कभी 100 रु के लिए 6 महीने तक तरसते रहे जीतेन्द्र, आज1500 करोड़ से ज़्यादा संपत्ति के मालिक हैं
हिंदी सिनेमा में अमिताभ और धर्मेंद्र के दौर में अगर किसी अभिनेता ने अपनी गहरी छाप छोड़ी थी तो वह थे अभिनेता जितेन्द्र. जितेन्द्र उन कलाकारों में शामिल होते है जिन्होंने शुरू से ही गरीबी देखीं है. जितेंद्र ने बचपन से ही आर्थिक परेशानी का सामना किया है. एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म लेने वाले अभिनेता ने फर्श से अर्श तक का शानदार सफ़र तय किया है.
उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें ये मुकाम दिलाया है. अपने करियर में रिकॉर्ड हिट फिल्में देने वाले जितेंद्र को पहली फिल्म महज़ 100 रुपये प्रतिमाह में साइन करनी पड़ी थी. इतने कम पैसों के लिए भी उन्हें महीनों इंतजार करना पड़ा था.
गौरतलब है कि, कभी मुंबई में चॉल में रहकर जितेन्द्र अपने दिन गुजारते थे. जब वह कॉलेज में पहुंचे तो उनके पिता चल बसे. जितेन्द्र के पिता का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ था. ऐसे में पूरे घर की जिम्मेदारी जितेन्द्र के कंधों पर आन पड़ी थी. ऐसे में काम-काज की बागडोर अभिनेता ने अपने हाथों में ले ली. इसके बाद जितेन्द्र ने फ़िल्मी दुनिया में करियर बनाने की मन में ठान ली. यहाँ उनके पिता की थोड़ी-बहुत जान-पहचान काम आ गई. उनके पिता फिल्मों के लिए ज्वैलरी सप्लाई किया करते थे.
आज हम जितेन्द्र के जिस किस्से के बारे में आपको बताने जा रहे है उसका खुलासा मशहूर अभिनेता अनु कपूर ने किया था. अनु ने एक बार अपने रेडियो शो में बताया था कि सबसे पहले जितेन्द्र फिल्ममेकर वी शांताराम के पास काम के लिए मिलने गए थे. जितेन्द्र ने उनसे फिल्म में काम माँगा. हालांकि वहां से उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा. मगर कुछ दिनों के बाद वी शांताराम ने खुद फोन लगवाकर जितेन्द्र को अपने पास बुलाया.
जितेन्द्र को फिल्म में काम तो मिला लेकिन वह एक जूनियर आर्टिस्ट के रूप में काम कर रहे थे. उस फिल्म का नाम था ‘सेहरा’. यह फिल्म वर्ष 1963 में रिलीज़ की गई थी. जितेन्द्र से कहा गया था कि उन्हें हर रोज़ फिल्म के सेट पर आना है जिस दिन कोई जूनियर आर्टिस्ट नहीं आएगा, उन्हें उसकी जगह काम करना पड़ेगा. इस काम के लिए उन्हें एक महीने के 105 रूपये देने की बात हुई थी.
वी शांताराम ने ऐसे बदल दी जीतेंद्र की जिंदगी
यह बात बहुत ही कम लोगों को पता है कि जितेन्द्र का असली नाम रवि कपूर था. मगर वी शांताराम ने फ़िल्मी दुनिया में आगाज़ करने से पहले यह नाम बदलकर उन्हें जितेन्द्र नाम दे दिया. ‘सेहरा’ फिल्म से तो जितेन्द्र को कोई फायदा नहीं हुआ. बाद में वी शांताराम ने अपनी आगामी फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने’ के लिए जितेन्द्र को ही लीड अभिनेता के तौर पर ले लिया.
लीड रोल मिलने के बाद जितेन्द्र की फीस बढ़ने की जगह कम हो गई. जितेन्द्र से शांताराम ने कहा कि उन्हें ब्रेक दिया जा रहा है तो पैसे इतने ही मिलेंगे. इस फिल्म के लिए उन्हें 100 रुपए प्रति माह पर साइन किया गया था. मगर उन्होंने 6 महीनों तक बिना किसी पैसे के काम किया था.
इस फिल्म के बाद अभिनेता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. जितेन्द्र ने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक हिट फ़िल्में दी. जितेंद्र आज टोटल 1500 करोड़ (200 मिलियन डॉलर) की संपत्ति के मालिक हैं. जितेंद्र के पास मुंबई, जुहू में एक आलीशान बंगला है जिसकी कीमत 90 करोड़ से ज्यादा है. आज जितेंद्र एक सफल प्रोड्यूसर है. वह ‘बालाजी टेलीफिल्म्स’, ‘ऑल्ट एंटरटेनमेंट’ और ‘बालाजी मोशन पिक्चर्स’ जैसे काफी बड़े और नामचीन प्रोडक्शन हाउस के चेयरमैन हैं.