तालिबानी आतंकी से बचने के लिए अफगानिस्तान में महिलाएं जमकर खरीद रही है इन दो चीज़ों को
तालिबान ने जबसे अफगानिस्तान पर कब्ज़ा किया है. उसी समय से वह वर्ल्ड मीडिया में बना हुआ है. दुनिया का हर देश उसके हर कदम पर निगाहें बनाया हुआ है. अफगानिस्तान छोड़कर जाने वालों की संख्या भी काफी ज्यादा है. मगर इनके साथ कुछ लोग ऐसे भी है जो किसी न किसी वजह से तालिबान में रहने को मजबूर है. ऐसे लोग जिनके पास इतना पैसा नहीं है जो बाहर निकल सके. खबरे यह है कि, ये लोग जमकर कपडे खरीद रहे है. इसकी वजह इनका शोक नहीं बल्कि तालिबान का खौफ है. खबरों की माने तो इस देश में पगड़ी और हिजाब के दाम बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं.
आपको बता दें कि, पिछली 15 अगस्त से काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से लोगों में ये डर घर कर गया है कि, अब उन्हें इस देश में काफी सख्त पाबंदियों के साथ ही जीना पड़ेगा. इसका सीधा प्रभाव उन वस्तुओं के दामों पर भी देखने को मिल रहा है , जो तालिबान शासन में लोगों की जान बचाने के काम आएँगी. इन वस्तुओं में शामिल है हिजाब और पगड़ी. तालिबान ने आखरी बार शरिया कानून लागू करने के बाद पुरुषों के लिए पगड़ी और महिलाओं के लिए हिजाब पहनना जरुरी लिस्ट में शामिल कर दिया था.
इसी वजह से इस बार भी इस नियम की वापसी की आशंका को देखते हुए लोगों ने हिजाब और पगड़ी बाजारों से लेना शुरू कर दिया है. इसी वजह से इनके दामों में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इस बारे में जानकारी देते हुए एक दूकानदार ने बताया कि, पहले रोज़ महज़ 5 हिजाब ही बिका करते थे. लेकिन तालिबान के आने के बाद रोज 15 से 20 हिजाब बिकने लगे है. दामों में भी काफी असर देखने को मिला है. पहले हिजाब 1000 अफगानी करेंसी में बिकता था, मगर अब इसकी कीमत 1200 अफगानी हो गई है.
इस तरह का असर पगड़ियों के दामों में भी देखने को मिल रहा है. काबुल में पगड़ियां बेचने वाले अब्दुल मलिक कहते हैं कि पगड़ी की कीमत क्वॉलिटी के हिसाब से 300 से 3000 अफगानी तक हो सकती है. यही के एक दुकानदार का कहना है कि, पहले मैं रोज तकरीबन 6 पगड़ियां बेचा करता था. लेकिन पिछले कुछ दिनों में मैं रोज 30 तक बेच रहा हूं. काबुल में भी लोगों ने फिर से माना है कि, वह पगड़ी पहनना फिर से शुरू कर चुके है. यहाँ के रहने वाले एक नागरिक ने बताया कि, मैं पहले काराकुल (एक तरह की टोपी) पहनता था. लेकिन अब पगड़ी पहनना पसंद करता हूं. हां मुझे इसके लिए किसी ने दबाव नहीं डाला है.
बता दें कि इससे पहले तालिबान के कब्जे के एक हफ्ते के भीतर ही यहाँ बुर्के के दामों मे 10 गुना तक बढ़ोतरी की खबरे सामने आई थी. इस मामले में एक न्यूज़ चैनल ने एक महिला को कोट करते हुए लिखा था कि उसके घर में सिर्फ एक या दो बुर्के हैं. जिन्हे वह अपनी बहन और माँ के साथ भी शेयर करती है. इस बारे में उनका कहना था कि, अगर उनके पास बुर्का नहीं होगा तो उन्हें बाजार जाने से पहले खुद को ढंकने के लिए बेडशीट या किसी और कपड़े का इस्तेमाल करना होगा.