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कंगाल नहीं हुए KBC में 5 करोड़ जीतने वाले सुशील कुमार, अब कई गुना बढ़ गई इनकी संपत्ति

पॉपुलर गेम रियलिटी शो कौन बनेगा करोड़पति का 14वां सीजन शुरू हो चुका है। केबीसी का नया सीजन शुरू होने के साथ ही एक खबर अक्सर सुर्खियों का विषय बनी रहती है। वह यह है कि केबीसी 2011 में 5 करोड़ रुपए जीतने वाले बिहार के सुशील कुमार अब कंगाल हो गए हैं। सुशील कुमार के बारे में ऐसा कहा जाता था कि वह कंगाल हो गए। उन्होंने पैसों का सही तरह से इस्तेमाल नहीं किया जिसके बाद वह पहले वाली स्थिति में आ गए।

सुशील कुमार ने अपनी जीती हुई राशि को ऐसे उड़ा दिया और अब दूध बेच कर अपना गुजारा कर रहे हैं। लेकिन यह सभी खबरें उस समय झूठी साबित हो गईं जब 2 अगस्त 2022 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मोतिहारी शाखा ने अपने यहां मोटा जमा पैसा करके रखने वालों को बुलाकर सम्मानित किया। सुशील कुमार को भी बुलाया गया था।

हाल ही में एक मीडिया वेबसाइट से बातचीत के दौरान सुशील कुमार ने केबीसी में 5 करोड़ रुपए जीतने से पहले और उसके बाद की अपनी जिंदगी को लेकर विस्तार से बातचीत की है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि कंगाल होने की बात आखिर कहां से आई? जिससे उन्हें आर्थिक फायदा भी हुआ तो व्यक्तिगत छवि को नुकसान भी पहुंचा। तो चलिए केबीसी विनर सुशील कुमार को करोड़पति से कंगाल बताने वाले दावों की वर्तमान सच्चाई क्या है? आपको बताते हैं।

पहले से ज्यादा अमीर हो गए सुशील कुमार

बिहार के सुशील कुमार ने साल 2011 में केबीसी में 5 करोड़ रुपए जीते थे। लेकिन सुशील कुमार कंगाल नहीं हुए बल्कि पहले से और भी ज्यादा अमीर हो गए हैं। आपको बता दें कि सुशील कुमार को अपनी जीती हुई राशि 5 करोड़ रुपए में से टैक्स काटकर उनको साढ़े तीन करोड़ रुपए मिले थे। जो भी उन्हें रकम मिली थी उसका इस्तेमाल सुशील कुमार ने बेहतरीन तरीके से किया है। वह केबीसी से जीती रकम को अच्छे से निवेश कर पहले से ज्यादा अमीर हो गए हैं। यही वजह है कि साल 2022 में सुशील कुमार की कुल नेटवर्थ बढ़कर 5 करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी है। ऐसे में तो कंगाल होने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।

आखिर कंगाल होने की झूठी खबर क्यों आई सामने?

वहीं यह सवाल आता है कि आखिर सुशील कुमार के कंगाल होने की खबर क्यों सुर्खियों में बन रही है? तो उसका जवाब खुद सुशील कुमार ने दिया। सुशील कुमार ने कहा कि साल 2015 में एक नामी मीडिया हाउस ने मेरा इंटरव्यू किया था। जिसमें रुपयों को लेकर कई अजीब सवाल पूछे गए तो गुस्से में आकर बोल दिया कि सारे पैसे खत्म हो गए। कंगाली की वजह से उन्होंने अब दूध बेचना शुरू कर दिया है, जिसके बाद उनके बारे में हर बार कौन बनेगा करोड़पति शुरू होने से पहले मीडिया में यह खबर चलती है कि सुशील कुमार कंगाल हो गए हैं।

कंगाल बनकर हुआ इसका फायदा

सुशील कुमार ने कहा कि भले ही उनके कंगाल होने की झूठी खबर मीडिया में चलती रही है परंतु उनको इसका फायदा भी हुआ है। उनके यहां शादी, पूजा, सार्वजनिक आयोजन या फिर किसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए चंदा मांगने वालों की भीड़ लगी रहती थी, वह भीड़ लगनी बंद हो गई। हालांकि, सुशील कुमार के द्वारा जरूरतमंद लोगों की खूब सहायता की गई है।

कहां किया सुशील कुमार ने निवेश?

