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मां बेचती थी चूड़ियां तो भाई चलाता था रिक्शा, मेहनत के दम पर होनहार लड़की बनी डिप्टी कलेक्टर

अगर इंसान के अंदर कुछ पाने की चाहत है और उसके लिए वह मेहनत कर रहा है तो वह चीज हासिल करने से उसको कोई भी नहीं रोक सकता है। चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, अगर इंसान मेहनत और लगन से कोशिश करे तो उसको सफलता अवश्य प्राप्त होती है। सफलता के मार्ग में बहुत सी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं और इन्हीं चुनौतियों को पार कर इंसान एक सफल व्यक्ति बनता है। आज हम आपको महाराष्ट्र का जिला नांदेड़ के छोटे से गांव जोशी सांगवी की रहने वाली वसीमा शेख के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई की और महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास कर कलेक्टर बन गई हैं।

आपको बता दें कि वसीमा जैसी आम लड़की से डिप्टी कलेक्टर बनने तक का सफर इतना आसान नहीं रहा था। वसीमा ने सफलता के मार्ग में बहुत सी मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया है, जिसके बाद उन्होंने अपना यह मुकाम हासिल किया है। वसीमा की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो लोग गरीबी के आगे हार मान जाते हैं और अक्सर लोग अपने भाग्य को दोष देने लगते हैं।

वसीमा का जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ था। आपको बता दें कि वसीमा चार बहनों और दो भाइयों में चौथे नंबर पर है। खबरों के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि वसीमा के पिताजी मानसिक रूप से ठीक नहीं थी। ऐसी स्थिति में घर की सारी जिम्मेदारी उनकी मां और भाइयों के कंधों पर आ गई थी। परिवार का गुजारा बहुत मुश्किल से चल पा रहा था। वसीमा की मां गांव में घर-घर जाकर महिलाओं को चूड़ियां बेचा करतीं थीं और उनका बड़ा भाई पुणे में ऑटो रिक्शा चलाकर कमाता था।

वसीमा का छोटा भाई छोटे-मोटे कार्य करके किसी प्रकार से घर के खर्च में सहायता करता था। जैसे-तैसे घर का गुजारा चल रहा था परंतु इन परिस्थितियों में भी घरवालों ने वसीमा की पढ़ाई का पूरा ख्याल रखा और वसीम भी अपनी मेहनत से लगातार पढ़ाई करती रही। वसीमा की शुरुआती पढ़ाई गांव से ही हुई थी। 12वीं के बाद उन्होंने महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी से BA में दाखिला लिया और साथ-साथ प्राइमरी टीचर के लिए एक डिप्लोमा बीपीएड भी किया। जब वसीमा की ग्रेजुएशन पूरी हुई तो बाद में उन्होंने 2016 में एमपीएससी परीक्षा की तैयारी आरंभ कर दी थी।

वसीमा का बड़ा भाई उनका पूरा ख्याल रखता था। उनका भाई यही चाहता था कि उसकी बहन की पढ़ाई ठीक प्रकार से हो सके और उसको पढ़ाई का माहौल भी अच्छा मिले, इसी वजह से उनका भाई अपनी बहन को पुणे लेकर आ गया था। पुणे में एक किराए पर मकान लेकर वह उसमें रहने लगे थे। वसीमा ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया और लगातार मेहनत करती रहीं। वह 12 से 15 घंटे तक बिना कोचिंग के पढ़ाई किया करती थीं और आखिर में उनको मेहनत का फल मिला।

वसीमा ने साल 2018 में MPSC की परीक्षा दी और सेल्स टैक्स इंस्पेक्टर पद के लिए वह सेलेक्ट हो गईं। उसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमिशन में महिला टॉपर लिस्ट में तीसरा स्थान प्राप्त किया। इस प्रकार से गरीबी को मात देते हुए वसीमा ने सफलता हासिल की। वसीमा अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां और भाई को देती हैं। वसीमा की सफलता की कहानी से युवाओं को प्रेरणा मिलती है। अगर पूरी लगन के साथ लगातार कोशिश की जाए तो एक ना एक दिन इंसान को सफलता अवश्य प्राप्त होती है।

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