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पत्नी से बच्चा नहीं हुआ तो शख्स ने युवती को ख़रीदा, बच्चा पैदा होते ही घर से निकाल दिया

मध्यप्रदेश के उज्जैन के तराना तहसील के काठ बड़ौदा से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसे सुनकर हर कोई दंग रह गया। कहा जा रहा है कि, काठ बड़ौदा के उपसरपंच ने नागपुर से एक लड़की को खरीदा और उसे 16 महीने तक अपने घर में रखा। 16 महीने तक इस लड़की के साथ दुष्कर्म किया गया और बच्चा पैदा होते ही से घर से निकाल दिया गया। मामले का खुलासा तब हुआ जब देवास गेट पर पुलिस को लावारिस हालत में युवती ने अपने साथ हुए कुकर्मों की कहानी सुनाई।

पुलिस के मुताबिक इस मामले का खुलासा 6 नवंबर को हुआ। दरअसल, 6 नवंबर को देवास गेट पर एक 19 वर्षीय युवती लावारिस हालत में मिली उसके बाद उसे वन स्टॉप सेंटर ले जाया गया जहां पर उससे पूछताछ की गई। युवती ने पुलिस को बताया कि ऑपरेशन से डिलीवरी होने के कुछ देर बाद ही उसे भगा दिया गया। ऐसे में वह इधर-उधर भटकती रही और उसकी हालत भी काफी बिगड़ गई। इतना ही नहीं बल्कि उसके पेट में भी इंफेक्शन हो गया। रिपोर्ट की माने तो महिला का इलाज किया जा रहा है। युवती से मिले बयान के बाद पुलिस ने आरोपी की तलाश की और उसके गांव पहुंच गई। पुलिस ने राजपाल सिंह दरबार के अलावा उनकी पत्नी और दो अन्य शख्स के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

रिपोर्ट की मानें तो राजपाल ने नागपुर से लड़की खरीदी थी और इसके बाद ही उसे अपने घर रखा। गांव वालों को शक ना हो इसलिए लड़की को 16 महीने तक अंदर ही रखा और अपनी पत्नी के पेट पर तकिया बांधकर रखने को कहा। डिलीवरी के वक्त देवास के एक प्राइवेट अस्पताल में पत्नी के नाम से ही भर्ती कराया था। महिला का बच्चा ऑपरेशन से पैदा हुआ। जैसे ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया उसे उज्जैन रोड पर लावारिस छोड़ दिया गया। इतना ही नहीं बल्कि उसे धमकी भी दे कर गए कि, अब उनके सामने कभी ना आना और अगर यह बात किसी और को बताई तो वह युवती को जान से मार देंगे।

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युवती ने पुलिस वालों को बताया कि उसके माता-पिता नहीं है, उसका सिर्फ सिर्फ एक छोटा है। नागपुर की ही चंदा नाम की महिला ने शादी का झांसा देकर उसका सौदा कर लिया जिसके बाद उसे उज्जैनिया गांव में रखा गया फिर उसे कुछ लोगों की मदद से कायथा पहुंचा दिया। युवती ने अपने बयान में कहा कि, “मैं नागपुर की रहने वाली हूं। माता-पिता नहीं हैं। परिवार में 13 साल का भाई है। नागपुर की चंदा नामक महिला शादी का भरोसा दिलाकर एक आदमी को बेचकर चली गई। उसने करीब डेढ़ साल घर में छिपाकर रखा।

इस दौरान घर में मुझे जो जानकारी मिली उसके मुताबिक, उस आदमी की पत्नी को दो बच्चे हुए थे, इसके बाद उसने पत्नी की नसबंदी करवा दी थी। इस बीच बच्चे मर गए। ऑपरेशन के बाद पत्नी बच्चे को जन्म नहीं दे सकती थी, इसलिए उसने पत्नी और घरवालों की सहमति से मुझे बच्चा पैदा करने के लिए खरीदा। उक्त व्यक्ति की पत्नी चोटी पकड़कर मारती व पति के साथ रहने को कहती। जब मैं गर्भवती हुई तो वह व्यक्ति अपनी पत्नी के पेट पर तकिया बांधकर रखता था, ताकि लोगों को लगे कि वह गर्भवती है।”

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इसके अलावा कहा कि, “मुझे अस्पताल भी कार में सीट पर लिटाकर इस तरह ले जाते थे कि कोई देख न पाए। इस तरह किसी को मेरे बारे में पता नहीं चलने दिया। देवास के निजी अस्पताल में डिलीवरी के समय मेरी जगह पत्नी का नाम लिखाया ताकि बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में उसकी पत्नी का नाम रहे। दशहरे पर बच्चे को जन्म देते ही कुछ लोग कार से उज्जैन छोड़कर धमकी देकर चले गए कि अब दिखाई मत देना, यह बात किसी को बताई तो जान से मार देंगे।”

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इस मामले को लेकर महिला बाल विकास विभाग के संचालक साबिर अहमद सिद्दीकी का कहना है कि पुलिस को पत्र लिखा है ताकि आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके। फिलहाल युवती का इलाज किया जा रहा है और महिला बाल विकास की टीम पुलिस की सहायता करने में जुटी हुई है ताकि आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके।

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