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बेटी को अफसर बनाने का पिता का टूटा सपना, स्कूल फीस के कारण बिटिया ने दे दी जान

आजकल के समय में गरीबी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। देश के ज्यादातर लोग गरीबी की वजह से काफी परेशान हैं। गरीबी हमारे पूरे जीवन को प्रभावित करने का काम करती है। गरीबी एक ऐसी बीमारी है जो इंसान को हर तरीके से परेशान करती है। इसकी वजह से एक व्यक्ति का अच्छा जीवन, शारीरिक स्वास्थ्य, शिक्षा स्तर आदि जैसी सभी चीजें खराब हो जाती है। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कोरोना महामारी के बीच लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ चुकी है। ऐसे में लोग कई तरह से परेशान हो रहे हैं।

कोरोना वायरस की वजह से लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है। इसकी वजह से लोगों के रोजगार, काम-धंधे के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा पर भी प्रभाव पड़ रहा है। इसी बीच एक ऐसा मामला सामने आया है जिसको जानने के बाद आप भावुक हो जाएंगे। दरअसल, गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे बेटी को अफसर बनाने का एक पिता का सपना गुरुवार को उसकी मृत्यु के साथ टूट गया।

आपको बता दें कि यह मामला उन्नाव के एक स्कूल से आया है, जिसको जानने के बाद हर कोई हैरान हो गया है। यहां पर प्रधानाचार्य ने छात्रा को इसलिए उसको उसे स्कूल से बाहर निकाल दिया कि उसकी फीस जमा नहीं हुई थी। फीस के लिए प्रधानाचार्य की फटकार से आहत होकर 15 वर्षीय छात्रा स्मृति अवस्थी ने अपनी जान दे दी। उसकी मृत्यु से हर कोई हैरान है।

मिली जानकारी के अनुसार शादी के कई साल बाद सुशील और उसकी पत्नी रेनू की कोई भी संतान नहीं हुई। संतान सुख के लिए सुशील अपनी पत्नी रेनू के साथ कई धार्मिक स्थलों पर गए और वहां पर मत्था टेक कर मन्नतें मांगी। काफी मन्नतों के बाद स्मृति का जन्म हुआ था। उसके माता-पिता ने बेटी की परवरिश बेटे की तरह की। पिता ने दिन रात मेहनत की परंतु अपनी बेटी को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने दी। स्मृति अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी।

आपको बता दें कि 17 साल पहले सुशील अपनी पत्नी के साथ पैतृक गांव माखी के भदियार गांव से शहर आ गया था। पहले शुक्लागंज में किराए का मकान लेकर वह अपने परिवार के साथ रहने लगा। इसके बाद शहर के आदर्श नगर में 1600 रुपये में एक किराए का कमरा लेकर वह अपनी पत्नी और बेटी स्मृति के साथ रहने लगा था। पहले सुशील शराब मील में नौकरी किया करता था परंतु मौजूदा समय में वह हिरन नगर स्थित तंबाकू फैक्ट्री में 6000 प्रतिमाह वेतन में नौकरी करने लगा।

सुशील का यह सपना था कि वह अपनी बेटी स्मृति को पढ़ा लिखा कर अफसर बनाए और अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए वह दिन रात कड़ी मेहनत करने लगा। उसकी बेटी स्मृति भी पढ़ाई में बहुत होशियार थी। जब स्मृति दसवीं कक्षा में पहुंची तो पिता सुशील के सपनों को पंख लगने शुरू हो गए थे लेकिन अचानक ही गुरुवार को स्कूल में प्रधानाचार्य की फटकार से स्मृति बहुत दुखी हुई और उसने अपने जीवन की लीला को समाप्त कर ली।

बेटी की मृत्यु के बाद माता पिता पूरी तरह से टूट गए। मन्नतों के बाद जन्मी बेटी का शव देखकर पिता को इतना सदमा लगा की हालत बिगड़ने लगी और वह अपनी बेटी की अर्थी को भी कंधा ना दे सके। बेटी के गम में मां भी बेहोश हो गई। शुक्रवार को दोनों का एक क्लीनिक में इलाज कराया गया। अन्य परिजनों ने परियर घाट में स्मृति के शव का अंतिम संस्कार किया।

खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि सुशील और रेनू की हालत बहुत खराब हो गई थी। बेटी के गम में वह बेहोश हो गए थे। स्मृति के माता-पिता को परिजनों ने रसूलाबाद स्थित एक क्लीनिक में एडमिट कराया। परिजनों ने पुलिस की मौजूदगी में परियर घाट में शव का अंतिम संस्कार किया था। चाचा रमेश का ऐसा बताना है कि स्मृति काफी सीधे स्वभाव की थी। घर परिवार में भी कोई कुछ कह देता था तो वह दुखी हो जाती थी। परिजनों का ऐसा मानना है कि फीस के लिए पड़ रहे दबाव और पिता की बेबसी से आहत होकर स्मृति ने इतना बड़ा कदम उठाया।

बेटी के जाने के गम में सुशील और रेनू का इतना बुरा हाल हो रखा है कि वह दोनों रो-रो कर बेहोश हो जा रहे हैं। होश आने के बाद पिता का यही कहना है कि स्मृति का चेहरा उनकी आंखों के सामने बार बार घूम रहा है। स्कूल के प्रधानाचार्य द्वारा किए गए दुर्व्यवहार की वजह से बेटी की जान चली गई। वहीं जब प्रधानाचार्य सतेंद्र शुक्ला पर छात्रा को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का केस दर्ज हुआ तो बाद में शुक्रवार को सीओ सिटी कृपाशंकर और सदर कोतवाल अनिल सिंह एबी नगर स्थित स्कूल पहुंचे थे।

सदर कोतवाल अनिल सिंह का ऐसा बताना है कि स्कूल में मौजूद प्रधानाचार्य समेत अन्य स्टाफ के लोगों से जानकारी ली गई है। प्रधानाचार्य का ऐसा कहना है कि छात्रा की मां ने ₹2000 बुधवार को जमा कराएं और उन्होंने ₹2000 बाद में जमा करने की बात कही थी। पुलिस को उन्होंने 2000 रूपए की दी गई स्लिप का शेष भाग भी दिखाया। उन्होंने छात्रा को फटकार कर भगाने के लगे आरोप तो गलत ठहराया है। करीब 1 घंटे तक पुलिस के द्वारा जांच पड़ताल की गई, उसके बाद वह वापस आ गए। एसपी आनंद कुलकर्णी का ऐसा कहना है कि घटना से जुड़े हुए सभी तथ्यों पर उनके द्वारा जांच पड़ताल हो रही है।

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