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नवरात्रि व्रत के दौरान शुरू हो जाए मासिक धर्म तो कैसे करें व्रत व पूजा? जानिए जरूरी बातें

7 अक्टूबर 2021 गुरुवार से मां दुर्गा की उपासना का पर्व नवरात्रि प्रारंभ हो गया है। नवरात्रि को देश भर में ही बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बता दें कि साल में नवरात्रि दो बार आती है। एक बार चैत्र नवरात्रि और दूसरी शारदीय नवरात्रि। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की विधि-विधान पूर्वक पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई भक्त सच्चे मन से माता रानी की उपासना करता है तो माँ उससे प्रसन्न होती हैं और जीवन के सारे दु:ख-परेशानियां दूर करती हैं।

नवरात्रि के दिनों में लोग व्रत से जुड़े हुए नियमों का पालन करते हैं। नवरात्रि के दिनों में साफ-सफाई के जुड़े हुए बहुत से नियमों का पालन करना बहुत ही आवश्यक है। नवरात्रि के दिनों में भक्तजन श्रद्धा भाव से माता रानी के लिए 9 दिनों का उपवास करते हैं। खासतौर पर महिलाएं माता की आराधना बड़े ही श्रद्धा भाव से करती हैं। नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ भी होता है और माता की आरती सुबह-शाम होती है।

लेकिन महिलाओं के लिए सबसे बड़ी दुविधा तब उत्पन्न हो जाती है जब नवरात्रि के व्रत के दौरान ही मासिक धर्म का उनको सामना करना पड़ जाता है। ऐसे में ज्यादातर सभी महिलाएं इस असमंजस में रहती हैं कि अपने व्रत को किस प्रकार से वह पूर्ण कर पाएंगी। तो आपको बता दें कि शास्त्रों में इसको लेकर कुछ खास नियमों के बारे में बताया गया है।

सबसे पहले आप जान लीजिए कि नवरात्रि का पाठ या कलश स्थापना किया जाता है तो हम 2, 5 या 7 साल के लिए इस व्रत को धारण करते हैं। ऐसी स्थिति में व्रत लगातार करना चाहिए। ऐसा नहीं है कि एक साल व्रत किया और दूसरे साल मासिक धर्म की वजह से व्रत को छोड़ दिया। नवरात्रि के व्रत के दौरान अगर मासिक धर्म आ जाए तो ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखकर व्रत को पूरा कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में…

मासिक धर्म के दौरान इन नियमों का करें पालन

1- अगर कोई महिला पहले से चौथे दिन मासिक धर्म से गुजरती है तो पति या पंडित से कलश स्थापना कराया जा सकता है। इस दौरान महिला व्रत के सभी नियमों का पालन भी कर सकती है। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि कोई भी महिला अशुद्ध अवस्था में है तो वह मानसिक पूजा करें। इससे व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। मानसिक रूप से किसी भी व्रत को किया जा सकता है, इसकी कोई मनाही नहीं होती है।

2. अगर नवरात्रि के बीच में ही किसी महिला का मासिक धर्म शुरू हो जाता है तो ऐसी स्थिति में 4 दिनों तक पूजा ना करें। पांचवें दिन से महिला पूजा में सम्मिलित हो सकती है। इस दौरान मासिक धर्म से गुजरने वाली महिलाओं को माता का भोग तैयार नहीं करना चाहिए और ना ही पूजा स्थल पर जाना चाहिए। यह महिलाएं पूजा की किसी भी सामग्री को स्पर्श ना करें।

3. अगर कोई महिला पांचवे दिन मासिक धर्म में रहती है तो उसको कन्या पूजन और हवन नहीं करना चाहिए। इस दौरान परिवार के किसी सदस्य के द्वारा कन्या पूजन और हवन करवाया जा सकता है।

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