इन मंत्रियों के बदौलत बर्बाद हुई एयर इंडिया, किसी ने किए पत्नी के सपने पूरे तो किसी ने दोस्त की बढ़ाई शान
68 साल बाद आखिरकार एयर इंडिया टाटा समूह के पास वापस आ गई। एयर इंडिया को टाटा समूह ने सबसे ज्यादा बोली लगाकर 18 हजार करोड़ रुपए में अपने नाम कर लिया है। इस खास मौके पर टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने सोशल मीडिया पर भी इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, ‘वेलकम बैक होम एयर इंडिया।’ इसके साथ ही रतन टाटा ने एयर इंडिया की 1932 में शुरुआत करने वाले बिजनेसमैन जेआरडी टाटा की एक तस्वीर भी शेयर की थी। एक समय पर एयरलाइन सरकार के लिए एक राजस्व स्त्रोत थी लेकिन कुछ मंत्रियों के कारण एयर इंडिया बुरी तरह कर्ज में डूब गई। आइए जानते हैं कैसे कर्जे में चली गई एयर इंडिया?
Welcome back, Air India ?? pic.twitter.com/euIREDIzkV
— Ratan N. Tata (@RNTata2000) October 8, 2021
दरअसल, यूपी सरकार के अजीबो गरीब फैसले और प्रफुल्ल पटेल के साथ एके एंटनी जैसे मंत्रियों ने इस कंपनी को कर्जे में ला दिया। बता दें, साल 2004 मई में प्रफुल्ल पटेल नागरिक उड्डयन मंत्री बने थे। इस दौरान एयर इंडिया 42% बाजार हिस्सेदारी के साथ मार्केट में थी, लेकिन उड़ान मंत्री का पद मिलते ही प्रफुल्ल पटेल ने अपने बेहूदा फैसलों से एयर इंडिया के सुनहरे दिनों को खत्म कर दिया।
खबरों की मानें तो उस दौरान प्रफुल्ल पटेल किसी बड़े अधिकरण घोटाले में शामिल थे। कहा जाता है कि इस दौरान प्रफुल्ल पटेल ने बिना किसी योजना और रूट मैप के बिना ही करीब 50 हजार करोड रुपए से अधिक में 60 विमान खरीदने का निर्णय ले लिया था। मंत्रालय ने इन 68 विमानों में से बोइंग 27 ड्रीमलाइनर खरीदने का निर्णय लिया था। लेकिन यह एक ऐसा सौदा तय हुआ था जिसमें अमेरिकी योजना निर्माता को सबसे अधिक फायदा होता।
इस दौरान नागरिक उड्डयन मंत्रालय के ही सलाहकार रहे वी सुब्रमण्यम ने इस फैसले पर नाराजगी भी जताई थी लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें इस पद से ही हटा दिया गया। इतना ही नहीं बल्कि इस फैसले पर कई सवाल भी उठाए गए। कई सरकारी विश्लेषकों ने यह तक भी कहा कि जब एयरलाइन मात्र 7 हजार करोड रुपए का कारोबार कर रही है, ऐसे में 50 हजार करोड रुपए के ऑर्डर क्यों दिए गए?
इसके अलावा भी प्रफुल्ल पटेल पर कई तरह के आरोप लगाए। यह भी कहा गया कि प्रफुल्ल पटेल ने इंडियन एयरलाइंस के जरिए उनके सबसे खास दोस्त विजय माल्या की भी मदद की। उन्होंने एयरलाइन के प्रबंधकों को मौजूदा उड़ानों के समय बदलने का आदेश दे दिया साथ ही विशिष्ट क्षेत्रों से कई उड़ाने वापस भी ले ली थी, जिसके चलते विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को अधिक फायदा हुआ। इतना ही नहीं बल्कि विजय माल्या के लिए अधिक काम करने के लिए एयरलाइंस के अनुभागों ने एक समय पर प्रफुल्ल पटेल को ‘किंगफिशर के मंत्री’ उपनाम भी दे दिया था।
कहा जाता है कि, खुद प्रफुल्ल पटेल की बेटी पूर्णा पटेल ने भी एयर इंडिया को गाली दी थी। इस दौरान पूर्णा पटेल आईपीएल के प्रबंधक रूप में काम करती थी। कहा जाता है कि इस दौरान पूर्णा पटेल ने आईपीएल के कुछ खिलाड़ियों को चंडीगढ़ से चेन्नई ले जाने वाली एयरइंडिया की उड़ान को रोक दिया था।
इसके अलावा कहा जाता है कि यूपी के ही मंत्री एके एंटनी ने भी एयर इंडिया के धन का दुरुपयोग किया। उन्होंने अपनी पत्नी एलिजाबेथ एंटनी की डिमांड को पूरा करने के लिए एयर इंडिया का सारा पैसा खर्च कर दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, एयर इंडिया ने त्रिवेंद्रमपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 के लिए एके एंटनी की पत्नी की कुछ पेंटिग्स भी खरीदी थी, जबकि एलिजाबेथ ने उस समय अपने चित्रों की प्रदर्शनी तक नहीं लगाई थी। इसके बावजूद एयर इंडिया को ये पेंटिंग खरीदनी पड़ी थी। कहा जाता है कि, इसके अलावा एयर इंडिया के पास कोई और दूसरा रास्ता नहीं था।
आखिरकार एयर इंडिया उसके मुख्य मालिक यानी कि टाटा समूह की झोली में एक बार फिर आ गई है। ऐसे में टाटा समूह को 15,300 करोड रुपए का कर्ज भी लेना होगा। रिपोर्ट की माने तो एयर इंडिया पर 43 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। हालांकि इस कर्ज को सरकार खुद चुकता करेगी, लेकिन इसे खरीदने वाले मालिक यानी कि टाटा समूह को भी 23 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना होगा।
एयर इंडिया के जनक माने जाने वाले जेआरडी टाटा को याद करते हुए रतन टाटा का कहना है कि, “एक समय ऐसा भी था जब एयर इंडिया दुनिया की सबसे बेहतरीन और प्रतिष्ठा लाइंस थी। लेकिन एक बार फिर टाटा के पास यह मौका आ गया है कि वह एयर इंडिया को दोबारा उसकी पहचान दिलाएं। यदि टाटा समूह दोबारा ऐसा कर सकते हैं तो जेआरडी टाटा बेहद खुश होंगे।”