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दादा ने पढ़ाया पोती ने पढ़ा और किया UPSC में टॉप, पहले प्रयास में निशा ग्रेवाल बनीं आईएएस

कामयाबी एक ऐसा शब्द है जिसे हर कोई पाना चाहता है परंतु सिर्फ चाहने से ही कामयाबी नहीं मिलती है। अगर अपने जीवन में सफलता हासिल करनी है तो इसके लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। कई बार देखा गया है कि कठिन मेहनत करने के बावजूद भी इंसान को अपने जीवन में कामयाबी नहीं मिलती है। दरअसल, कामयाबी के मार्ग में बहुत से उतार-चढ़ाव आते हैं। जो व्यक्ति सभी उतार-चढ़ाव को पार करते हुए निरंतर आगे बढ़ता रहता है उसको एक ना एक दिन कामयाबी जरूर मिलती है।

आजकल के समय में ज्यादातर सभी स्टूडेंट्स आईएएस या आईपीएस अधिकारी बनने का सपना देखते हैं और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए बहुत से स्टूडेंट्स दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं परंतु ऐसे बहुत ही कम स्टूडेंट्स होते हैं जो यूपीएससी की परीक्षा पास कर पाते हैं। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इसको पास करना बहुत कठिन माना गया है।

अपने मन में आईएएस और आईपीएस बनने का सपना संजोए हर वर्ष लाखों स्टूडेंट्स यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करते हैं परंतु कुछ एक ही होते हैं जो इस परीक्षा को पास करने में सफल हो जाते हैं। ज्यादातर स्टूडेंट्स को असफलता मिलती है परंतु ऐसा कहा जाता है ना कि अगर इंसान लगातार मेहनत करें तो वह नामुमकिन को मुमकिन बना सकता है इसलिए ऐसा नहीं है कि आप लोग यूपीएससी की परीक्षा पास नहीं कर सकते। अगर आपके अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा है तो आप अपनी मेहनत के दम पर कामयाबी जरूर हासिल कर सकते हैं।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से हरियाणा के भिवानी के एक छोटे से गांव की रहने वाली लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसने अपने इस सपने को पूरा कर दिखाया है। दरअसल, इस लड़की का नाम निशा ग्रेवाल है जिन्होंने घरवालों के सहयोग और अपनी कड़ी मेहनत से UPSC जैसी कठिन परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास कर लिया है।

आपको बता दें कि यूपीएससी 2020 का जब परिणाम जारी हुआ था तो इस दौरान कई लड़कियों का सपना पूरा हुआ था। उन्हीं में से एक टॉपर निशा ग्रेवाल हैं। हरियाणा के भिवानी जिले के छोटे से गांव की रहने वाली निशा ग्रेवाल ने यूपीएससी 2020 परीक्षा में 51वीं रैंक हासिल की थी। निशा के पिता बिजली विभाग में कार्यरत हैं और उनकी मां हाउसवाइफ हैं। हमेशा से ही निशा को अपने परिवार का पूरा सपोर्ट मिला परंतु उनकी इस कामयाबी के पीछे उनके दादा जी का बड़ा रोल है। निशा के दादा जी रामफल ग्रेवाल पेशे से टीचर थे। उन्होंने निशा की यूपीएससी की तैयारी में काफी सपोर्ट किया।

निशा ग्रेवाल ने पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन करने के पश्चात अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोशिश में जुट गईं जिसके बारे में उन्होंने हमेशा सोचा था। उनका लक्ष्य था कि वह यूपीएससी की तैयारी करें और इसमें सफलता हासिल करें। निशा अपनी इस सफलता का श्रेय अपने दादाजी को देती हैं। निशा के शिक्षक दादाजी ने पढ़ाई में हर कदम पर उनका साथ दिया। ऐसे में वह हर समय निशा के साथ दादा जैसा नहीं बल्कि एक शिक्षक जैसे व्यवहार किया करते थे।

निशा के दादाजी ने उन्हें बचपन से ही पढ़ाई में मजबूत बनाया। गणित के शिक्षक रहे दादाजी ने अपने विषय के अलावा भी निशा को अन्य विषयों के बारे में बताया था। मीडिया से बातचीत के दौरान निशा ने यह बताया था कि वह रोजाना 8 से 9 घंटे पढ़ाई करती थीं। उन्होंने एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई कर अपने बेस को मजबूत किया। इसके अलावा उन्होंने स्टैंडर्ड बुक्स से भी तैयारी की और इंटरनेट का भी सहारा लिया।

निशा ने यूपीएससी की तैयारी के दौरान खूब मेहनत की और बेहतर रणनीति को सबसे मजबूत हथियार मानने वाली निशा ने हर दिन सिर्फ एक ही लक्ष्य को साध कर अपना प्रयास किया था। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत, सही रणनीति, अधिकतम रिवीजन और उत्तम लेखन के साथ तैयारी की थी और आखिर में उनकी मेहनत रंग लाई। यूपीएससी 2020 में पहले ही प्रयास में 51वां रैंक हासिल कर उन्होंने अपना सपना साकार किया।

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