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कौन होते हैं निहंग सिख, जो सिंघु बॉर्डर पर दलित के हत्या के बाद आये चर्चा में, जानें इनका इतिहास

देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और हरियाणा की सीमा सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार की सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी। यहाँ बैरिकेड से लटकी हुई एक शख्स की लाश मिली थी। इस शख्स को बड़ी ही बेरहमी के साथ मारा गया था। शख्स को बेरहमी से मारने के बाद उसका एक हाथ काट दिया गया था और उसके पैर भी काट दिए गए थे। इस पूरी घटना के बाद निहंग सिख एक बार फिर से खबरों में बने हुए हैं। रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि इस शख्स को निहंगों ने ही मारा है। इसी वजह से एक बार फिर से निहंग सिखों पर बात की जा रही है। सोशल मीडिया पर भी तरह-तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही हैं।

आपको बता दें कि सिंधु बॉर्डर पर एक शख्स की बेरहमी से हत्या के मामले में आरोपी सरबजीत सिंह ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। सोशल मीडिया पर इस निर्मम हत्या की तस्वीरें काफी तेजी से वायरल हो रही हैं। जो भी व्यक्ति इन तस्वीरों को देख रहा है वह इस घटना की घोर निंदा कर रहा है। निहंग सिखों ने जो इस घटना को अंजाम दिया है, वह किसी की भी रूह कंपा देने वाली है। ऐसे में आज हम आपको यह बताने वाले हैं कि आखिर निहंग सिख कौन होते हैं? और इनका पूरा इतिहास क्या है?

सबसे पहले आप जान लीजिए कि निहंग शब्द फारसी है, जिसका मतलब होता है मगरमच्छ। इतिहासकारों के अनुसार, एक नाम को मुगलों के द्वारा दिया गया था। सिखों के लड़ाका योद्धाओं को मुगल निहंग करते थे। मुगलों का ऐसा मानना था कि जिस तरह पानी में मगरमच्छ को हराना मुश्किल है, उसी प्रकार युद्ध में निहंगों को हराना इतना सरल नहीं है। इतिहासकारों के अनुसार, सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के चार बेटे अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह थे।

गुरु गोविंद सिंह के सभी बेटे में सबसे छोटे फतेह सिंह थे। एक बार तीनों बड़े भाई युद्ध कला सीख रहे थे। इसी दौरान फतेह सिंह वहां पहुंच गए और युद्ध कला सीखने की बात उन्होंने कही। इस पर बड़े भाइयों ने कहा कि जब वह बड़े हो जाए तब वह युद्ध कला सीखें। इस बात पर सबसे छोटे बेटे फतेह सिंह काफी नाराज हो गए थे और वह घर के अंदर चले गए। इसके बाद फतेह सिंह ने नीले रंग के कपड़े और बड़ी सी पगड़ी बांध ली, फिर अपने भाइयों से जाकर कहा कि वह लंबाई में उनके बराबर हो गए हैं।

ऐसी मान्यता है कि फतेह सिंह ने जो कपड़े पहने थे ठीक वैसे ही कपड़े आज निहंग पहनते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि निहंग अपनी जिंदगी में एक विशिष्ट प्रकिया का निर्वाहन करते हैं। बता दें 18वीं और 19वीं शताब्दी में निहंग सिखों ने मुगल और अफगान आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया था। अफगान राजा अहमद शाह अब्दाली से निहंग सिखों ने युद्ध किया था।

अगर हम निहंग सिखों की पोशाक के बारे में बात करें तो यह एक खास तरह का कपड़ा पहनते हैं। उनके कपड़ों का रंग नीला होता है और यह अपने सिर पर एक बड़ी सी पगड़ी पहनते हैं। उनके इस पगड़ी में अर्धचंद्राकार, दोधारी तलवार की बैज होती है। हमेशा निहंग सिख अपने साथ एक तलवार रखते हैं।

यह अपने हाथों में लोहे का कंगन पहनते हैं। इतना ही नहीं बल्कि इनके पास एक लोहे का खंजर भी होता है जो इनकी कमर पर रहता है। पैरों में यह एक चमड़े के जूते और एक ढाल लेकर चलते हैं। कुल मिलाकर उनका योद्धाओं की तरह ही पहनावा होता है।

अगर हम निहंग सिखों के अतीत की बात करें तो उन्होंने अपने धर्म को बचाने के लिए कई लड़ाइयां लड़ी हैं और उन्होंने अपना बलिदान दे दिया है। यह बहुत बहादुर होते हैं परंतु उनकी यही बहादुरी उन्हें कट्टर भी बनाती है, जिसके कारण विवादों से भी उनका गहरा नाता रहता है।

निहंग सिखों पर सबसे बड़ा आरोप कोरोना लॉक डाउन के दौरान लगा था जब एक निहंग ने पटियाला पुलिस पर हमला कर दिया था, जिसमें एक एएसआई का हाथ कट गया था। भांग का सेवन करने का आरोप भी निहंगों पर लगते आए हैं।

सिख धर्म में भांग की मनाही हैं। सिखों के अंदर एक मत का मानना है कि निहंग अपराधिक तत्वों, भूमाफिया समेत कई अन्य गलत कार्यों से जुड़ गए हैं। इतना ही नहीं बल्कि निहंगों पर यह भी आरोप लगता है कि निहंग सिख आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं।

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