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महिला ने पुराने बाथटब में ही उगा लिए मोती, पहली बार में कमाए करीब एक लाख रुपए

पुराने पड़े बाथटब में मोती उगाने का आसान तरीका, दूसरे बच्चों को भी करती है प्रेरित

वर्तमान में महिला पुरुषों की तरह ही हर काम में अपनी हाजिर जवाबी दिखा रही है। महिला न सिर्फ अच्छे पैसे कमा रही है बल्कि साथ ही साथ दुनिया में अपनी एक पहचान भी कायम कर रही है। कुछ महिला घर बैठे ही बिजनेस के नए-नए तरीके सोचती है तो कुछ महिला जॉब करके अपनी आमदनी बढ़ा रही है।

एक ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के आगरा का है जहां एक महिला ने घर में ही बाथटब में मोती उगा लिए और पहली बार में ही इस महिला को करीब 80 हजार रुपए की आमदनी हुई। आइए जानते हैं इस महिला की पूरी कहानी।

pearl farming

उत्तर प्रदेश के आगरा में रहने वाली इस महीना का नाम रंजना यादव है। रंजना यादव के दो बच्चे हैं, इनकी देखभाल के साथ-साथ वह बिजनेस करने में भी माहिर है। कहा जा रहा है कि रंजना ने जब मोती उगाने के बिजनेस की शुरुआत की थी तो उनका परिवार बिल्कुल भी इसके लिए तैयार नहीं था। दरअसल, इससे पहले उनके परिवार में किसी ने बिजनेस में हाथ नहीं आजमाया था।ऐसे में हर कोई रंजना से कह रहा था कि वह भी बिजनेस में सफल नहीं हो पाएगी, लेकिन रंजना ने वो कर दिखाया जिससे उनकी हर तरफ तारीफ होने लगी।

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पुराने पड़े बाथटब में ही उगाए मोती

27 वर्षीय रंजना यादव ने फॉरेस्ट्री से एमएससी किया हुआ है। इसके बाद उन्होंने सोचा था कि वह खुद ही बिजनेस शुरू करेगी। ऐसे में उनके मन में मोती उगाने का विचार आया। लेकिन परिवार साथ नहीं था तो रंजना को थोड़ी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा।

इसी बीच उनकी सहेली ने केंद्र की मोदी सरकार के स्टार्टअप की योजना को बताया जिससे रंजना को मोती उगाने के बिजनेस में मदद मिली। सबसे पहले उन्होंने छोटे स्तर पर ही इस बिजनेस की शुरुआत की और घर में ही पुराना पड़ा हुआ बाथटब मोती की खेती के लिए चुना।

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पहले ही महीने में ही हुआ मुनाफा

सबसे पहले रंजना ने इस बाथटब में सिर्फ 20 मोती के सीप लगाए थे और इनकी उन्होंने बहुत देखभाल की, जिसके बाद 12 महीने में ही उन्हें अच्छा रिजल्ट मिला। उन्होंने देखा कि हर सीप में दो से तीन मोती आ गए थे। लेकिन फिर भी उनके मोती की सही कीमत नहीं मिल पा रही थी। इसके बाद उन्हें  इंटरनेट के जरिए पता लगा कि हैदराबाद के ज्वेलरी बाजार में इन मोतियों की कीमत अच्छी मिल सकती है।

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ऐसे में रंजना ने अपने मोती इस बाजार में बेचने का निर्णय लिया जिसकी उन्हें एक मोती की कीमत 350 से 450 रुपए मिली। ऐसे में  रंजना को पहली बार में ही 80 हजार का फायदा हुआ। इससे न सिर्फ रंजना खुश हुई बल्कि उसका पूरा परिवार खुश हुआ और उन्होंने बड़े पैमाने पर इस बिजनेस को करने की ठानी।

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इसके बाद रंजना ने सीप की खेती की पूरी जानकारी के लिए भुनेश्वर के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर में एक क्रैश कोर्स करने के लिए एडमिशन लिया। जब वो पूरी तरह सीप की खेती करने में माहिर हो गई तब उन्होंने अपने पैतृक घर में खेती को आगे बढ़ाने का फैसला लिया।

ऐसे में रंजना ने अपने पिता की भी राय ली और पिता की मदद से आंगन में ही 14×14 का खेत तैयार करवा लिया। अब इसमें रंजना ने करीब दो हजार से ज्यादा सीप लगाए हैं और अब उनकी कमाई बहुत ही जल्दी हजारों से लाखों में बदलने वाली है।

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दूसरे बच्चों को भी करती है प्रेरित

रंजना के मुताबिक, खेती की देखभाल के साथ-साथ वह अपने बच्चों का भी पूरा ख्याल रखती है। साथ ही खेती को भी हर रोज 3 से 4 घंटे का समय देती है। रंजना ना सिर्फ पर्ल फार्मिंग कर रही है बल्कि वह दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रही है और पिछले 2 साल में वह करीब 16 कृषि छात्रों को इसके बारे में बता चुकी है। वही उत्तर प्रदेश के हाथरस में करीब 10 किसानों को भी मोती की खेती के बारे में बता चुकी है।

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कैसे की जाती है मोती खेती?
रंजना ने बताया कि, सीप को सबसे पहले 7 दिनों के लिए क्षार उपचारित पानी में रख दिया जाता है। इस प्रक्रिया से 1 हफ्ते के अंदर ही सीप के कवच और मांसपेशियां ढीली हो जाती है और सीप के अंदर एक सांचा ढल जाता है। इसके बाद सीप को सहारा देने के लिए आसपास नायलॉन नेट और रसिया बांधी जाती है।

इस दौरान आपको इस बात का भी ख्याल रखना होता है कि तालाब की सफाई, सीपों को लगातार ढंग से चारा मिलता रहे और दिन में इन्हें 2-3 घंटे देने होते हैं। यदि आप इनका सही ध्यान नहीं रखते हैं तो 90 फीसदी सीप खराब भी हो सकते हैं।

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