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आखिर पितृपक्ष में बाल और दाढ़ी क्यों नहीं कटवाते लोग, जानिए इसके पीछे क्या है कारण

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। पितृपक्ष को श्राद्ध भी कहते हैं। यह पर्व पित्तरों यानी कि मृत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है। पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए कई सारे प्रमुख स्थलों पर जाते हैं। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए श्रद्धाभाव से सभी धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए श्राद्ध करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

आपको बता दें कि इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 20 सितंबर से होने जा रही है और 6 अक्टूबर को इसका समापन होगा यानी 17 दिनों तक आप अपने पूर्वजों का श्राद्ध और बाकी चीजें विधि विधान पूर्वक कर सकते हैं। श्राद्ध के दिनों में लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं, जिससे उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिल सके।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देखा जाए तो पितृपक्ष यानि श्राद्ध के दिनों में लोग कई तरह के परहेज भी करते हैं। श्राद्ध के दिनों में लोग दाढ़ी और बाल नहीं कटवाते हैं। आखिर पितृपक्ष के दौरान किस वजह से लोग बाल और दाढ़ी नहीं कटवाते हैं? शायद ही किसी को इस बारे में पता होगा। तो चलिए जानते हैं आखिर इसके पीछे कारण क्या है।

इसलिए पितृपक्ष में बाल और दाढ़ी नहीं कटवाते लोग

आप सभी लोगों ने यह गौर किया होगा कि पितृपक्ष के दिनों में लोगों के बाल या फिर दाढ़ी चाहे कितने भी बड़े हो जाएं, परंतु वह नहीं कटवाते हैं। आपको बता दें कि पितृपक्ष में कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं जिनमें से एक पितृपक्ष के दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह शौक की चीजें होती हैं, इसी वजह से इन चीजों को काटने से मना किया जाता है और अब यह चीज परंपरा सी बन चुकी है, जिसका लोग पालन भी कर रहे हैं। पितृपक्ष के दौरान लोग दाढ़ी और बालों को कटवाने से परहेज करते हैं।

पितृपक्ष के दिनों में इन चीजों का करते हैं परहेज

1. पितृपक्ष के दौरान लहसुन और प्याज का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। श्राद्ध के दिनों में इन चीजों का परहेज करें क्योंकि यह चीजें तामसिक भोजन में आती हैं। इसी वजह से पितृपक्ष के दिनों में प्याज, लहसुन और मांस या फिर शराब का सेवन करने से बचना चाहिए।

2. ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के दिनों में बासी खाने का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। वहीं खासतौर पर जो भोजन करा रहा है और जिसे भोजन कराया जा रहा है। ऐसे लोगों को बिल्कुल भी बासी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

3. पितृपक्ष के दिनों में के दौरान खाने में मसूर की दाल को शामिल नहीं करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि श्राद्ध में कच्चा खाना जैसे दाल, रोटी, चावल आदि नहीं खिलाया जाता है। ऐसी स्थिति में दही भल्ले और कचोड़ी आदि बनाने के लिए उड़द और मूंग की दाल का प्रयोग किया जा सकता है परंतु मसूर की दाल का इस्तेमाल श्राद्ध के दौरान नहीं करना चाहिए।

4. पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मचार्य व्रत का पालन करना जरूरी है। इस दौरान पति-पत्नी को थोड़ा संयम रखना चाहिए।

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