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इन 12 स्टेशनों से हो कर गुजरेगी दिल्ली – बनारस बुलेट ट्रैन, 865 KM की दुरी 4 घंटे में होगी पूरी

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं आदिमानव द्वारा पहिए का आविष्कार किए जाने के बाद मानव ने विभिन्न प्रकार के वाहन बनाएं। जहाज, रेलगाड़ी और वायुयान के आविष्कार ने यातायात के साधनों को तकनीक संपन्न बनाया और नई रफ्तार दी। इसी बीच पटरियों पर सबसे तेज गति से दौड़ने वाली “बुलेट ट्रेन” का आविष्कार इस क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ। इन दिनों भारत में बुलेट ट्रेन चलाए जाने की चर्चा जोरों शोरों पर है।

आपको बता दें कि तेज रफ्तार और वायुगीतक आकृति की वजह से ही इस रेलगाड़ी का नाम “बुलेट ट्रेन” रखा गया है। प्रदेश को आधुनिक सुविधाओं से लैस कराने में एक कदम आगे बढ़ाते हुए दिल्ली से बनारस के बीच बुलेट ट्रेन का खाका तैयार कर लिया गया है। जी हां, बुलेट ट्रेन का रूट कन्नौज से कानपुर के अरौल व मकनपुर होते हुए उन्नाव के बांगरमऊ से होगा। सितम्बर महिनें के अंत तक नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) इससे संबधित डीपीआर (DPR) तैयार करके मंत्रालय को भेजेगा।

आपको बता दें कि फिलहाल बिल्हौर को कानपुर से कासगंज लाइन जोड़ती है। इसके लिहाज से बुलेट ट्रेन का एक और स्टेशन यहां बना दिया जाए तो शहर को भी कनेक्टिविटी मिल जाएगी। उत्तर मध्य रेलवे जनसंपर्क अधिकारी के अनुसार यह बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है, इसी वजह से इसकी निगरानी की सारी जिम्मेदारी सीधे रेल मंत्रालय की ही होगी। ऐसी स्थिति में पूर्व निर्धारित रूट से छेड़छाड़ की संभावनाएं भी नहीं होगी क्योंकि कानपुर को बुलेट ट्रेन से कनेक्टिविटी की मांग चल रही है, ऐसे में इस पर विचार किया जा रहा है।

इस बुलेट ट्रेन की सबसे खास बात यह होगी कि यह 865 किलोमीटर का सफर दिल्ली से बनारस के बीच महज 4 घंटे में पूरी कर लेगी। एनएचएसआरसीएल के अधिकारी अशोक बिजलवान का ऐसा कहना है कि बुलेट ट्रेन की स्पीड बहुत ज्यादा होती है, इसी वजह से दिल्ली से बनारस के बीच 865 किलोमीटर की दूरी ये ट्रेन 4 घंटे में पूरी करेगी। ऐसे में इसे ज्यादा कर्व (घुमाव) नहीं दिया जा सकता। इसे सीधा रखना मजबूरी बन जाती है। उन्होंने बायता कि कानपुर शहर लाने के लिए रूट को मोड़ना पड़ेगा जो ट्रेन की स्पीड को देखते हुए ठीक नहीं होगा।

बता दें कि बुलेट ट्रेन के लिए दिल्ली से वाराणसी के बीच कुल 12 स्टेशन प्रस्तावित हैं। यह ट्रेन दिल्ली के सराय काले खां स्टेशन से शुरू होकर वाराणसी के बनारस स्टेशन जो मंडुआडीह स्टेशन का परिवर्तित नाम है, तक जाएगी। दिल्ली से वाराणसी के बीच सफर के दौरान यह ट्रेन नोएडा, मथुरा, आगरा, इटावा, कन्नौज, लखनऊ, अयोध्या, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही और वाराणसी जैसे प्रमुख स्टेशनों से गुजरेगी। इससे संबंधित पूरी डिटेल रिपोर्ट यानि डीपीआर 30 सितंबर तक रेल मंत्रालय को सौंप दी जाएगी।

खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि अधिकारी का ऐसा कहना है कि इस कार्य की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट 30 सितंबर तक रेल मंत्रालय को देनी है। इस पर कार्य चल रहा है। इसके साथ ही देश में बनाए जा रहे बुलेट ट्रेन के अन्य रूटों पर 2023 तक डीपीआर रेल मंत्रालय को सौंपी दी जाएगी। साल 2030 तक देश में आने-जाने के लिए अच्छे और आधुनिक कनेक्टिविटी का लाभ मिलने वाला है।

आपको बता दें कि इस दिशा में वाराणसी से हावड़ा (760 किलोमीटर), मुंबई से नागपुर (753 किलोमीटर), दिल्ली से अहमदाबाद (866 किलोमीटर), चेन्नई से मैसूर (435 किलोमीटर), दिल्ली से अमृतसर (459 किलोमीटर), मुंबई से हैदराबाद (711 किलोमीटर) तक बुलेट ट्रेन की रूटें प्रस्तावित हैं।

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