धार्मिक

इस मंदिर में शिवलिंग दिन में 3 बार बदलता है रंग, दर्शन मात्र से पूरी होती हैं भक्तों की इच्छाएं

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं हमारे भारत देश में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जो अपने किसी ना किसी विशेषता और चमत्कार के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इन मंदिरों में अक्सर ऐसे चमत्कार देखने को मिलते हैं जिसके बारे में जानकर या देखकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं। इसी बीच आज हम आपको ऐसे ही एक शिव मंदिर में स्थित प्राचीन और चमत्कारी शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी महत्ता को जानकर दूर-दूर से आज भी लोग यहां पर आते हैं और भगवान शिव जी की आराधना करते हैं।

दरअसल, आज हम आपको जिस चमत्कारी शिवलिंग के बारे में बता रहे हैं यह उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला में जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर विकासखंड बावन के सकाहा गांव में यह पौराणिक शिव मंदिर स्थित है। इस प्राचीन मंदिर की कई रोचक मान्यताएं और तथ्य जुड़े हुए हैं।

सभी के संकट हरते हैं भोलेनाथ

ऐसा माना जाता है कि यहां आने वाले लोगों के ऊपर किसी भी प्रकार का संकट क्यों ना हो, उसे भगवान शिव जी अवश्य दूर कर देते हैं। कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से पूजा अर्चना करने वालों पर बड़े से बड़ा संकट क्यों ना हो, उसे भोलेनाथ हर लेते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव जी का सिद्ध शिवलिंग मौजूद है, जिसके सामने अगर कोई भक्त सच्चे मन से अपनी मुराद मांगता है तो उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

भगवान शिव जी के इस मंदिर में प्रत्येक सोमवार महाशिवरात्रि और सावन के महीने में हजारों की संख्या में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। यहां तक भक्तों और श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए यहां भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती भी की जाती है। इस शिवलिंग को संकटहरण के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां पर भगवान शिव जी सभी के संकटों को हर लेते हैं और सबकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है यह शिवलिंग

इस प्राचीन शिवलिंग से तमाम चौकाने वाले रोचक तथ्य जुड़े हुए हैं। इस प्राचीन मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग की चमत्कारी महत्ता के कारण देश के दूर-दराज इलाकों से लोग यहां आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। ऐसा बताया जाता है कि सुबह के समय इस शिवलिंग का रंग भूरा होता है, तो दोपहर और शाम के बीच इसका रंग काला हो जाता है, वहीं रात्रि में इसका रंग सुनहरा हो जाता है। इतना ही नहीं बल्कि यह शिवलिंग पूर्व में छोटे आकार का था, जो आज बेहद विशाल हो गया है। ऐसा बताया कहा जाता है कि समय के साथ-साथ इस शिवलिंग के आकार में भी वृद्धि हो रही है। यहां के पुजारी और कुछ अन्य लोगों ने इस मंदिर के इतिहास की जानकारी दी और इसकी महत्ता को बताया।

अनंत गहराई तक है शिवलिंग

मंदिर के पुजारी सूर्य कमल गोस्वामी के द्वारा ऐसा बताया गया कि इस शिवलिंग का कोई छोर नहीं है। उन्होंने बताया कि 1951 में तत्कालीन थानाध्यक्ष शिव शंकर लाल वर्मा ने इस शिवलिंग को बेहटागोकुल थाना में स्थापित कराने के लिए यहां खुदाई करवाई थी। लगातार कई दिनों तक खुदाई कार्य चला, इसके बावजूद भी शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिला और नीचे से पानी आना शुरू हो गया।

तब दरोगा ने खुदाई रुकवा कर पानी जाने के बाद खुदाई शुरू कराने का निर्णय लिया। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव जी ने दरोगा के सपने में दर्शन देकर उनके शिवलिंग को यथावत रहने दिए जाने का आदेश दिया, तभी उस दरोगा ने यहां बने छोटे से साधारण मंदिर को एक भव्य और विशाल मंदिर में परिवर्तित करवा दिया था।

वही एक और प्रचलित किवदंती है वर्षों पूर्व एक सेठ लाला लाहौरी मल, जो बहुत धनी थे। उनके बेटे से ऐसा कोई अपराध धोखे से हो गया था जिसके बाद उनके बेटे को फांसी की सजा हो गई थी। तब घूमते टहलते इस शिवलिंग के महत्व और महिमा से अनजान सेठ लाहोरीमल ने दुखी मन से अपने बेटे की फांसी की सजा माफ किए जाने की मन्नत मांगी, तभी अगले दिन उसके बेटे को दी जाने वाली फांसी की सजा माफ हो गई और फिर तभी से सेठ ने इस मंदिर में निर्माण कार्य कराना आरंभ किया। इसी प्रकार से तमाम तथ्य इस शिवलिंग से जुड़े हुए हैं।

पौराणिक संकटहरण सकाहा शिव मंदिर में मौजूद इस विशाल शिवलिंग के इतिहास के बारे में आज तक लोगों को जानकारी नहीं है। इतना ही नहीं बल्कि तमाम खोजकर्ता यहां पर आए और चले गए परंतु कोई भी इस शिवलिंग के इतिहास की जानकारी जुटाने में सफल ना हो पाया। लोगों का ऐसा मानना है कि इसमें स्वयं भगवान शिव जी वास करते हैं। यह शिवलिंग एक स्वयंभू शिवलिंग है, जिसका प्राकट्य स्वयं हुआ था।

राजनेता भी आते हैं मन्नत मांगने

आपको बता दें कि इस मंदिर की आस्था जिले में ही नहीं बल्कि देश के अन्य भागों तक फैली हुई है। यहां तक कि कई राजनेता अपनी जीत की मनोकामना लेकर यहां पर पहुंचते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया, नरेश अग्रवाल जैसे दिग्गजों के द्वारा भी मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सहयोग राशि के पत्थर लगे हैं। इसके अलावा जिले के सभी विधायक, सांसद यहां पूजा करने के लिए आते हैं।

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