मैं कंकाल की तरह लग रहा था, अपने खाने में कटौती की थी – मुंबई जा कर ऐसा हाल हुआ था Bad Man का
माँ ने बेचे गहने और पिता ने गिरवी रखा था पुश्तैनी घर, यूं ही गुलशन ग्रोवर नहीं बने बॉलीवुड के BAD MAN
बॉलीवुड के सबसे बड़े खलनायक में से एक, ‘बैड मैन’ यानी गुलशन ग्रोवर (Gulshan Grover Birthday) का आज जन्मदिन है. गुलशन ग्रोवर बॉलीवुड के वो विलेन बनकर सामने आए है जिसने दुनिया को बताया कि, किसी भी कहानी को अच्छे से दर्शकों तक पहुंचाने के लिए एक बैड मैन की कितनी जरुरत होती है. गुलशन ग्रोवर ने अपने करियर की शुरुआत 80 के दशक में की थी. अभिनेता ने अपने चार दशक के लम्बे करियर में 450 से अधिक फिल्मे की है. इस दौरान उन्होंने एक से बढ़कर-एक यादगार फिल्में दी है.
किसी भी एक्टर के लिए एक विलेन के रूप में ये बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है कि वह इतनी प्रभावशाली एक्टिंग करे की दर्शकों के मन में खुद के लिए नफरत पैदा कर दें. अमरीश पुरी, प्रेम चोपड़ा, प्राण, रंजीत और अमजद खान के बाद अगर किसी अभिनेता ने इस तरह की एक्टिंग की है तो वह है गुलशन ग्रोवर. गुलशन ग्रोवर की फिल्मी जिंदगी के बारे में हर कोई जानता है. मगर यहाँ तक आने के लिए उन्हें कितना स्ट्रगल करना पड़ा इस बारे में हम आपको बतायेंगे.
बॉलीवुड अभिनेता गुलशन ग्रोवर का जन्म 21 सितंबर, 1955 को दिल्ली में हुआ था. वह एक पंजाबी परिवार से आते है. आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि, गुलशन ग्रोवर काफी पढ़े लिखे अभिनेता है. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. गुलशन को अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा था. उन्हें 9 किलोमीटर पैदल चलकर बस स्टैंड तक जाना पड़ता था, उसके बाद फिर उन्हें तीन बसे और बदलना पड़ती थी.
अभिनेता को पिता से मिला था 6 महीने का अल्टीमेटम
गुलशन अपने परिवार और कॉलेज में गुड मैन थे, लेकिन बॉलीवुड में उन्हें बैड मैन से पहचान मिली. गुलशन ग्रोवर को शुरू से ही थिएटर करने का भी शोक था. वह मुंबई जाकर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक ख़ास पहचान बनाना चाहते थे. एक दिन उन्होंने इस बारे में अपने पिता से बात की. तो उन्होंने पहले तो मना कर दिया, लेकिन बाद में उन्होंने गुलशन ग्रोवर को छह महीने का समय दिया. ताकि वह अपनी किस्मत आजमा सके.
इस बात का जिक्र अभिनेता ने अपनी आत्मकथा Bad Man में किया है. पहली बार मुंबई पहुंचने के बाद उन्होंने काम के लिए बहुत हाथ-पैर मारे. मगर उन्हें कामयाबी हासिल नहीं हुई.
एक दिन गुलशन ग्रोवर ने निराश होकर अपना सामान पैक किया और दिल्ली जा पहुंचे, क्योंकि वह काम पाने की अपनी जंग हार चुके थे. अभिनेता ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, भले ही उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन मेरे माता-पिता और भाई-बहन वास्तव में मेरी उपस्थिति से चौंक गए थे. मैं कंकाल की तरह लग रहा था. मैंने अपने खाने में कटौती की थी. मेरी अंदर गई हुई आँखें मेरी उस दशा का वर्णन कर रही थी. जिसे मैं मुंबई में जी कर आया था.
उन लोगों ने मुझे आश्वस्त किया की अभी भी कुछ नहीं खोया है. मुंबई जाने से पहले मैंने चार्टर्ड अकाउंटेंट का मुश्किल एग्जाम पास किया था. मुझे इस दौरान बैंक से भी काफी काम मिल रहे थे.
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मुझे काम करने के लिए कई ऑफर थे लेकिन मेरा दिल अभी भी मुंबई में ही था. किताब में लिखा है, मैंने फिरसे अपने पिता जी से बात की और उनसे कहा कि मुझे मुंबई वापस जाना है, भले ही उस शहर ने मेरा साथ न दिया हो, लेकिन इस बार मुझे कोई डेडलाइन नहीं चाहिए. मुझे टिकने के लिए पैसो की जरुरत थी.
मुझे लगता है कि चाई जी (मां) ने जरूर अपने गहने बेचे थे और पिता जी ने उस घर को गिरवी रखा था, जहां हम सब रहा करते थे. यह सब उन्होंने मुझे बिना बताए किया था. 1980 में गुलशन को पहली फिल्म हम पांच मिली थी.