नन्हीं राम भक्त अयोध्या के दंडवत सफर पर रायपुर से निकल पड़ी है। इस सफर में उसके माता-पिता भी शामिल हैं।
इस वक्त यह परिवार करीब 300 किलोमीटर दूर शहडोल पहुंचा है। इस परिवार की यात्रा बेहद कठिन है। आपको बता दें कि यह पूरा परिवार इस यात्रा को किसी फ्लाइट, ट्रेन या बस से नहीं बल्कि सड़क पर दंडवत लेट-लेटकर कर रहा है। 6 साल की योगिता साहू भी राम भक्ति में डूबकर इसी तरह यात्रा कर रही है। इस यात्रा में उसके माता-पिता के साथ परिवार के कई लोग शामिल हैं।
शहडोल पहुंचने में लग गए 3 महीने
योगिता के पिताजी का नाम राकेश साहू है। उन्होंने बताया कि “मैं, मेरी पत्नी और हमारे परिवार से जुड़े कुल 16 लोगों का दल यात्रा पर निकला है। 3 महीने पहले शुरू हुई इस यात्रा में अब हम शहडोल पहुंचे हैं। हम रात किसी सामुदायिक भवन या पंचायत भवन में गुजारते हैं। इसके बाद सुबह से फिर आगे बढ़ते हैं।”
आपको बता दें कि यह परिवार अपने साथ कुछ गद्दे भी साथ लेकर चल रहा है ताकि शरीर पर इस यात्रा का कम नुकसान हो। यह परिवार सड़क पर गद्दे डालकर उस पर दंडवत लेट-लेटकर आगे बढ़ रहा है।
बारिश होती है तो बढ़ जाती है परेशानी
शहडोल पहुंचते ही इस परिवार को कुछ मुश्किल का सामना करना पड़ा। बारिश शुरू हो गई, तो सिर छुपाने को छत नहीं मिली। सड़क के किनारे ही ऑटो के साए में रात बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा। राकेश ने कहा कि जब बारिश होती है तो परेशानी बढ़ जाती है, मगर राम ने तो 14 साल का वनवास झेला था। हम तो उनके मुकाबले कुछ भी नहीं हैं।
अयोध्या पहुंचने के समय को लेकर राकेश ने कहा हम कब पहुंचेंगे, कह नहीं सकते। मगर विश्वास है हम पहुंचेंगे जरूर। राकेश बताते हैं कि हमारे साथ हमारे वॉलिंटियर्स भी साथ हैं। जिस ऑटो में चाट का ठेला लगाते थे, वही साथ चल रहा है। इसी में भगवान राम के भजन बचते हैं। उनकी तस्वीर साथ है। सुबह शाम उसकी आरती उतारी जाती है। राकेश ने बताया कि यह यात्रा शरीर पर असर डालती है। परिवार के सभी लोग मिलकर कुछ दूरी तक एक-एक कर यात्रा करते हैं।
दंडवत प्रणामी यात्रा मैहर, प्रयागराज होते हुए राम जन्मभूमि अयोध्या पहुंचेगी
आपको बता दें कि यात्रा के आयोजक राकेश साहू की हरिबोल निराश्रित एवं विकलांग उत्थान नाम की संस्था है। यह संस्था समाज के निराश्रित और विकलांगों के लिए कार्य करती है। राकेश साहू ने यह यात्रा 27 मई से रायपुर से शुरू की। पहले राजीव लोचन से होकर चंदखुरी राम जी के ननिहाल कौशल्या माता के मंदिर, वहां से महामाया मंदिर रतनपुर होते हुए 300 किलोमीटर का सफर तय कर अब यह यात्रा मध्यप्रदेश के शहडोल पहुंची। स दंडवत प्रणामी यात्रा मैहर, प्रयागराज होते हुए राम जन्मभूमि अयोध्या पहुंचेगी।
लॉकडाउन के समय हुआ था अहसास
राकेश साहू रायपुर में चाट का ठेला लगाते हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के समय काम पर प्रभाव पड़ा। भगवान राम का ध्यान लगाया करते थे। बाद में कुछ हालात में सुधार आया। राम मंदिर बनाए जाने की खबरें आईं, तो ख्याल आया कि एक यात्रा की जाए।
उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी संस्था के वॉलिंटियर्स और परिजनों से इस विषय में बात करके यह तय किया कि यात्रा तो करेंगे मगर दंडवत प्रणामी यात्रा करेंगे। इस तरह की यात्रा को बहुत ज्यादा कठिन माना जाता है। इसलिए भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए इसी तरह अयोध्या पहुंचना राकेश साहू ने चुना।