स्वास्थ्य

आखिर नवजात शिशु मुट्ठी बंद करके क्यों रखता है? अगर जान लेंगे इसका राज तो नहीं होंगे परेशान

अक्सर देखा गया है कि नवजात शिशु हमेशा अपनी मुट्ठी बंद करके रखते हैं। अगर आप नवजात शिशु की हथेली पर अपनी उंगली या फिर कोई भी चीज रखते हैं तो वह मुट्ठी बंद करके अपनी उंगलियों से कस के पकड़ लेता है। हर नए माता-पिता अपने बच्चे की इस आदत को देखकर थोड़े चिंतित हो जाते हैं। उन्हें यह चीज बड़ी आश्चर्यजनक लगने लगते हैं कि बच्चा अपनी मुट्ठी बांधकर क्यों रखते हैं?

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से यही बात अच्छी तरह समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर बच्चे हमेशा अपनी मुट्ठी बंद करके क्यों रखते हैं? नवजात शिशु में मुट्ठी के बंद होने के उनके अपने स्वभाव के कारण हो सकते हैं। इसके पीछे किसी भी प्रकार के मेडिकल से या फिर तकलीफ से संबंध नहीं होता है।

जानिए आखिर नवजात शिशु अपनी मुट्ठी बंद करके क्यों रखता है?

1. सबसे पहले आप जान लीजिए कि नवजात शिशु बहुत ही लोभी प्रवृति के होते हैं और वह अपनी चीजों को खुद तक समेट कर रखना चाहते हैं। नवजात शिशु की इस आदत को पाल्मर ग्रास रिफ्लेक्स के नाम से जाना जाता है। अगर आप नवजात शिशु की हथेली पर गुदगुदी करते हैं या फिर उनकी हथेली पर अपनी उंगली रखते हो तो वह उसे चारों तरफ से कसकर अपनी मुट्ठी में पकड़ लेते हैं।

2. जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो उसका सर झुका हुआ होता है। बच्चा अपनी पुरानी आदतों को अच्छी तरह से याद रखता है। बच्चे मुट्ठी को कसकर बांध कर रखते हैं। इसके साथ ही वह अपने हाथ और पैरों को सटाकर भी रखते हैं। हफ्ते से 15 दिन तक का समय बच्चे की इस आदत को छूटने में लगती है।

3. अगर मान लीजिए बच्चा अपनी मां के गर्भ के अंदर अपनी मुट्ठी बांधकर नहीं रखता है तो ऐसी स्थिति में वह चुटकी बजाने का हाथ पैर को हिलाने की कोशिश करने लगता है जिसकी वजह से बच्चों की उंगलियों और उनके नाखून से मां की त्वचा को चोट लगने की संभावना रहती है।

महिलाओं के गर्भ के अंदर एमनीयोटिक सेक एक बहुत ही पतली झिल्ली होती है। अगर इसके ऊपर बच्चों के नाखून लग जाए तो इसकी वजह से बायोकेमिकल का रिसाव शुरू होने की संभावना रहती है। अगर ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाए तो हार्मोन परिवर्तन के कारण से प्रीमेच्योर डिलीवरी और अन्य तरह के खतरे पैदा होने की संभावना रहती है। इसलिए बच्चे और मां दोनों की सुरक्षा के लिए यह एक प्राकृतिक लक्षण है।

3. सेरेबरल पाल्सी की वजह से भी बच्चा हमेशा अपनी मुट्ठी बांधकर रखता है। अगर नवजात शिशु लगातार मुट्ठी बांधकर रखता है तो इसकी वजह से उसके दिमाग में भी अकड़न आ जाती है। यह एक प्रकार का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है। ऐसे में नवजात शिशु के दिमाग की मांसपेशियां संकेत देने में सक्षम नहीं हो पाती है और इस तरह की परिस्थितियों में उनकी मांसपेशियां भी कमजोर होने की संभावना रहती है। अगर ऐसा है तो आपको तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।

4. आपको बता दें कि बच्चों की इस आदत को मानव के विकास सिद्धांत से जोड़कर भी देखा जाता है। कुछ एक्सपर्ट्स का ऐसा मानना है कि इंसान बंदरों की एक विकसित प्रजाति का ही हिस्सा है और हमने बंदरों की इस आदत को ही पकड़ कर रख लिया है। जिस प्रकार से बंदरों के बच्चे अपने मां के बालों या अपनी मां को कसकर पकड़ कर रखते हैं। वह अपनी मुट्ठी में कुछ भी चीजों को पकड़ कर रखना चाहते हैं क्योंकि उनकी मां पेड़ों पर झूलती रहती है। यही आदत आज भी इंसानों में देखा जाता है।

5. अगर हम बात करें कि बच्चा कब अपनी मुट्ठी खोलेंगे और कब चीजों को पकड़ना शुरू करेंगे तो आपको बता दें कि बहुत से नवजात शिशु पाल्मर रिफ्लेक्स के कारण से 3 से 4 महीने के बाद अपनी मुट्ठी खोलना शुरू कर देते हैं और वह धीरे-धीरे चीजों को पकड़ने लग जाते हैं। छोटे बच्चे खिलौनों से खेलने भी लगते हैं। जब बच्चा 6 से 7 महीने की अवस्था में होता है तो उसके बाद वह चीजों को पूरी तरह से हाथ खोलकर पकड़ने की कोशिश करने लगता है।

परंतु कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो 6 से 7 महीने के बाद भी लगातार अपनी मुट्ठी बांधकर ही रखते हैं। वैसे तो शिशुओं के लिए अपनी मुट्ठी बांधना सामान्य बात है लेकिन आपका शिशु 6-7 महीनों के बाद भी अपनी मुट्ठी बंद रखता है तो ऐसे में आप विशेषज्ञों से बात कर सकती हैं।

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