विशेष

मरने से पहले 6 लोगों को जिंदगी दे गया 14 साल का बच्चा, दिल, लिवर समेत दान किए कई अंग

ऐसा कहा जाता है कि अंगदान एक महादान होता है। अगर हम इसे दूसरे शब्दों में व्यक्त करें तो इसे जीवन के लिए उपहार भी कह सकते हैं। जी हां, अंगदान करके हम कई लोगों को जीवन दान दे सकते हैं। मौजूदा समय में ऐसे बहुत से लोग हैं जो मरने से पहले अपने शरीर का कोई ना कोई अंग जरूरतमंदों के लिए दान करते हैं। कई संस्थाएं अंगदान करने में सहायता करती है और इसके लिए प्रोत्साहित करती हैं।

वैसे देखा जाए तो अंगदान समाज के लिए एक चमत्कार साबित हुआ है। मौजूदा समय में गुर्दे, आंख, हृदय, छोटी आंत जैसे अंगों की बहुत मांग है। रोजाना ही हजारों लोग दुर्घटना में अपनी जान गँवा देते हैं, जिनके अंगदान से दूसरे लोगों को जीवन दान प्राप्त हो सकता है। इसी वजह से कहते हैं कि दान से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। चाहे फिर वह दान किसी भी चीज का क्यों ना हो।

ऐसी मान्यता है कि किसी को दान देने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। दान को एक बड़ा धर्म माना गया है। ऐसी स्थिति में दान की महत्ता तब और अधिक बढ़ जाती है जब दान अंगों का किया गया हो। जिस अंगदान से लोगों को एक नई जिंदगी मिलती हो। इसी बीच हम आपको गुजरात के सूरत शहर के रहने वाले 14 साल के बच्चे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके अंगदान से 6 अन्य लोगो को नई जिंदगी मिल पाई।

दरअसल, यह बच्चा किडनी का लंबी बीमारी के बाद अचानक ब्रेन डेड हो गया। ऐसी स्थिति में 14 साल के इस बच्चे ने दुनिया को अलविदा कहने से पहले 6 लोगों को जीने की आशा दे गया। बात दें इस बच्चे के परिवार ने उसके दिल, फेफड़े, लिवर, आँखें और हाथ दान करने का निर्णय लिया, जिसकी वजह से कई जरूरतमंदों के अंधकार जीवन में रोशनी आ गई।

दरअसल, हम जिस 14 साल के बच्चे के बारे में बता रहे हैं उसका नाम धार्मिक काकड़िया है, जो सूरत के दसवीं कक्षा में पढ़ता था। उसके पिता का नाम अजय भाई काकड़िया है, जो सूरत की एक डायमंड कंपनी में मैनेजर के तौर पर काम करते हैं और धार्मिक की माता का नाम ललिता बेन है जिनके एक बेटा और एक बेटी थे। 14 वर्षीय बेटा धार्मिक पिछले 5 साल से किडनी की बीमारी से ग्रस्त था। धार्मिक को पिछले एक साल से हफ्ते में तीन बार डायलिसिस करवाना पड़ता था। धार्मिक की किडनी खराब थी तो उसके खुद के लिए किडनी दान में लेने की प्रक्रिया चल रही थी।

धार्मिक काकड़िया का 27 अक्टूबर के दिन ब्लड प्रेशर बढ़ गया था, जिसकी वजह से अचानक तबीयत बिगड़ने लगी, तो उसके माता-पिता तुरंत ही सूरत के किरन हॉस्पिटल इलाज के लिए लेकर पहुंचे। जब डॉक्टर की टीम ने धार्मिक काकड़िया की जांच पड़ताल की तो उसे डैड ब्रेन घोषित कर दिया गया था।

जब धार्मिक काकड़िया के ब्रेन डेड होने की जानकारी सूरत की डोनेट लाइफ संस्था को मिली तो उनकी टीम के लोग तुरंत ही किरन अस्पताल पहुंच गए और उन्होंने धार्मिक काकड़िया के परिवार को अंगदान करने के लिए समझाया था। धार्मिक के माता-पिता अंगदान के महत्व को समझ गए और वह अंगदान करने के लिए राजी हो गए। माता-पिता को अंग फेलियर के दर्द का एहसास था, शायद इसलिए उन्होंने अपने बेटे का अंगदान करने का फैसला ले लिया। 14 वर्षीय ब्रेन डेड बच्चा धार्मिक के दिल, फेफड़े, आंख, लीवर और दोनों हाथ के दान से 6 जरूरतमंद व्यक्तियों को नई जिंदगी मिली है।

आपको बता दें कि सूरत शहर से दान में प्राप्त हुए दिल, फेफड़े और दोनों हाथों को समय से चेन्नई अहमदाबाद और मुंबई पहुंचाने के लिए तीन अलग-अलग ग्रीन कोरिडोर बनाए गए। सूरज की किरन हॉस्पिटल से मुंबई की ग्लोबल हॉस्पिटल तक का 292 किलोमीटर का सफर 105 मिनट में तय किया गया और पूना के निवासी 32 वर्षीय व्यक्ति के शरीर में दोनों हाथ ट्रांसप्लांट किया गया।

वहीं दिल का ट्रांसप्लांट जूनागढ़ के निवासी 15 वर्षीय 11वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र के शरीर में अहमदाबाद की सिम्स हॉस्पिटल में किया गया है। जबकि फेफड़े का ट्रांसप्लांट आंध्र प्रदेश के रहने वाले 44 साल के व्यक्ति के शरीर में चेन्नई की एमजीएम हॉस्पिटल में कराया गया है। वहीं लीवर का ट्रांसप्लांट गुजरात के पाटण निवासी 35 साल के व्यक्ति के शरीर में अहमदाबाद की जायडस हॉस्पिटल में किया गया। आंखों का ट्रांसप्लांट सूरत की किरन हॉस्पिटल में ही जरूरतमंद व्यक्ति के शरीर में किया गया हैं। इस प्रकार से ब्रेन डेड 14 वर्षीय धार्मिक काकड़िया ने कई लोगों को नया जीवनदान दिया है।

Related Articles

Back to top button