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राम के बिना भारत अधूरा है भारत, जिस देश में रह रहे हैं वहाँ के महापुरुषों, संस्कृति सम्मान करना जरूरी है

कोई ईश्वर को माने या ना माने, उसे किसी की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है - हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगवान श्री राम जी और श्री कृष्ण जी को लेकर सोशल मीडिया पर की गई अपत्तिजनक टिप्पणी के आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करने के दौरान कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है। संविधान के तहत इसके लिए कुछ प्रतिबंध भी है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि राम के बिना भारत अधूरा है। जिस देश में रह रहे हैं उस देश के महापुरुषों, संस्कृति सम्मान करना जरूरी है।

कोर्ट के द्वारा यह कहा गया कि कोई ईश्वर को माने या ना माने, उसे किसी की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने आगे यह कहा कि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की संस्कृति रही है। कोर्ट ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की संस्कृति है हमारी। हम  सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चित दुःख भाग भवेत।। की कामना करने वाले लोग हैं। कोर्ट ने भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी करने वाले आकाश जाटव उर्फ़ सूर्य प्रकाश को दोबारा ऐसे अपराध ना करने की चेतावनी देते हुए सशर्त जमानत मंजूर कर ली है।

कोर्ट ने यह कहा कि याची पिछले 10 महीने से जेल में बंद है। विचार और शीघ्र पूरा होने की संभावना नहीं है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के दाताराम केस का हवाला देते हुए कहा कि जमानत अधिकार है और जेल अपवाद। इसलिए याची को सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया है। जस्टिस शेखर कुमार यादव की एकलपीठ ने हाथरस के आकाश जाटव की जमानत अर्जी पर लंबी सुनवाई के बाद 26 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

याची का कहना था कि 28 नवंबर 2019 को किसी ने उसकी फर्जी आईडी तैयार कर अश्लील पोस्ट डाली। वह निर्दोष है और यह भी तर्क दिया कि संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी है, जिसे अपराध नहीं माना जा सकता। सरकारी वकील ने यह कहा कि याची अहमदाबाद अपने मामा के घर गया था, जहां अपना सिम कार्ड मामा के लड़के के मोबाइल फोन में लगाकर अश्लील पोस्ट डाली और एफआईआर दर्ज होते ही मोबाइल फोन और सिम कार्ड तोड़ कर फेंक दिया। कोर्ट ने कहा कि संविधान में मूल अधिकार दिए गए हैं। उसी में से अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भी है।

कोर्ट ने कहा कि संविधान बहुत उदार है। धर्म ना मानने वाला नास्तिक हो सकता है। इससे किसी को दूसरे की आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं मिल जाता। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि मानव खोपड़ी हाथ में लेकर नृत्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह अपराध है। कोर्ट ने कहा कि ईद पर गौ हत्या पर पाबंदी है। हत्या करना अपराध है। सूचना प्रौद्योगिकी कानून में भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम गैर जमानती अपराध है। अभिव्यक्ति की आजादी और असीमित नहीं है। राज्य सुरक्षा, अफवाह फैलाना, अश्लीलता फैलाना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है बल्कि अपराध है।

कोर्ट ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने इंसान को भगवान बनने की रास्ते दिखाए हैं। टैगोर ने कहा की रामायण, महाभारत में भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं। महात्मा गांधी के जीवन में भी राम का महत्व रहा है। सामाजिक समरसता रामायण से इतर कहीं नहीं दिखती। सबरी के जूठे बेर खाने से लेकर निषादराज को गले लगाने तक सामाजिक समरसता का ही संदेश दिया गया है। भगवत गीता में कर्म फल सिद्धांत का वर्णन है। आत्मा अमर है। वह कपड़े की तरह शरीर वैसे बदलती है, जैसे बछड़ा झुंड में अपनी मां को ढूंढ लेता है। मन शरीर का हिस्सा है। सुख-दुख का एहसास शरीर को ही होता है। भगवान कृष्ण ने कहा कर्म पर ध्यान दो, फल मुझ पर छोड़ो। वसुधैव कुटुंबकम् के भाव अन्य किसी भी देश में नहीं है।

राम-कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी पर कोर्ट ने कहा कि यह माफी योग्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि धर्म रक्षार्थ भगवान आते हैं। धर्म की हानि होने पर भगवान अवतार लेते हैं। भारतीय संविधान में भी भगवान राम सीता के चित्र अंकित है। ऐसे में राम कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी माफी योग्य नहीं है। कोर्ट ने उदाहरण के तौर पर बताया कि हिंदुओं में ही नहीं मुसलमानों में भी रसखान, अमीर खुसरो, आलम शेख, वाजिद अली शाह नज़ीर अकबराबादी राम कृष्ण भक्त रहे हैं। राम कृष्ण का अपमान पूरे देश का अपमान है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में अभिव्यक्ति के नाम पर असीमित स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती और देश में अगर राम कृष्ण का अपमान होता है तो यह पूरे देश का अपमान है।

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