सुशील कुमार का ऐसा कहना है कि उन्होंने जो भी केबीसी से धनराशि जीती थी, उसमें से एक भी रुपया उन्होंने व्यर्थ नहीं जाने दिया। मोतिहारी शहर में तीन जगह पर भूखंड खरीदे, जिनकी वर्तमान कीमत करीब 3 करोड़ रुपए है। वहीं अपने पुश्तैनी घर के आस-पास ही 5 हजार स्क्वायर फीट में तीन मंजिला भवन बनवाया है, जिसके ग्राउंड फ्लोर के सात कमरों में यह अपने माता-पिता और चार भाइयों के साथ रहते हैं।

ऊपर के 3 फ्लोर पर बने 2BHK फ्लैट को इन्होंने किराए पर दिया हुआ है। अगर हम वर्तमान में इस भवन की कीमत के बारे में बताएं, तो करीब डेढ़ करोड़ रुपए हैं। इसके अलावा सुशील कुमार के बैंक अकाउंट में करीब एक करोड़ रुपए जमा हैं, जिसका हर महीने 60 हजार ब्याज मिलता है।

करोड़पति बनने के बाद भी सादा जीवन जी रहे हैं सुशील कुमार

भले ही सुशील कुमार करोड़पति बन गए हैं परंतु इसके बावजूद भी वह लग्जरी लाइफ नहीं जीते बल्कि सादा जीवन जीना पसंद करते हैं। उनके पास सिर्फ स्कूटी है। सुशील कुमार अपने पिता अमरनाथ प्रसाद, माता रेणु देवी, पत्नी सीमा पटेल, दो बेटी व पांच भाइयों के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं।

सुशील कुमार अपने एक दोस्त के साथ बिजनेस भी करते हैं। सुशील कुमार ने दूध बेचने वाले सवाल के जवाब में कहा कि मैंने डबल एमए, बीएड तक कर रखी है। पैसे की कोई कमी नहीं। दूध का धंधा करना था, तो डेयरी ना खोल लेता। घर-घर जाकर दूध बेचने की क्या आवश्यकता थी?

BPSC की तैयारी के चलते जीता था केबीसी

सुशील कुमार मूल रूप से बिहार के मोतिहारी के हैनरी बाजार के रहने वाले हैं। सुशील कुमार का ऐसा कहना है कि “साल 2011 में मैं 7000 प्रति माह में बिहार के चंपारण जिले में चनपटिया ब्लॉक में मनरेगा कंप्यूटर ऑपरेटर था। बिहार लोक सेवा आयोग की प्री परीक्षा पास कर चुका था। मुख्य परीक्षा की तैयारी कर रहा था। उसी दौरान केबीसी में जाना हुआ।

5 करोड़ का सवाल था कि 16 अक्टूबर 1868 को अंग्रेजों के हाथों निकोबार द्वीप समूह बेचने के बाद भारत से किस औपनिवेशिक शक्ति का अंत हो गया था। जवाब के चार विकल्प थे 1) बेल्जियम, 2) इटली, 3) डेनमार्क व 4) फ्रांस। सुशील कुमार ने बीपीएससी की तैयारी में इसके बारे में थोड़ा पढ़ा था। काफी सोच समझकर उन्‍होंने डेनमार्क जवाब देकर पांच करोड़ रुपए जीत लिए थे।

बताते चलें कि सुशील कुमार इन दिनों पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। कई स्थानों पर पौधे लगवा चुके हैं। इसके अलावा गौरिया को बचाने में भी कदम उठा रहे हैं।

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