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आतंकी हमले में भाई हुआ शहीद तो बहन की शादी में भैया का फर्ज निभाने पहुंचे 100 CRPF के कमांडो

भाई-बहन का रिश्ता बहुत ही खास और प्यार भरा रिश्ता होता है। इस रिश्ते में दोनों के बीच नोकझोंक चलती रहती है लेकिन चाहे भाई-बहन के रिश्ते में कितनी भी लड़ाई क्यों ना हो जाए, कुछ देर के बाद यह दोनों फिर से एक हो जाते हैं। ऐसा लगता है कि दोनों के बीच कुछ हुआ ही नहीं। हमेशा से ही बहन अपने भाई की लंबी उम्र की दुआ मांगती है। वहीं भाई भी अपनी बहन को हर मुसीबत में रक्षा करने का वचन देता है।

भाई बहन के इस पवित्र रिश्ते से बढ़कर कोई भी रिश्ता नहीं माना जाता है। आप ऐसा समझ लीजिए कि भाई-बहन एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त ही होते हैं। जब बहन की शादी होती है तो भाई उसमें सबसे आगे रहता है और बहन की शादी की तैयारियों के लिए भागदौड़ करता रहता है। हर भाई का यही सपना होता है कि वह अपनी बहन का मंडप सजाएं।

जब आखिरी बार एक बहन अपने घर की चौखट लांघ कर किसी और की होने के लिए फेरे लेने जा रही होती है तो उस समय के दौरान भी उसे अपने भाई का ही साथ मिलता है। बहन उस वक्त खुद को खुशनसीब मानती है जब भाई मंडप पकड़कर चलते हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक शादी की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है। यह शादी उस लड़की की थी, जिसका भाई देश के लिए कुर्बान हुआ था। इस बहन ने एक भाई खोया, तो उसकी शादी में डोली उठाने के लिए दर्जनों भाई पहुंच गए।

दरअसल, रायबरेली में CRPF के शहीद जवान शैलेंद्र प्रताप सिंह की बहन की शादी थी। यह शादी समारोह बहुत ही आम तरीके से होने वाला था परंतु जब शादी में CRPF के जवान पहुंचे तो यह शादी बहुत ही खास हो गई। शैलेंद्र प्रताप सिंह की बहन का मंडल वर्दीधारी भाइयों ने थामा हुआ था। जो भी लोग इस शादी समारोह में उपस्थित थे, वह शहीद को याद कर भावुक हो गए और सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े।

जिस बहन ने अपने भाई को घर से वर्दी में देश की रक्षा के लिए विदा किया लेकिन उसका भाई तिरंगे में लिपट कर वापस आया था। उस बहन के लिए 14 महीने पहले ही यह सपना टूट चुका था परंतु जैसे ही शादी का दिन करीब आया तो वर्दी में सीआरपीएफ के एक के बाद एक करीब डेढ़ दर्जन भाई उस प्यारी बहना का मंडप थामने के लिए पहुंचे। यहां का माहौल बहुत गमगीन हो गया था। दुल्हन बनी बहना फेरे लेने के लिए आगे बढ़ रही थी और कुछ वर्दी तो कुछ सादी वर्दी में जवान मंडप थामे बहन को लेकर चल रहे थे। “मेरा सजना मिलेया, सजना मिलेया बधाइयां” गीत बज रहा था।

बता दें कि साल 2008 में शैलेंद्र प्रताप सिंह की भर्ती सीआरपीएफ में हुई थी। वह 110वीं बटालियन में तैनात थे। उनकी कंपनी जम्मू कश्मीर के सोपोर में अपनी सेवा दे रही थी। 5 अक्टूबर 2020 का दिन था, जब पुलवामा में आतंकियों से लड़ते वक़्त शैलेंद्र प्रताप सिंह को गोली लग गई और वह शहीद हो गए।

जब उनका पार्थिव शरीर रायबरेली पहुंचा तो शहीद के सम्मान में पूरा शहर ही वहां पर एकत्रित हो गया। शहीद की विदाई हर किसी ने नम आंखों से दी। शहीद शैलेंद्र प्रताप सिंह के पिताजी का नाम नरेंद्र बहादुर सिंह और उनकी माता जी का नाम सिया दुलारी है। वहीं उनकी पत्नी का नाम चांदनी है। इनका एक बेटा को कुशाग्र है, जिसकी उम्र 9 साल की है। उनकी तीन बहने हैं, जिनका नाम शीला, प्रीति और ज्योति है। दो बहनों की शादी हो गई है। वहीं सबसे छोटी बहन की शादी होनी रह गई थी।

जब छोटी बहन ज्योति की शादी की खबर शैलेंद्र प्रताप के साथ तैनात सीआरपीएफ के जवानों को प्राप्त हुई तो इसके बाद वह सोमवार को शादी वाले घर पहुंच गए। करीब डेढ़ दर्जन जवान भाई का फर्ज निभाने के लिए बहन की शादी में पहुंचे। जब शादी समारोह में उपस्थित लोगों ने बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के जवानों को देखा तो हर कोई हैरत में पड़ गया था।

लेकिन जब मंडप पकड़ने वाली रस्म शुरू हुई तो यह सारे जवान आगे बढ़े और उन्होंने चारों तरफ से मंडप को पकड़ लिया। वहीं दुल्हन बनी बहना इन जवानों के बीच मंडप के नीचे आई तो सभी लोगों को शहीद जवान की याद एक बार फिर से आ गई और सभी की आंखें नम हो गईं। जवान के द्वारा जो यह कार्य किया गया है इसके चलते सीआरपीएफ की तरफ से तारीफ भी की गई है।

आपको बता दें कि देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल के अधिकारी ने मैं अपने ट्विटर हैंडल अकाउंट से एक ट्वीट किया है और इस ट्वीट के माध्यम से शैलेंद्र की बहन के लिए इन जवानों को ब्रदर फॉर लाइफ यानी कि जीवन भर के लिए भाई करार दिया। ट्वीट कर उन्होंने यह लिखा की छोटी बहन की शादी में बड़े भाई सीआरपीएफ जवान पहुंचे।

इस दौरान सीआरपीएफ जवानों ने परिवार और दूल्हा-दुल्हन के साथ तस्वीरें खिंचवाई। उन्होंने लिखा कि एक भाई का कर्तव्य पूरा किया। सोशल मीडिया पर इस शादी की खूब चर्चा हो रही है और हर कोई इसकी तारीफ करता हुआ नहीं थक रहा है।

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