जब रत्ना पाठक से शादी करने पर नसीरुद्दीन की माँ ने पूछा- क्या वह इस्लाम कबूल करेगी
नसीरूद्दीन ने 16 साल बड़ी लड़की से की थी पहली शादी, बाद में 8 साल छोटी रत्ना पाठक से की दूसरी शादी
अपने बेहतरीन अभिनय से एक्टिंग का लोहा मनवा चुके अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने अपने करियर में करीब 100 से भी अधिक फिल्मों में काम किया है। नसरुद्दीन शाह को नेशनल अवार्ड से लेकर फिल्म फेयर अवार्ड तक से सम्मानित किया जा चुका है। आज हम आपको बताएंगे नसरुद्दीन की शादी से जुड़ा एक ऐसा किस्सा जिसे कम ही लोग जानते हैं।
बता दें, नसरुद्दीन शाह की पहली शादी परवीन मुराद से हुई थी। कहा जाता है कि, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान नसरुद्दीन और परवीन का प्यार परवान चढ़ा। परवीन स्टूडेंट वीजा पर भारत आई थी। ऐसे में पढ़ाई पूरी होने पर ही उन्हें भारत छोड़ने का नोटिस मिल गया। नसीर ने अपनी आत्मकथा में बताया कि, वह परवीन को अपने से अलग नहीं करना चाहते थे। वहीं परवीन भी भारत नहीं छोड़ना चाहती थी। ऐसे में नसरुद्दीन ने परवीन से शादी कर ली और उन्हें भारत में ही रोक लिया।
बता दें, इस दौरान नसरुद्दीन शाह महज 20 साल के थे तो वहीं परवीन 36 साल की थी। शादी के 1 साल बाद ही परवीन और नसीर के घर बेटी हिबा का जन्म हुआ। लेकिन इसके बाद ही परवीन और नसीर एक-दूसरे से अलग हो गए। वहीं हिबा अपनी मां के साथ ईरान चली गई।
इसके बाद नसीरुद्दीन शाह अभिनेत्री रत्ना पाठक के करीब आए और उन्होंने जल्द ही रत्ना पाठक से शादी करने का फैसला कर लिया। लेकिन रत्ना पाठक के हिंदू होने पर जब नसीर ने अपनी मां से इस बात का जिक्र किया तो उनकी मां ने उनसे पूछा कि क्या रत्ना पाठक इस्लाम कबूल करेगी? ऐसे में नसीर ने कहा कि, वह रत्ना को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर नहीं करेंगे। नसरुद्दीन के जवाब से उनकी मां कुछ देर तक कुछ नहीं बोली और उन्होंने रत्ना से शादी करने के लिए मौन सहमति दे दी।
खबरों की माने तो साल 1982 में रत्ना की माँ दीना पाठक के घर पर इस जोड़ी ने रजिस्टर्ड मैरिज की थी। नसीर और रत्ना पाठक की शादी होने के बाद उनकी पहली पत्नी परवीन की बेटी हिबा भी इन्हीं के साथ रहने लगी थी। हिबा का पालन पोषण भी रत्ना पाठक के दोनों बेटे इमाद और विवान के साथ-साथ हुआ।
बता दें, नसीरुद्दीन शाह ने अपने करियर की शुरुआत साल 1975 में फिल्म ‘निशांत’ से की थी। साल 1971 में नसीरुद्दीन अभिनय की दुनिया में नाम कमाने का जज्बा लिए दिल्ली नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा स्कूल में एडमिशन लिया था। इस दौरान नसीर की मुलाक़ात मशहूर निर्माता और निर्देशक श्याम बेनेगल से हुई। कहा जाता है कि, नसीर से मिलने के दौरान श्याम बेनेगल फिल्म ‘निशांत’ बनाने की तैयारी में थे जिसके चलते उन्हें एक बेहतरीन कलाकार की जरूरत थी।
ऐसे में उनकी नजर नसीरुद्दीन शाह पर पड़ी और उन्होंने अपनी फिल्म में काम करने का मौका दिया। इस फिल्म के बाद से नसीरुद्दीन शाह की किस्मत चमक गई और फिर उन्होंने हिंदी सिनेमा को ‘निशांत’ समेत ‘आक्रोश’, ‘मिर्च मसाला’, ‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’, ‘जुनून’, ‘मंडी’, ‘अर्ध सत्य’, ‘जाने भी दो’ जैसी बेहतरीन फिल्में दी है। नसीरुद्दीन शाह लगभग पांच दशकों से बॉलीवुड इंडस्ट्री का हिस्सा है।