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कोरोना महामारी के बीच मसीहा बनकर उभरीं एक महिला, लावारिस लाशों का किया अंतिम संस्कार

कोरोना वायरस की महामारी दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा कई अहम कदम उठाए जा रहे हैं परंतु अभी भी यह बीमारी खत्म नहीं हुई है। कोरोना काल में सभी लोग अपने घरों में ही कैद हैं। लोग इस समय के दौरान बाहर निकलने में भी डर रहे हैं। कोरोना वायरस की वजह से देश भर के लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के दौरान लोगों की नौकरी छूट गई थी। बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए।

कोरोना वायरस की महामारी के दौर में सबसे ज्यादा परेशानी गरीब और असहाय लोगों को हुई लेकिन ऐसा नहीं है कि इन लोगों की सहायता के लिए कोई भी सामने नहीं आया। कोरोना वायरस महामारी के समय जब लोग खुद को सुरक्षित रखने के लिए घर की चारदीवारी में कैद हो गए थे, तब एक महिला सड़क पर लोगों की सहायता के लिए मौजूद थी। यह उन लोगों की सहायता कर रही थीं जिनका इस दुनिया में कोई नहीं था।

हम आपको जिस महिला के बारे में जानकारी दे रहे हैं उनका नाम वर्षा वर्मा है, जो लखनऊ की रहने वाली हैं। कोरोना महामारी के बीच लॉकडाउन में वर्षा वर्मा ने 10 से अधिक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करवाया था। करोना काल में यह मसीहा बनकर उभरी थीं। यह यही चाहती थीं कि जिन लोगों को जीते जी सम्मान नहीं मिला, लेकिन मरने के बाद उनकी लाशें सड़े ना बल्कि सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हो।

खबरों के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि वर्षा वर्मा ने बताया था कि लॉकडाउन के दौरान जब लोग अपने घरों में सुरक्षित रहने के लिए कैद हो गए थे तब उनकी नजर एक लावारिस लाश पर पड़ी थी। उस लावारिस लाश का अंतिम संस्कार करने वाला कोई भी नहीं था। सामाजिक गतिविधियों में रहने वाले लोगों का ध्यान इसकी तरफ नहीं गया। तब वर्षा वर्मा ने यह निश्चय कर लिया था कि जिसका कोई नहीं है, वह उनका साथ देंगी। इस अहम कदम में उनको दीपक महाजन का साथ मिला। आपको बता दें कि यह एक दिव्य कोशिश नाम की संस्था के अध्यक्ष हैं। जिसके बाद इन दोनों ने मिलकर यह काम आरंभ कर दिया।

वर्षा वर्मा उन लोगों की सहायता में जुटी हुई थीं जो गरीब और असहाय थे, जिनका इस दुनिया में कोई भी नहीं था। वर्षा वर्मा ने ऐसे लोगों का इलाज भी कराया। इतना ही नहीं बल्कि खाने पीने की व्यवस्था भी की। जब गरीब और असहाय लोगों का निधन हो जाता था तो यह उनका अंतिम संस्कार भी करवाती थीं परंतु कोरोना काल में संक्रमण का खतरा अधिक था जिसकी वजह से इस समय के दौरान उनके लिए बहुत चुनौती उत्पन्न हुई परंतु स्वास्थ्य विशेषज्ञ के मानकों को फॉलो करते हुए उन्होंने अपना काम जारी रखा।

वर्षा वर्मा का ऐसा बताना है कि कोरोना महामारी के बीच लॉकडाउन में उन्होंने 10 से अधिक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है। इससे पहले भी सड़क पर मिली हुई लाशों का वह अंतिम संस्कार करवा चुकी हैं। संकट की इस घड़ी में वर्षा वर्मा मजबूती के साथ खड़ी रहीं और गरीब-असहाय लोगों की सहायता करती रहीं। उनके इस काम में सरकार का कोई भी सहयोग नहीं मिला लेकिन दोस्तों और साथियों ने उनकी पूरी सहायता की। वैसे देखा जाए तो वर्षा वर्मा लोगों के लिए जो काम कर रही हैं, उसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है।

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