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25 साल से एवरेस्ट पर पड़ी है ITBP जवान की लाश, करती है लोगों को रास्ता बताने का काम

माउंट एवरेस्ट अपनी ख़ूबसूरती के साथ-साथ दुनिया की सबसे खतरनाक चोटियों में से एक है। यहां पर कई ऐसी लाशे पड़ी हुई है जिसे देखने पर लगता है मानों ये सुकून की नींद सो रही हो। पहली नजर में देखने वाले तो इनसे डर भी जाते हैं, लेकिन जिन्हें पता है वह तो आसानी से इनके साथ तस्वीरें भी लेते हैं और सोशल मीडिया पर भी शेयर करते हैं। माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पड़ी हुई इन लाशों की पहचान सिर्फ इनके पहने हुए कपड़ों और जूतों से ही होती है।

indian mountaineer green boots

जितना खूबसूरत यह एवरेस्ट है उतना ही यह रहस्यों से भी भरा हुआ है। कई लोगों ने इस पर फतह की है तो कई लोग यहां से लौटे ही नहीं। एक ऐसा ही मामला हम आपको बताने जा रहे हैं एक आईटीबीपी जवान का जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ा तो सही लेकिन लौटकर नहीं आया। इतना ही नहीं बल्कि इस शख्स की लाश अभी तक एवरेस्ट पर ही पड़ी हुई है और वर्तमान में इन्हें ‘ग्रीन बूट्स’ के नाम से जाना जाता है।

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खबरों की माने तो माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पड़े शव का नाम शेवांग पलजोर है। इनकी पहचान इनके द्वारा पहने गए हरे जूते के रूप में होती हैं। यही वजह कि लोग इन्हें ग्रीनबूट्स के नाम से भी पहचानते हैं। आइटीबीपी जवान शेवांग पलजोर एक भारतीय पर्वतरोही है जो 10 मई 1996 को अपने कुछ दोस्तों के साथ माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए निकले थे। कहा जाता है कि, इस दौरान काफी जोरों का तूफान उठा था जिसके चलते उनकी मौत हो गई।

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वैसे कुछ पर्वतरोही का कहना है कि शेवांग आसानी से इस तूफान से बच भी सकते थे लेकिन उनके साथ गए लोगों ने उनका पूरी तरह से साथ नहीं दिया। कहा जाता है कि, शेवांग के साथ उनका एक साथी भी था जो उन्हीं की तरह मदद की गुहार लगाता रहा लेकिन किसी ने उन दोनों की मदद नहीं की और हर कोई उनसे आगे निकलने के चक्कर में उन्हें ऐसे ही छोड़ गए। फिर दोनों ने दम तोड़ दिया। करीब 25 सालों से इनका शव यही पड़ा हुआ और अब इनकी लाशे लोगों को रास्ता बताने का जरिया बन गई।

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वहीं शेवांग की माता ताशी एंगमो का कहना है कि, आईटीबीपी ने कभी भी उनके बेटे को लेकर उन्हें पूरी जानकारी नहीं दी। उन्हें सिर्फ इतना ही बताया गया था कि उनका बेटा लापता हो गया है। इस बीच वह अपने बेटे के लिए कई दिनों तक आईटीबीपी के ऑफिस आती-जाती रही ताकि उनके बेटे का कुछ सुराग मिल सके। लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें पता चला कि उनका बेटा माउंट एवरेस्ट से लौटा ही नहीं और उसका शव आज भी वहां पड़ा हुआ है।

ऐसे में ताशी एंगमो आज भी आईटीबीपी से नाराज हैं और उन्हें बेटे की सही जानकारी ना मिलने से वह काफी दुखी है। कहा जाता है कि जहां शेवांग की लाश पड़ी है वहां से शिखर बेहद करीब है। मतलब शेवांग जल्द ही आखरी पड़ाव पर पहुंचने वाले थे लेकिन इससे पहले ही वह तूफान में फंस गए। वैसे तो इस पहाड़ पर कई लाशे पड़ी हुई है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा ग्रीनबूट्स की ही होती है।

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कौन थे शेवांग पलजोर?
ग्रीनबूट्स नाम से मशहूर शेवांग पलजोर एक समय पर इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस के जवान हुआ करते थे। साल 1996 में वह अपने दो साथी मानला और दोर्जे मोरुप के साथ माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने गए थे। इसी दौरान वह अपनी जान गवां बैठे। कहा जाता है कि, शेवांग पलजोर तूफान की वजह से नहीं बल्कि माउंट एवरेस्ट की जीत की चाहत में मारे गए थे। तीनों दोस्त एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में थे। ऐसे में तूफान के बीच कोई भी एक-दूसरे की मदद नहीं कर रहा था। ‌

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बता दें, शेवांग पलजोर की कहानी उस समय ज्यादा चर्चा में आई जब अमरीकी पर्वतारोही और लेखक जॉन क्राकर ने अपनी किताब ‘इनटू थिन एयर’ में उनके बारे में लिखा। इसके बाद फिल्म ‘एवरेस्ट’ में भी शेवांग की कहानी दिखाई गई जिसके बाद उनके कई किस्से मशहूर हो गए।

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