बॉलीवुड

सैफ अली खान ने खोला अपनी जिंदगी का ये राज, कहा- “मैं तो केवल नाम का नवाब हूँ, पटौदी पैलेस में..

बॉलीवुड इंडस्ट्री के बेहतरीन और मशहूर अभिनेताओं की लिस्ट में सैफ अली खान का भी नाम आता है। उन्होंने अपने आपको चर्चित अभिनेता के तौर पर हिंदी फिल्मों में स्थापित किया है। सैफ अली खान का फिल्मी करियर बेहद सफल साबित हुआ है। सैफ अली खान ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक फ़िल्में दी हैं और लोग इनके अभिनय के कायल हो चुके हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं सैफ अली खान नवाब खानदान से ताल्लुक रखते हैं। इसी वजह से सैफ अली खान अपनी नवाबी अंदाज़ के लिए भी जाने जाते हैं।

सैफ ने फिल्म “परंपरा” से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद वह उन्होंने “आशिक आवारा” फिल्म में काम किया। उनको इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर की तरफ से सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता का पुरस्कार भी मिल चुका है। इसके बाद उनकी फिल्म “ये दिल्लगी” रिलीज हुई। इस फिल्म में उनके अभिनय की खूब सराहना की गई और यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी। इसके बाद सैफ अली खान ने कई फिल्मों में काम किया। ज्यादातर फिल्में सफल हुई जो मल्टीस्टारर थीं।

आपको बता दें कि सैफ अली खान की फिल्म “भूत पुलिस” हाल ही में रिलीज हुई है, जिसके प्रमोशन के लिए अभिनेता पिछले दिनों “द कपिल शर्मा शो” में बतौर मेहमान के रूप में पहुंचे थे। इस शो का अनसेंसर्ड वर्जन रिलीज हुआ है, जिसमें सैफ अली खान ने एक दिलचस्प बात का खुलासा किया है। “द कपिल शर्मा शो” में सभी ने मिलकर जमकर मस्ती की थी।

इसी शो के दौरान कपिल शर्मा ने सैफ से पूछा कि “आपकी वेब सीरीज ‘तांडव’ की शूटिंग पटौदी पैलेस में हुई थी, तो आप एक एक्टर के तौर पर ज्यादा फीस पाते हैं या अपने पुश्तैनी घर को किराए पर देकर ज्यादा पैसे कमाते हैं?” जब सैफ अली खान ने कपिल शर्मा का यह सवाल सुना तो वह हंसने लगे और कपिल के इस सवाल का जवाब देते हुए सैफ अली खान ने यह कहा कि “पटौदी पैलेस में शूटिंग से जो भी पैसा आता है वो मेरी मां शर्मिला टैगोर ले लेती हैं। मैं तो सिर्फ नाम का नवाब हूँ।”

अगर हम पटौदी पैलेस की बात करें तो वह हरियाणा के गुड़गांव से 26 किलोमीटर दूर बना हुआ है। यह सफेद महल पटौदी परिवार की निशानी है। वैसे तो 200 से भी ज्यादा पुराना इस परिवार का इतिहास है परंतु अभी करीब 80 साल ही इस महल को बने हुए हैं। पटौदी पैलेस का निर्माण 8वें नवाब और भारतीय टीम के पूर्व कप्तान इफ्तिखार अली हुसैन सिद्दीकी ने 1935 में करवाया था। विदेशी आर्किटेक्ट की सहायता से इसका रिनोवेशन उनके बेटे और नौवें नवाब मंसूर अली उर्फ नवाब पटौदी ने करवाया था। नवाब अली के बचपन में उनकी देखभाल के लिए 7-8 नौकर हमेशा लगे रहते थे। कई बड़े ग्राउंड, गैरेज और घोड़ों के अस्तबल इस पैलेस में मौजूद हैं। 10वें नवाब सैफ अली खान पटौदी पैलेस का रिनोवेशन 2014 में करवाया था।

बता दें कि इससे पहले भी एक इंटरव्यू के दौरान सैफ अली खान ने यह कहा था कि “जब मेरे पिता का इंतकाल हो गया तो पटौदी पैलेस नीमराणा होटल्स के पास किराए से चला गया। अमर (नाथ) और फ्रांसिस (वैकज़ार्ग) होटल चलाते थे। फ्रांसिस की मौत हो गई। उन्होंने मुझसे पूछा था कि क्या मैं पैलेस वापस चाहता हूं? मैंने कहा- हां वापस चाहता हूं। उन्होंने एक कॉन्फ्रेंस की और कहा ठीक है तुम्हें इसके लिए हमें ढेर सारे पैसे देने होंगे।” सैफ अली खान ने कहा कि “लगातार कमाई पर मैंने पैलेस को छुड़ाया यानी कि जो घर मुझे विरासत में मिलना चाहिए था उसे भी मैंने फिल्मों से हुई कमाई से पाया। आप अतीत से दूर नहीं रह सकते। खासकर अपने परिवार से तो बिल्कुल भी नहीं। मेरी परवरिश इसी तरह हुई, लेकिन मुझे विरासत में कुछ नहीं मिला।”

सैफ अली खान ने इसी इंटरव्यू के दौरान अपने अतीत पर रोशनी डालते हुए यह बताया था कि “मेरा जन्म और पालन-पोषण बॉम्बे (मुंबई) में हुआ। मेरे पिता मां (शर्मिला टैगोर) के साथ उनके कारमाइकल रोड स्थित फ्लैट में रहते थे। मैं कैथेड्रल गया, बॉम्बे जिम में वक्त बिताया। एक ऐसी दुनिया थी जो फिल्मों से ज्यादा मेरे पिता से प्रभावित थी। उन्होंने तब अपना क्रिकेट करियर पूरा ही किया था। उनके अंतिम टेस्ट सीरीज के वक्त में चार-पांच साल का था। मेरी मां कहती है कि वो (पिता) अपनी जिम्मेदारियों से बचते रहे। उनकी मां भोपाल और पटौदी की देखभाल करती थीं। जब वह बूढ़ी हुईं तो हम उनके साथ रहने दिल्ली चले गए, जहां उनका बहुत खूबसूरत और बड़ा घर था, जो भारत सरकार ने जमीन, संपत्ति और अन्य तरह के समझौते के चलते उन्हें जिंदगी भर के लिए दिया था।”

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