क्यों हाथरस काण्ड में पीड़िता का रात में किया गया था अंतिम संस्कार, सरकार ने कोर्ट में दिया जवाब
हाथरस गैंगरेप मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में एफिडेविट दायर किया है। जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट से कहा है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए ये मामला CBI को सौंपा जाए। साथ में ही यूपी पुलिस द्वारा रात को पीड़िता का अंतिम संस्कार क्यों किया गया। इसको लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी सफाई भी पेश की है। एफिडेविट में सरकार ने कहा है कि हिंसा भड़कने की आशंका के चलते पुलिस ने रात में ही पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया था। यूपी सरकार का दावा है कि पुलिस को इंटेलीजेंस इनपुट मिला था कि इस मामले को जातिवाद का मुद्दा बनाया जा रहा है और पीड़ित के अंतिम संस्कार में लाखों प्रदर्शनकारी जमा हो सकते हैं। इस इनपुट के आधार पर पुलिस ने रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया। ताकि हालातों को बिगड़ने से रोका जा सके।
किया जा रहा है सरकार को बदमान
एफिडेविट में कोर्ट से कहा गया है कि हाथरस मामले में सरकार को बदनाम किया जा रहा है। सरकार के खिलाफ नफरत भरा कैंपेन चलाया गया है। अब तक की जांच में पाया गया है कि कुछ लोग अपने हितों के लिए निष्पक्ष जांच को प्रभावित करना चाहते हैं।
SIT की टीम कल सौंपेगी रिपोर्ट
इस पूरे मामले की जांच अभी SIT की टीम कर रही है और कल SIT की टीम अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली है। SIT की टीम ने पीड़ित के गांव बुलगढ़ी में वारदात वाली जगह पर जाकर जांच की है और उसके बाद ये रिपोर्ट तैयार की है।
गौरतलब है कि इस मामले की हाई लेवल जांच की अर्जी पर आज सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच ने सुनवाई की है। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को भयानक बताया है और यूपी सरकार से कई तरह के सवाल किए हैं।
Supreme Court asks Solicitor General Tushar Mehta, appearing for Uttar Pradesh government, to inform it how the witnesses in the #Hathras case, are being protected. Supreme Court adjourns the matter for next week.
— ANI (@ANI) October 6, 2020
ये अर्जी सोशल एक्टिविस्ट सत्यम दुबे, वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने दायर की है। इसमें कहा गया है कि इस केस की जांच सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या मौजूदा जज या फिर हाईकोर्ट के जज से करवाई जाए। साथ में ही इस केस को दिल्ली में ट्रांसफर किया जाए। ताकि अच्छे से इसकी जांच हो सके। क्योंकि उत्तर प्रदेश पुलिस-प्रशासन की ओर से सही कार्रवाई नहीं की जा रही है। पुलिस इस मामले में आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि 14 सितंबर को हाथरस में एक 19 साल की युवती के साथ गैंगरेप किया गया था। इस युवती के साथ उस वक्त ये वारदात हुई जब वो अपनी मां के साथ खेत में घास काटने के लिए गई थी। पीड़िता को जख्मी हालत में अस्पताल लाया गया था। जहां पर उसका इलाज किया गया था। लेकिन कुछ दिनों बाद पीड़िता को दिल्ली के अस्पताल रेफर कर दिया गया। दिल्ली में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत 29 सितंबर को हो गई थी।
परिवार वालों ने किया शव ले जाने से मना
पीड़िता के परिवार वाले शव को दिल्ली से हाथरस ना ले जाने की जिद पर अड़ गए थे। जिसके बाद पुलिस रात में खुद से ही पीड़िता का शव उसके गांव ले आई थी। यूपी पुलिस ने पीड़िता का अंतिम संस्कार रात में करने का फैसला किया था और परिवार वालों को अंतिम संस्कार में शामिल होने को कहा था। लेकिन परिवार और गांव वाले अपनी जिद पर अड़े रहे और उन्होंने अंतिस संस्कार करने से मना कर दिया। कई समय तक परिवार वालों को समझाने के बाद यूपी पुलिस ने उनके बिना ही अंतिम संस्कार कर दिया था। हालांकि यूपी पुलिस का कहना है कि लड़की के परिवार के कुछ लोग अंतिम संस्कार के समय मौजूद थे और उन्होंने ही अंतिम संस्कार किया है।
वहीं गांव में बिगड़ते हालातों को काबू में पाने के लिए यूपी पुलिस ने गांव को छावनी में बदल दिया था और नेता और मीडिया के लोगों को गांव से दूर रखा था। ताकि माहौल खराब ना हो सके।
इस मामले में चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का दावा है कि लड़की के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था। वहीं पीड़ित का शव जल्दबाजी में जलाने और लापरवाही के आरोपों के हाथरस के एसपी समेत 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड किए गए हैं। इस पूरे मामले में यूपी पुलिस और यूपी सरकार की आलोचना की जा रही है।