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कन्यादान के खिलाफ आलिया और मान्यवर को बोलना पड़ा महंगा, लोगों ने ट्रेंड किया #BoycottManyavar

कपड़ों के जाने माने ब्रांड मान्यवर-मोहे का एक शादी का विज्ञापन इन दिनों भारत में सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है. बुधवार देर रात और गुरुवार की सुबह के दौरान भारत में ट्विटर पर #BoycottManyavar भी ट्रेंड करने लगा. इस एडवरटाइजमेंट में बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) को दिखाया गया है.

alia bhatt

भारत में मान्यवर मुख्य रूप से पुरुषों की शेरवानी, शादी के फैशनेबल कुर्ते के लिए जाना जाता है, जबकि “मोहे” महिलाओं के लिए है, जिसमें दुल्हन के फैंसी कपड़े और पार्टी वियर कपड़े आते हैं. इस विवादित नवीनतम विज्ञापन में, जहां बॉलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट को एक हिंदू विवाह ‘मंडप’ में दिखाया गया है, जो शादी की अंतिम रस्मों का इन्तजार कर रही है. यह विज्ञापन विशेष रूप से इस बात पर केंद्रित है कि भारत में लड़कियों को कितनी बार बोझ माना जाता है और कभी-कभी शादी को केवल एक दायित्व के रूप में देखा जाता है.

इस विज्ञापन में आलिया सवाल करती नजर आती हैं कि, क्यों शादी में लड़कियों को दान देने की प्रथा है. क्या हमें आज के युग में इसे करना चाहिए? वे कहती हैं कि बेटियां संपत्ति नहीं हैं. आलिया आखिर में कहती हैं कि “कन्या दान” की जगह “कन्या मान” होना चाहिए. इस विज्ञापन का उद्देश्य समाज और प्रथा में मौजूद लिंगवाद को दिखाना और आधुनिक भारत में भी महिलाओं के साथ व्यवहार को सामने लाना था. मगर कई लोगों ने इसे हिन्दू धर्म की प्रथाओं पर हमले के रूप में देखा. इसी के साथ लोगों ने #BoycottManyavar की अपील करते हुए ट्विटर पर कन्या दान प्रथा का बचाव भी किया.


सोशल मीडिया पर हुआ भारी विरोध
लोगों के गुस्से का शिकार सिर्फ मान्यवर ब्रैंड ही नहीं हो रहा बल्कि आलिया भट्ट भी निशाने पर आ गईं हैं. एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा है कि सनातन धर्म में अगर किसी पिता को कन्यादान का मौका मिलता है तो उसे काफी भाग्यशाली माना जाता है.


वही एक अन्य यूज़र ने लिखा, ‘केवल हिंदू रीति-रिवाजों और परंपराओं को ही क्यों निशाना बनाया जाता है जबकि अन्य धर्मों के वास्तविक दमनकारी रीति-रिवाजों को ब्रांडों से मुफ्त पास मिलता है ??? ‘


एक ने लिखा ‘कपड़ों के ब्रांड ‘मान्यवर’ का विज्ञापन हिंदू अनुष्ठान ‘कन्यादान’ को एक दमनकारी प्रथा के रूप में चित्रित करता है और एक विकल्प के रूप में ‘कन्यादान’ का सुझाव देता है.’ एक यूजर ने कहा है कि ये बिल्कुल बेकार बात है, कुछ लोग मार्केटिंग के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं. वहीं एक यूजर ने इन सब लोगों की चुटकी लेते हुए लिख दिया है कि मान्यवर का बहिष्कार करने की बात कहने वाले 90 फीसदी लोग ऐसे होंगे जो मान्यवर के कपड़े खरीदने की हैसियत भी नहीं रखते होंगे.


कई लोगों ने इस बारे में भी कहा कि कन्यादान वस्तुतः दान नहीं है, या ‘दान’ जैसा कि नाम से पता चलता है. आपको बता दें कि मान्यवर इस प्रथा के बारे में बात करने वाले पहले नहीं है. इससे पहले वर्ष 2019 में ट्विटर पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमे दुल्हन के पिता ने शादी में एक भाषण दिया था. उसमे कहा था कि, बेटी कोई देने की सम्पति नहीं है. उस समय भी सोशल मीडिया पर कई लोगों ने पिता द्वारा इस प्रथा को छोड़ने के ऊपर आपत्ति जताई थी.

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