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ऑटो चालक की बेटी ने जीता मिस इंडिया 2020 का खिताब, कभी भूखे पेट मान्या सिंह ने बिताई थीं रातें

अगर इंसान अपनी मंजिल पाने की ठान ले तो मार्ग में आने वाली सारी कठिनाई बुलंद हौसलों के आगे छोटी पड़ जाती हैं। अक्सर देखा गया है कि लोग अपने जीवन में कामयाबी पाने के लिए कठिन संघर्ष करते हैं परंतु ज्यादातर लोग कामयाबी के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों के आगे हार मान जाते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हर उतार-चढ़ाव और कठिनाई को पार करते हुए अपनी मंजिल हासिल करते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से मान्या सिंह के संघर्ष की कहानी के बारे में बताने वाले हैं।

आपको बता दें कि 10 फरवरी 2021 बुधवार को वीएलसीसी फेमिना मिस इंडिया 2020 में तेलंगाना में बतौर इंजीनियर काम कर चुकी वाराणसी की मनासा को विजेता घोषित किया गया था। हरियाणा की मनिका श्योकंद को वीएलसीसी फेमिना मिस ग्रैंड इंडिया 2020 घोषित किया गया था। वहीं मान्या सिंह को इस प्रतियोगिता में उपविजेता घोषित किया गया था। मान्या सिंह के लिए यह जीत उनके लिए बहुत मायने रखती थी।

मान्या सिंह ने यह मुकाम कठिन संघर्षों से प्राप्त किया है। उनके पिताजी एक रिक्शा चालक हैं। पिता ने अपनी बेटी की इस जीत के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की। मान्या को यह सफलता पाने के लिए बहुत सी कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। उनकी कामयाबी के मार्ग में बहुत सी बाधाएं उत्पन्न हुईं परंतु उन्होंने हर चुनौती का डटकर सामना किया। मान्या सिंह ने अपने संघर्षों की कहानी बताते हुए कहा था कि वह मिस इंडिया द्वारा अपनी यात्रा के बारे में बात करने के लिए दिए गए मंच का उपयोग करके वह दूसरों को प्रेरित करना चाहती हैं।

आपको बता दें कि दिसंबर के महीने में मिस इंडिया के अधिकारी इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया गया था, जिसके माध्यम से उन्होंने कहा था कि “मेरे खून, पसीने और आंसुओं से मैंने सपनों को आगे बढ़ाने की हिम्मत जुटाई है।” मान्या सिंह ने अपने पोस्ट में यह बताया था कि उनका जन्म कुशीनगर में हुआ था। उन्होंने बताया कि उनका पालन-पोषण बहुत कठिन परिस्थितियों में हुआ है। कई बार तो उन्होंने बिना भोजन के ही रातें व्यतीत की थीं। इतना ही नहीं बल्कि कुछ पैसे बचाने के लिए वह मीलों पैदल भी चली थीं।

मान्या सिंह ने अपने संघर्षों की कहानी बताते हुए कहा था कि वह किताबों और कपड़ों के लिए तरस गई थीं। उनकी किस्मत ने उनका कभी साथ नहीं दिया। मान्या सिंह ने अपनी पोस्ट में यह बताया कि वह दिन में पढ़ाई किया करती थीं और शाम के समय बर्तन धोती थीं। वह रात में कॉल सेंटर में नौकरी किया करती थीं। मान्या सिंह ने रिक्शा का किराया बचाने के लिए अलग-अलग जगहों तक घंटों तक पैदल चला है।

मान्या सिंह ने सोशल मीडिया की पोस्ट में यह बताया था कि उनके पिताजी रिक्शा चलाते थे। उनको स्कूल में किताब और फीस की परेशानी का सामना करना पड़ता था। इतना ही नहीं बल्कि उनके पिता रिक्शा चालक थे, जिसकी वजह से उनके साथ पढ़ने वाले बच्चे उनका मजाक बनाया करते थे। मान्या सिंह ने बताया कि उन्होंने एचएससी के दौरान सर्वश्रेष्ठ छात्र का पुरस्कार जीता था। उनका कहना है कि उनकी परीक्षा की फीस भरने के लिए उनके माता-पिता ने जो भी थोड़े बहुत गहने रखे थे, उनको उन्होंने गिरवी रख दिया था। मान्या सिंह का ऐसा मानना है कि शिक्षा सबसे मजबूत हथियार है, जो हर समय हमारे पास रह सकता है।

मान्या सिंह का ऐसा बताना है कि वह लोगों को यह दिखाना चाहती थीं कि सपने सच भी होते हैं। वह अपने भाई और माता-पिता के लिए प्रतियोगिता का हिस्सा बनीं और उन्होंने अपने सपनों को सच कर दिखाने की ठान ली। मान्या सिंह आगे भी मैनेजमेंट स्टडीज से जुड़ी हुई अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं। मान्या सिंह ने अपने जीवन में कठिनाइयों और कमियों को हराकर आज सफलता की ऊंचाइयां प्राप्त की है।

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