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इस मंदिर में माँ की पूजा में शामिल होने जंगल से आते हैं भालू, नहीं देखे होंगे ऐसे अनोखे भक्त

हमारा देश धार्मिक देशों में से एक माना जाता है। हमारे देश में ऐसे बहुत से मंदिर मौजूद हैं, जो अपने चमत्कार के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। हमारे देश में चमत्कारों और आध्यात्मिक शक्तियों की वजह से बहुत से मंदिर दुनिया भर में मशहूर हैं परंतु आज हम आपको माता रानी के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जहां पर होने वाली एक घटना लोगों को आश्चर्यचकित कर देती है। दरअसल, इस मंदिर में केवल इंसान ही पूजा नहीं करते बल्कि रोजाना भालू भी माता के दरबार में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। जी हां, जब यहां पर अपनी मनोकामना लेकर पहुंचे लोग भालुओं द्वारा माता की भक्ति का यह नजारा देखते हैं तो उनकी सांसे थम जाती हैं।

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं शारदीय नवरात्रि जब भी शुरू होते हैं तो लोग माता रानी की भक्ति में लीन हो जाते हैं और माता की उपासना करते हैं। नवरात्रि के दिनों में लोग मनवांछित फल की कामना लेकर देवी माता के मंदिरों में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। नवरात्रि के दिनों में माता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह मंदिर अपने आप में अनोखा है। छत्तीसगढ़ का यह माँ चंडी मंदिर महासमुंद जिले के घुंचापाली गांव में स्थित है। जहां पर भालुओं की भक्ति देखकर यहां पर श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं।

आपको बता दें कि महासमुंद जिले अंतर्गत बागबाहरा के घुंचापाली स्थित मां चंडी देवी के मंदिर में नवरात्रि के दिनों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है परंतु कोरोना वायरस के चलते मंदिर में आने वाले लोगों की संख्या निर्धारित कर दी गई है। माता रानी के इस मंदिर में हमेशा ही श्रद्धालुओं के साथ भालू भी मंदिर परिसर में माता की आरती में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं। यह सिलसिला आज से नहीं बल्कि पिछले कई सालों से लगातार जारी है। पहले आधा दर्जन से ज्यादा भालू मंदिर में आते थे और वह श्रद्धालुओं के बीच पूजा में शामिल होते थे और सबसे बड़ी खास बात यह है कि इन भालुओं ने अभी तक किसी को भी किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया है। यह नजारा देखकर लोगों में माता के प्रति आस्था बहुत अधिक बढ़ गई है।

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कोरोना की वजह से पिछले साल सभी मंदिर भक्तों के दर्शन करने के लिए बंद कर दिए गए थे, जिसकी वजह से सभी मंदिर सूने पड़ गए थे। कुछ ऐसा ही हाल कोरोना वायरस की वजह से मां चंडी मंदिर का भी था। माता का यह दरबार भी सूना हो गया है। इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते थे। कोरोना संक्रमण काल में भी भालुओं का परिवार माता रानी की आरती के समय रोजाना मंदिर पहुंच जाया करता था और माता की आरती में शामिल होने के बाद दोबारा से वह सभी जंगल में वापस चले जाया करते थे।

आपको बता दें कि माता के इस मंदिर में छह श्रद्धालुओं का परिवार रोजाना मंदिर परिसर में भ्रमण करते थे परंतु अचानक साल 2015 में दो भालुओं की मृत्यु करंट लगने की वजह से हो गई थी। ऐसे ही साल 2019 में एक नर भालू जो 13 साल से रोजाना चंडी मंदिर पहुंचकर प्रसाद खाता था, मंदिर परिसर से 300 मीटर दूर खेत में उसकी लाश मिली। इसके अलावा अप्रैल 2021 में भालू का एक शावक का शव मंदिर परिसर के 600 मीटर दूर मिला था।

बता दें माता के मंदिर में पशुबलि पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। माता चंडी को सिर्फ फूल, फल, श्रृंगार सहित नारियल अर्पित कर पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने वाले लोगों की हर मन्नत पूरी हो जाती है। नवरात्रि के दिनों में मां चंडी के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं और माता रानी सबकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

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