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दिव्यांगता का लोग उड़ाते थे मजाक, नहीं मानी हार, आज देश की जानी-मानी IAS अफसर हैं इरा सिंघल

कामयाबी की चाहत हर किसी इंसान की होती है। हर इंसान यही चाहता है कि वह अपने जीवन में एक सफल व्यक्ति बने। परंतु सिर्फ सोचने मात्र से ही इंसान को सफलता नहीं मिलती है. इसके लिए जीवन में बहुत कठिन संघर्ष करना पड़ता है। कठिन संघर्षो के बावजूद भी बहुत से लोग कामयाबी का स्वाद चख नहीं पाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मेहनत करने वालों की हार नहीं होती। दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ यदि इंसान किसी लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ता है तो उसके मार्ग में आने वाली परेशानियां खुद ब खुद भाग खड़ी होती हैं।

ज्यादातर लोग अपने अपने लक्ष्य के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के आगे घुटने टेक देते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हर कठिनाई को पार करते हुए लगातार आगे बढ़ते रहते हैं और उनको अपनी मंजिल हासिल हो जाती है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से आईएएस अफसर इरा सिंघल की कहानी बताने वाले हैं, जिन्होंने यह साबित कर दिखाया गया है कि अगर इंसान मेहनत करें और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़े तो वह कामयाबी पा सकता है।

दिव्यांग होने के बावजूद भी इरा सिंघल अपने जीवन में लगातार आगे बढ़ते रहीं और उन्होंने साल 2014 यूपीएससी परीक्षा में टॉप कर दिखाया था। वह सभी लोगों के लिए एक मिसाल हैं। उनके लिए यहां तक पहुंच पाना इतना सरल नहीं था परंतु कठिन परिश्रम और संघर्ष के बाद उन्होंने अपना लक्ष्य प्राप्त किया।

आपको बता दें कि इरा सिंघल उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की रहने वाली हैं। इरा सिंघल ने छोटी सी उम्र में ही यह तय कर लिया था कि वह आईएएस अफसर बनेंगी और उन्होंने अपने इस सपने को पूरा करने के लिए जीवन में कठिन संघर्ष किया है। इरा सिंघल ने अपने कई इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया है कि जब वह बचपन में आईएएस बनने के बारे में बात करती थीं तो लोग शारीरिक रूप से दिव्यांग होने की वजह से उनका मजाक उड़ाया करते थे। लोग कहते थे कि जो अच्छे से चल नहीं पाती वह आईएएस कैसे बनेगी।

इरा सिंघल के लिए अपने आईएएस बनने के सपने को पूरा करना निश्चित तौर पर बहुत ज्यादा कठिन रहा परंतु उन्होंने हर कठिन परिस्थिति का डटकर सामना किया और उन्होंने पढ़ाई को ही अपना हथियार बना लिया। इरा सिंघल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मेरठ से सोफिया गर्ल्स स्कूल और दिल्ली के लोरेटो कान्वेंट स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक की डिग्री प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए किया। इसके अलावा लोरेटो ने कोका कोला कंपनी में मार्केटिंग इंटर्न और कैडबरी इंडिया में बतौर स्ट्रेटजी मैनेजर कार्य किया है परंतु इसके बावजूद भी वह अपने लक्ष्य से दूर नहीं हुईं।

इरा सिंघल ने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खुद को तैयार किया और 2010 में यूपीएससी की परीक्षा दी। भले ही वह परीक्षा में पास हो गईं परंतु इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की परीक्षा पास करने के बाद भी उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई थी। हालांकि इरा सिंघल ने इस फैसले को चुनौती दी और “सेंट्रल एडमिनिस्‍ट्रेटिव ट्रिब्‍यूनल” गईं, जहां फैसला उनके हक में सुनाया गया था। इस कड़े संघर्ष के बाद इरा सिंघल 2014 में हैदराबाद में नियुक्ति पाने में सफल रहीं लेकिन इरा सिंघल के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। उन्होंने 2014 में एक बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी और जनरल कैटेगरी में टॉप कर अपने परिवार और इलाके का नाम रोशन किया।

इरा सिंघल ने जो बचपन में सपना देखा था उसे साकार करने के लिए पढ़ाई में कड़ी मेहनत के अलावा अपने जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा। इरा अपनी इच्छाशक्ति और लगन के चलते सभी पड़ाव को पार करती गईं। मौजूदा समय में वह देश की एक जानी-मानी IAS अफसर हैं और अलग-अलग मंचों पर सम्मानित भी की जा चुकी हैं, वह एक मिसाल हैं।

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