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जैन मुनि की प्रेम कहानी : 16 की उम्र में ली दीक्षा, 38 की उम्र में हुआ प्यार अब प्रज्ञा दीदी से करेंगे शादी

इस समय जैन मुनि सुद्धांत सागर देश में चर्चा का विषय बने हुए है. उन्होंने पूरे 25 साल बाद अपनी तपस्या त्याग दी है. अब वह गृहस्थ जीवन जी रहे है. उनके साथ में एक प्रज्ञा दीदी भी है. इन दोनों ने ही पुलिस के सामने अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करने की बात कही है. मगर इन दोनों की प्रेम कहानी को लेकर रोज़ नए खुलासे हो रहे है. दमोह के बेलाग्राम से उजागर हुई इस प्रेम कहानी के बारे में आचार्य सिद्धांत सागर ने बड़ा दावा किया है. आचार्य सिद्धांत सागर ने खुलासा करते हुए कहा कि, सुद्धांत सागर व प्रज्ञा दीदी ने एक-दूसरे से शादी कर ली है.

suddhant sagar maharaj pragya didi

उन्होंने यह भी बताया कि, इनके बीच बीते तीन साल प्रेम प्रसंग चल रहा था. इनके प्रेम संबंधों के चलते ही प्रज्ञा दीदी को दमोह का बेलाग्राम आश्रम छोड़कर जाने को कहा गया था. इसी बात से नाराज़ होकर सुद्धांत सागर भी आश्रम छोड़ कर चले गए. आपको बता दें कि जैन मुनि सुद्धांत सागर महाराज का असली नाम राकेश जैन है. राकेश जैन मध्य प्रदेश के दमोह के टंडन बगीचा क्षेत्र के मूल निवासी है. उनके पिता का नाम मुलायम चंद्र है.

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जानकारी के मुताबिक राकेश जैन जब 16 वर्ष के थे तो उसी समय उन्होंने गुरु दीक्षा ली थी. मतलब वह सांसारिक मोहमाया वाला गृहस्थ जीवन त्याग कर मुनि बन गए थे. इस दीक्षा के साथ ही इनका नाम बदलकर राकेश जैन कर दिया गया था. आज के समय में सुद्धांत सागर की उम्र 41 वर्ष है. सुद्धांत सागर पर प्रज्ञा दीदी से पिछले 3 साल से प्रेम प्रसंग चलाने का आरोप है. इसके मुताबिक जब सुद्धांत सागर 38 साल के तभी से उनका प्रज्ञा के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है. ज्ञात होकि, झारखंड के गिरिडीह जिले में छोटा नागपुर पठार की एक पहाड़ी पर जैन समाज का दुनिया का सबसे बड़ा जैन तीर्थ स्थल बना हुआ है. यह शिखर जी के नाम से मशहूर है.

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सुद्धांत सागर पहले शिखरजी में ही रहा करते थे. आचार्य का दावा है कि मुनि सुद्धांत सागर के पिता मूलायम चंद्र ने आचार्य से आग्रह किया था कि उनका बेटा अभी शिखरजी में है, उसे चातुर्मास 2021 के लिए बेलाग्राम आश्रम में स्थान दिया जाए. इसके बाद ही सुद्धांत सागर एक महीने पहले ही शिखरजी से बेलाग्राम आये थे. उनके आने के बाद बेलाग्राम के आचार्य सिद्धांत सागर व उनकी बहन ने आरोप लाया लगाया कि शिखरजी में प्रज्ञा दीदी भी मौजूद थी. इसी दौरान प्रज्ञा दीदी और सुद्धांत सागर के बीच प्रेम प्रसंग शुरू हुए थे. इसी वजह से प्रज्ञा दीदी भी एक हफ्ते पहले बेलाग्राम आ गई थी. इसी दौरान दोनों के सम्बन्ध के बारे में सभी को पता चला था.

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इतना सब होने के बाद मुनि सुद्धांत सागर ने बताया, ‘बेलाग्राम में प्रज्ञा दीदी नाम की महिला एक हफ्ते भर पहले यहाँ रहने आई थी. हम दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई. मंगलवार प्रज्ञा बड़े मंदिर में बैठकर फोन पर किसी से बात कर रही थीं. आश्रम प्रमुख सिद्धांत सागर को शक हुआ तो उन्होंने प्रज्ञा को आश्रम छोड़कर जाने के लिए कहा. उन्होंने उसके साथ मारपीट भी की. बाद में शक के चलते मुझे भी मारा गया. घबराकर वहां से भागा और लिफ्ट लेकर थाने पंहुचा. अब जैन मुनि सुद्धांत सागर-प्रज्ञा दीदी का मामले में कहना है कि उनके संबंधों को गलत तरह से पेश किया गया और उनके साथ गलत व्यवहार किया गया. इससे उनकी काफी बदनामी हुई है. इसलिए वे अब गृहस्थ जीवन जीएंगे. दोनों शादी करेंगे.

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