दिवाली के दिन यहां होती है कुत्ते, गाय, बेल और कौओं की पूजा, जानवरों के लिए रखी जाती है दावत

दिवाली का त्यौहार रोशनी का त्यौहार है। इस दिन भारत के हर घर में दीपक जलाकर इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है साथ ही आतिशबाजी भी की जाती है। ना सिर्फ भारत में बल्कि दिवाली की धूम विदेशों में भी देखने को मिलती। जी हां…मलेशिया, सिंगापुर और मॉरीशस जैसे देश में दिवाली को लेकर एक अलग ही जश्न छाया रहता है।
दिवाली के दिन प्रभु श्रीराम की पूजा की जाती है, लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे देश के बारे में जहां दिवाली के दिन देवी देवताओं के साथ जानवरों की भी पूजा की जाती। जी हां.. यहां कुत्ते की विशेष रूप से पूजा की जाती है और साथ ही उनके खाने के पसंदीदा पकवान भी बनाए जाते हैं। आइए जानते हैं नेपाल में दिवाली मनाने का यह तरीका क्यों अपनाया जाता है।
नेपाल में दिवाली का खास जश्न
कहा जाता है कि, नेपाल में दिवाली का उत्सव 1 महीने पहले से ही शुरू हो जाता है। नेपाल में हिंदुओं की बड़ी आबादी रहती है और यह दिवाली मनाने का बेहद ही अलग तरीका है। इस त्यौहार को कुकुर तिहार के नामा से जाना जाता है। यहां लोग खास तरीके से दीपक जलाते हैं और कुत्तों की विशेष रूप से पूजा करते हैं और बहुत ही धूमधाम से कुकुर तिहार का जश्न मनाया जाता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि दिवाली के दिन भगवान श्री राम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या वापस आते हैं और इन्हीं के उपलक्ष्य में दिवाली का पर्व मनाया जाता है, लेकिन नेपाल में दिवाली को कुकुर तिहार के नाम से जाना जाता है। कुकुर यानी कि कुत्तों की पूजा।
इस दिन नेपाल में कुत्तों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है। दिवाली के दूसरे दिन इस त्यौहार को मनाया जाता है और कुत्तों की खातेदारी की जाती। उन्हें गुलाल लगाया जाता है, साथ ही माला पहनाई जाती है और कुत्तों के पसंदीदा पकवान बनाए जाते हैं। नेपाल के कई घरों में कुत्तों के लिए विशेष रूप से ब्रेड, अंडा, दही और दूध जैसी दावत भी तैयार होती है।
क्यों मनाया जाता है कुकुर तिहार?
अब ज्यादातर लोगों के मन में यही सवाल उठता है कि आखिर इस त्यौहार को मनाने के पीछे मान्यता क्या है? दरअसल, नेपाल में कुत्तों को यम देवता का संदेशवाहक माना जाता है। इस लिहाज से नेपाल के लोग कुत्तों की विशेष रूप से पूजा करते हैं।
यहां के लोगों का मानना है कि, कुत्ता पूरे जीवन भर वफादारी के साथ इंसान की रक्षा करता है और साथ ही मरने के बाद भी वे अपने मालिक का ख्याल रखते हैं। इसी वजह से नेपाल में कुकुर तिहार के दिन अलग ही धूम देखने को मिलती है, साथ ही कुत्ते को विशेष रुप से सम्मानित किया जाता है। कुत्ते के अलावा यहां पर गाय, बैल और कौवे की भी विशेष रूप से पूजा की जाती है।