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मां ने कहा, मरने के बाद कौन देखता है मूर्ति.. तो बेटों ने जीवित मां की मूर्ति बनवाकर लगा दिया

बेटों ने अपनी जीवित मां की मूर्ति बनाकर दिवंगत पिता की मूर्ति के पास स्थापित किया

जैसा कि हम सभी लोग इस बात से भलीभांति वाकिफ हैं कि मां-बाप के बिना हर किसी का जीवन अधूरा होता है। मां-बाप की सेवा करना सबसे बड़ा फर्ज होता है। बच्चों के लिए उनकी मां सब कुछ होती है। वहीं बच्चे भी अपनी मां से बेहद प्यार करते हैं और उनकी इच्छा पूरी करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं।

अक्सर कई बार देखा गया है है कि जब किसी के माता-पिता का निधन हो जाता है तो उनके बच्चे उनकी तस्वीर घर में लगा लेते हैं या फिर समाधि स्थल पर उनकी प्रतिमा स्थापित करवा देते हैं। वैसे तो मूर्तियां बेजान होती है परंतु इन मूर्तियों के साथ ही लोगों की भावना जुड़ी होती है।

अगर किसी के माता-पिता का निधन हो जाता है तो उसके बाद बच्चे उनकी याद में उनकी मूर्ति बनवाते हैं परंतु आप सभी लोगों ने कभी जीवित व्यक्ति की मूर्ति बनवाने के बारे में सुना है? शायद ही आपको यह बात थोड़ी अजीब सी लग रही होगी परंतु देश में ऐसा संभव हो सकता है।

जी हां, ऐसे दो मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें जीवित व्यक्ति की मूर्ति बनवाई गई है। पहला मामला जोधपुर जिले का है, जहां सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजौर की जीवित प्रतिमा बनाई गई थी। दूसरा मामला सीकर के फतेहपुर क्षेत्र के खुड़ी गांव से सामने आया है। यहां पर दो बेटों ने अपनी जीवित मां की मूर्ति बनाकर दिवंगत पिता की मूर्ति के पास स्थापित करवा दी है और सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि यह मूर्ति मां के कहने पर ही लगाई गई है।

आपको बता दें कि सीकर जिले के फतेहपुर क्षेत्र से जो मामला सामने आया है यहां पर सतपाल और महेंद्र नाम के दो बेटों ने अपनी जीवित मां की मूर्ति बनाकर दिवंगत पिता की मूर्ति के पास स्थापित करवा दिया है और इस प्रतिमा को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पर पहुंच रहे हैं। सभी लोग यह देखकर काफी आश्चर्यचकित हो रहे हैं। इसके अलावा बेटों के द्वारा किए गए इस कार्य के लोग तारीफ भी कर रहे हैं। मूर्ति का अनावरण गुरुवार को फतेहपुर विधायक हाकम अली खान ने किया। इस दौरान उन्होंने माता-पिता की मूर्ति लगाने के काम को पुण्य कार्य बताते हुए थालौड़ परिवार की सराहना की।

आपको बता दें कि सतपाल और महेंद्र एक दिन आपस में बातचीत कर रहे थे कि मां के निधन के बाद उनकी मूर्ति बनवाकर लगा देंगे। तब मां ने दोनों की इस बात को सुन लिया था और वह उनसे बोलने लगी कि मरने के बाद कौन मूर्ति को देखने आएगा। अगर लगवाना हो तो अभी लगवा दो, जिसको मैं भी जी भर के देख लूँ। मां का आदेश था और वह टाल नहीं सके। लिहाजा अपनी जीवित माँ की मूर्ति बनवा कर दिवंगत पिता की मूर्ति के साथ स्थापित करवा दी।

आपको बता दें कि खुड़ी गांव के रहने वाले सतपाल और उनके छोटे भाई महेंद्र के पिता नत्थूराम थालौड़ का मई 2019 में निधन हो गया था। जब माँ ने कहा कि निधन के बाद मूर्ति कौन देखने आएगा, तब मां की ये छोटे सी बात सतपाल और महेंद्र के दिल को छू गई और उन्होंने पिता की मूर्ति के साथ ही मां की मूर्ति बनवाई। सतपाल और महेंद्र ने दो-तीन बीघा जमीन पर मां और पिता की मूर्तियां स्थापित की है। बाकी जगह पर बच्चों के खेलने और ग्रामीण के लिए सुबह घूमने के लिए बगीचा बनवाया है।

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